एआई कैसे कुछ ऑनलाइन पाठ्यक्रमों की विश्वसनीयता को चुनौती दे रहा है
देवेंद्र नरेश
- 09 Nov 2025, 06:35 PM
- Updated: 06:35 PM
(मोहम्मद इसततेया और राहुल कुमार, ब्रॉक विश्वविद्यालय द्वारा)
सेंट कैथरीन (कनाडा), नौ नवंबर (द कन्वरसेशन) दूरस्थ शिक्षा डिजिटल युग से बहुत पहले की है। ऑनलाइन पाठ्यक्रमों से पहले, जब शिक्षक और शिक्षार्थी भौतिक रूप से अलग होते थे, तो औपचारिक शिक्षा के लिए लोग मुद्रित सामग्री (और बाद में रेडियो और अन्य तकनीकों) पर निर्भर रहते थे।
आज, डिजिटल संचार के माध्यम से दूरस्थ शिक्षा को बढ़ावा देने के कई तरीके उपलब्ध हैं। ‘‘अतुल्यकालिक’’ (एसिंक्रोनस) ऑनलाइन पाठ्यक्रमों में शिक्षण का सीधा प्रसारण नहीं होता है।
‘एसिंक्रोनस’ ऑनलाइन पाठ्यक्रम ऐसे शिक्षण कार्यक्रम हैं जहां छात्र, शिक्षक और अन्य प्रतिभागी सीखने की प्रक्रिया में एक ही समय पर शामिल नहीं होते हैं।
छात्र शिक्षा प्रबंधन प्रणाली पर पाठ्यक्रम सामग्री तक पहुंच प्राप्त कर सकते हैं और अपनी गति से अपना काम पूरा कर सकते हैं।
कुछ शोधकर्ताओं ने अतुल्यकालिक ऑनलाइन पाठ्यक्रमों से जुड़ी गुणवत्ता और छात्र परिणामों के बारे में चिंता जताई है। साथ ही, ‘जनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस’ (जेनएआई) ने वितरण के इस तरीके के समक्ष मूलभूत चुनौतियों को उजागर किया है।
जबकि जेनएआई सीखने के कई स्वरूपों में शैक्षणिक ईमानदारी के लिए गंभीर चुनौतियां पेश करता है, जिसमें समकालिक ऑनलाइन और व्यक्तिगत शिक्षण शामिल है, अतुल्यकालिक पाठ्यक्रमों को सबसे गंभीर जोखिम का सामना करना पड़ता है।
‘एसिंक्रोनस’ पाठ्यक्रम लंबे समय से पारंपरिक मूल्यांकनों पर निर्भर रहे हैं: चर्चा पोस्ट, लिखित विचार-विमर्श, निबंध कार्य और पूर्व-रिकॉर्ड किए गए वीडियो। कृत्रिम मेधा (एआई) द्वारा निर्मित सामग्री और मानव-लिखित पाठ में अंतर करना लगातार कठिन होता जा रहा है।
छात्रों से उनकी प्रक्रिया का दस्तावेजीकरण करने के लिए समय-चिह्नित प्रारूप, संस्करण इतिहास और जांच बिंदु प्रदान करने के लिए कहा जा सकता है। लेकिन इन्हें आसानी से गढ़ा जा सकता है, क्योंकि प्रशिक्षक छात्रों के सीखने और प्रगति पर ध्यान देने के बजाय निगरानी के बोझ तले दब जाते हैं।
एआई द्वारा निर्मित ‘इन्फोग्राफिक्स’ और वीडियो को मानव निर्मित ‘इन्फोग्राफिक्स’ और वीडियो से अलग करना भी कठिन होता जा रहा है।
एआई डिटेक्टर इस समस्या का समाधान नहीं कर सकते। शोध बताते हैं कि डिटेक्शन टूल विज्ञापित दरों से कहीं अधिक झूठी सकारात्मकता उत्पन्न करते हैं। कई विश्वविद्यालय अब स्पष्ट रूप से शैक्षणिक कदाचार के सबूत के रूप में ‘डिटेक्शन सॉफ्टवेयर’ का उपयोग करने के खिलाफ सलाह देते हैं।
एआई प्रतिस्थापन के खिलाफ वास्तविक सुरक्षा के लिए ऐसे तरीकों की आवश्यकता है जो शिक्षकों द्वारा अतुल्यकालिक पाठ्यक्रम प्रदान करने के तरीके में मूलभूत परिवर्तन ला सकें।
ऑनलाइन शिक्षण की अवधारणा तैयार करने के लिए एक उपकरण, सामुदायिक जांच ढांचा, प्रभावी ऑनलाइन शिक्षण के लिए तीन आवश्यक तत्वों की पहचान करता है: सामाजिक उपस्थिति (छात्र प्रामाणिक रूप से संलग्न होते हैं), संज्ञानात्मक उपस्थिति (छात्र पूछताछ के माध्यम से अपनी समझ का निर्माण करते हैं) और शिक्षण उपस्थिति (प्रशिक्षक सीखने में सुविधा प्रदान करते हैं)।
संस्थानों और शिक्षकों को सीमाओं के प्रति ईमानदार होना चाहिए। कुछ ही रणनीतियां एआई प्रतिस्थापन के विरुद्ध वास्तविक सुरक्षा प्रदान करती हैं; ज्यादातर केवल टकराव पैदा करती हैं।
इन अपूर्ण समाधानों के क्रियान्वयन के लिए वास्तविक संस्थागत प्रतिबद्धता, संसाधनों और नीतिगत समर्थन की आवश्यकता है। अब संस्थानों के सामने एक विकल्प है: मूल्यांकन की प्रामाणिकता को कुछ हद तक बहाल करने के लिए आवश्यक कार्यों में पर्याप्त निवेश करें या यह स्वीकार करें कि अतुल्यकालिक कार्यक्रम विश्वसनीय रूप से शिक्षण परिणामों की गारंटी नहीं दे सकते।
(द कन्वरसेशन)
देवेंद्र