दिल्ली पुलिस ने साइबर धोखाधड़ी गिरोह का भंडाफोड़ किया
शुभम नरेश
- 10 Nov 2025, 04:34 PM
- Updated: 04:34 PM
नयी दिल्ली, 10 नवंबर (भाषा) दिल्ली पुलिस ने भारत भर में सक्रिय कई साइबर धोखाधड़ी गिरोह का भंडाफोड़ किया है और बड़े पैमाने पर 'डिजिटल अरेस्ट' और निवेश धोखाधड़ी गिरोह में शामिल चार लोगों को गिरफ्तार किया है। एक अधिकारी ने सोमवार को यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि दुबई स्थित संचालकों से जुड़ी पांच करोड़ रुपये की क्रिप्टोकरेंसी का पता लगाया गया है।
पुलिस के अनुसार, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और उत्तराखंड में कई जगहों पर छापे मारे गए, जिसके दौरान कई मोबाइल फोन, सिम कार्ड, लैपटॉप, डेबिट और क्रेडिट कार्ड, चेक बुक और अन्य आपत्तिजनक सामग्री बरामद की गई।
जांचकर्ताओं ने फर्जी कंपनियों, 'म्यूल अकाउंट' और ई-कॉमर्स मंचों का भी पता लगाया है, जिनका उपयोग अवैध धन को ठिकाने लगाने के लिए किया गया था।
'म्यूल अकाउंट' ऐसा अकाउंट होता है जिसे धोखाधड़ी करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
पुलिस उपायुक्त (अपराध) आदित्य गौतम ने कहा, "यह कार्रवाई संगठित साइबर-सक्षम वित्तीय अपराधों के खिलाफ जारी अभियान का हिस्सा थी, जो छद्म नाम, धमकी और झूठी निवेश योजनाओं के माध्यम से पीड़ितों को निशाना बनाते हैं।"
इस मामले के पहले आरोपी हरियाणा निवासी अतुल शर्मा को निवेश घोटाले में उसकी भूमिका के लिए गिरफ्तार किया गया था।
पुलिस ने बताया कि शर्मा दुबई स्थित अपने एक आका सुमित गर्ग के अधीन काम करता था। संदिग्ध ई-कॉमर्स गतिविधियों के तकनीकी विश्लेषण के बाद गुरुग्राम में छापेमारी की गई और शर्मा को गिरफ्तार कर लिया गया। कई इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, बैंक कार्ड और दस्तावेज जब्त किए गए।
शर्मा ने कथित तौर पर 'पेइंग गेस्ट' में रहने वाले आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को फर्जी कंपनियों के नाम पर चालू खाते खोलने के लिए इस्तेमाल किया। क्रेडिट स्कोर सुधारने के लिए बीमा सहायता देने के बहाने उसने इन लोगों का विश्वास हासिल किया और बाद में उनके खातों का इस्तेमाल धोखाधड़ी से प्राप्त धन को वैध बनाने में किया।
अधिकारी ने कहा, "हमने गिरोह द्वारा नियंत्रित तीन वॉलेट्स में लगभग पांच करोड़ रुपये मूल्य के क्रिप्टोकरेंसी लेनदेन का पता लगाया है।"
एक अन्य अभियान में हरियाणा निवासी राहुल मांडा को उत्तराखंड के रुड़की से गिरफ्तार किया गया। वह कथित तौर पर एक 'डिजिटल अरेस्ट' गिरोह में शामिल था जिसमें जालसाज पुलिस या भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) अधिकारी बनकर पीड़ितों को डराते थे।
पुलिस ने बताया कि मांडा एक ऐसे मामले से जुड़ा है जिसमें एक शिकायतकर्ता से 30 लाख रुपये की ठगी की गई थी। उसके पास से महंगे गैजेट्स बरामद हुए। मांडा का पहले भी आपराधिक रिकॉर्ड रहा है और वह पांच साल की सजा काट चुका है।
एक अन्य आरोपी पंजाब निवासी वरुण अंचल (35) को 'डिजिटल अरेस्ट' मामले में उसकी भूमिका के लिए गिरफ्तार किया गया, जिसमें मुंबई अपराध शाखा के अधिकारी बनकर जालसाजों ने शिकायतकर्ता से 26.80 लाख रुपये की ठगी की थी।
डीसीपी ने कहा, "अंचल ने म्यूल अकाउंट, निकासी और विदेशी संचालकों को धन हस्तांतरण का प्रबंधन किया। उसे पहले भी पंजाब और हरियाणा में इसी तरह के मामलों में गिरफ्तार किया गया था।"
चौथा आरोपी बिहार का एक पूर्व बैंक कर्मचारी अमित कुमार सिंह (31) है। वह कमीशन के लिए जालसाजों को बैंक खाते उपलब्ध कराता था। पुलिस ने बताया कि उसके मोबाइल फोन से आपत्तिजनक चैट रिकॉर्ड मिले हैं और अपनी संलिप्तता छिपाने के लिए वह बार-बार नौकरी बदलता रहता था।
अमित 39.5 लाख रुपये के निवेश धोखाधड़ी मामले से जुड़ा है। मामले की जांच जारी है।
भाषा
शुभम