जहानाबाद में बेरोजगारी और नागरिक सुविधाओं की बदहाली बने मुख्य चुनावी मुद्दे
रंजन नरेश
- 09 Nov 2025, 06:54 PM
- Updated: 06:54 PM
(कुणाल दत्त)
जहानाबाद/घोसी (बिहार), नौ नवंबर (भाषा) बिहार विधानसभा चुनाव के बीच जहानाबाद के मतदाता इस बार बदलाव की उम्मीद लेकर मतदान की तैयारी कर रहे हैं। शिक्षित युवाओं के लिए बेरोजगारी सबसे बड़ा मुद्दा है, जबकि नागरिक सुविधाओं की जर्जर स्थिति ने भी स्थानीय लोगों को नाराज किया है।
25 वर्षीय विकास कुमार जो स्थानीय कॉलेज से विज्ञान स्नातक हैं, आज अपनी आजीविका चलाने के लिए ऑटो चलाते हैं। वे कहते हैं, “हर चुनाव में हमने दलों की लोक-कल्याण की बातें सुनी हैं, लेकिन अब हमें बातें नहीं, काम चाहिए। इस बार बदलाव चाहिए, एक नई शुरुआत चाहिए।”
जहानाबाद बस स्टैंड पर विकास अपनी बातें साझा करते हैं तो उनके साथी ऑटो चालकों का समूह उनके इर्द-गिर्द इकट्ठा हो जाता है, जो अपने-अपने अनुभव और उम्मीदें व्यक्त करते हैं।
विकास कहते हैं, “मैंने साढ़े तीन लाख रुपए का कर्ज लेकर ऑटो खरीदा, लेकिन कमाई बहुत कम है। हमारे जैसे सैकड़ों स्नातक जहानाबाद में बेरोजगार हैं और मजबूरी में ऑटो चलाते हैं या कोई छोटा-मोटा काम कर रहे हैं।”
20 वर्षीय समीर कुमार, जो अपने पिता के गैराज में मदद करते हैं, कहते हैं, “शिक्षा हासिल करने के बाद भी लोग बेरोजगार हैं या बाहर जा रहे हैं। हम विश्वकर्मा समुदाय से हैं और मेरे भी कई सपने हैं, लेकिन जहानाबाद में ज़िंदगी बहुत धीमी चलती है।”
जहानाबाद जिले की तीन विधानसभा सीटें जहानाबाद, घोसी और मखदूमपुर में 11 नवंबर को मतदान होगा।
जहानाबाद सीट पर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) ने पूर्व सांसद चदेश्वर प्रसाद को जनता दल यूनाइटेड (जद(यू) प्रत्याशी के रूप में उतारा है, जबकि इंडिया गठबंधन ने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) टिकट पर राहुल कुमार को मैदान में उतारा है। प्रशांत किशोर की जनसुराज पार्टी ने भी यहां अपना उम्मीदवार दिया है। हालांकि स्थानीय लोगों का मानना है कि मुकाबला मुख्य रूप से राजग और इंडिया गठबंधन के बीच है।
पिछले कुछ वर्षों में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सरकार के विकास कार्य और कल्याण योजनाएं मतदाताओं के फैसले को प्रभावित कर सकती हैं।
घोसी सीट पर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माले) के रामबली सिंह यादव और जद(यू) के रितुराज कुमार के बीच सीधा मुकाबला है। गया निवासी और भाकपा (माले) उम्मीदवार के समर्थक तारिक अनवर (33) का कहना है, “लोगों के भीतर जातीय समीकरणों से परे जाकर बीस साल पुराने शासन में बदलाव की इच्छा है।”
वहीं, जद(यू) और भाजपा समर्थकों का मानना है कि नीतीश कुमार की सरकार ने विकास और कल्याण योजनाओं के जरिये जनता का भरोसा जीता है।
मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना, जिसे सितंबर के अंत में शुरू किया गया था, जहानाबाद की महिला मतदाताओं के बीच चर्चा का विषय है। कुछ इसे सराहनीय मानती हैं, तो कुछ इसे “वोटरों को लुभाने की रणनीति” बताती हैं।
पाली गांव (घोसी) की घरेलू कामगार नूरी कहती हैं, “मुझे योजना के तहत 10 हजार रुपए मिले। मैंने उससे दो बकरियां खरीदी हैं। इतने में और क्या कर सकती हूं?”
243 सदस्यीय विधानसभा की 121 सीटों पर 6 नवंबर को मतदान हो चुका है, जबकि शेष 122 सीटों पर 11 नवंबर को मतदान होगा। मतगणना 14 नवंबर को की जाएगी।
जहानाबाद शहर में नागरिक सुविधाओं की स्थिति मतदाताओं की चिंता का बड़ा कारण है। विशेष रूप से पटना–गया रेल लाइन के नीचे बने पुराने अंडरपास में हर बारिश में जलजमाव हो जाता है।
ऑटो चालक विकास कहते हैं, “हर बरसात में यह रेल अंडरपास जलमग्न हो जाता है, कई बार तो गाड़ियां तक उसमें डूब जाती हैं। हम चाहते हैं कि अगली सरकार इस समस्या का स्थायी समाधान करे।”
जहानाबाद, जो कभी गया जिले का हिस्सा था, कुछ दशक पहले अलग जिला बनाया गया था। 1990 के दशक में यह क्षेत्र जातीय हिंसा के लिए कुख्यात रहा है।
जहानाबाद निवासी संजय सिंह कहते हैं, “मैंने उस दौर की हिंसा देखी है। अब स्थिति बेहतर हुई है, लेकिन मेरा मानना है कि कोई भी सरकार लंबे समय तक सत्ता में नहीं रहनी चाहिए। सत्ता का बदलाव लोकतंत्र के लिए जरूरी है।”
भाषा कैलाश
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