बीते सप्ताह सरसों, मूंगफली, सोयाबीन तेल-तिलहन में सुधार, पाम-पामोलीन में गिरावट
राजेश अजय
- 09 Nov 2025, 09:49 AM
- Updated: 09:49 AM
नयी दिल्ली, नौ नवंबर (भाषा) बीते सप्ताह देश के तेल-तिलहन बाजारों में सरसों, मूंगफली और सोयाबीन तेल-तिलहन कीमतों में मामूली सुधार देखने को मिला। हालांकि, इस सुधार के बावजूद मूंगफली, सोयाबीन, सूरजमुखी का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे दाम पर बिकना जारी है। सट्टेबाजी के कारण ऊंचे दाम वाले पाम-पामोलीन की जाड़े की मांग प्रभावित होने से पाम-पामोलीन तेल कीमतों में गिरावट आई।
बाजार सूत्रों ने कहा कि बीते सप्ताह मुख्यत: स्टॉकिस्ट की सट्टेबाजी से सरसों तेल-तिलहन में कुछ सुधार तो है पर ऊंचा दाम होने की वजह सरसों तेल के लिवाल नहीं हैं। सटोरियों ने सिर्फ भाव ऊंचा कर रखा है।
उन्होंने कहा कि इसी प्रकार सोयाबीन तेल-तिलहन में भी मामूली सुधार है पर इस सुधार के बावजूद आयातक सोयाबीन डीगम तेल को आयात की लागत से 2.5-3 प्रतिशत नीचे दाम पर बेच रहे हैं। इसी प्रकार मूंगफली तेल-तिलहन में भी अपने विगत सप्ताहांत के मुकाबले मामूली सुधार तो है पर इसे भी एमएसपी से काफी नीचे हाजिर दाम पर बेचा जा रहा है। कुल मिलाकर देखें तो बीते सप्ताह जो मामूली सुधार है, उसे सही मायने में सुधार नहीं माना जाना चाहिये। यह सुधार केवल पिछले सप्ताहांत के मुकाबले मामूली सुधार को दर्शाता है।
सूत्रों ने कहा कि सट्टेबाजों ने जो पाम-पामोलीन के दाम चढ़ा रखे थे, उसकी हवा निकलना शुरू हो गई है। कुछ ही दिन पहले कुछ समीक्षक मलेशिया एक्सचेंज में पाम-पामोलीन के दाम में लगभग 10 प्रतिशत की और तेजी आने का अनुमान जता रहे थे लेकिन दाम में विगत एक माह में लगभग आठ प्रतिशत की गिरावट आ चुकी है।
उन्होंने कहा कि दूसरी ओर पाम-पामोलीन का दाम सोयाबीन तेल के आसपास मंडरा रहा है। जाड़े में जमने के गुण की वजह से वैसे भी पाम-पामोलीन की मांग कमजोर रहती है। ऊपर से पाम-पामोलीन के दाम सोयाबीन के आसपास होने की वजह से इसमें लिवाली काफी कमजोर है जो पाम-पामोलीन में गिरावट का मुख्य कारण है।
सूत्रों ने कहा कि आयातक बैंकों में अपना ऋण-साखपत्र (एलसी) चलायमान रखने और कर्ज लौटाने के लिए आयातित तेल को लागत से नीचे दाम पर बेच रहे हैं। इस ओर सरकार को भी ध्यान देना होगा क्योंकि इससे पूरी कारोबारी धारणा प्रभावित होती है। बाजार धारणा बिगड़ने के बीच बिनौला तेल के दाम भी अपने पूर्व सप्ताहांत के मुकाबले समीक्षाधीन सप्ताहांत में हानि दर्शाते बंद हुए। वैसे देखें तो कपास, (जिससे बिनौला और फिर बिनौला तेल निकलता है) भी एमएसपी से नीचे के हाजिर दाम पर बिक रहा है।
सूत्रों ने कहा कि एक ओर मलेशिया में पाम-पामोलीन का उत्पादन इतना अधिक है कि उन्हें इन तेलों को स्टॉक करने के लिए जगह की दिक्कत होती है लेकिन इसके बावजूद वे अपने खाद्य तेलों का दाम ऊंचा लगाते हैं। दूसरा भारत खाद्य तेलों की जरूरत को पूरा करने के लिए 50 प्रतिशत से कहीं अधिक आयात पर निर्भर करता है पर हमारे आयातकों को लागत से नीचे दाम पर इसी तेल को बेचना पड़ता है। इस विरोधाभास को दूर करने की जरूरत है।
बीते सप्ताह सरसों दाना 150 रुपये के सुधार के साथ 7,100-7,150 रुपये प्रति क्विंटल, सरसों दादरी तेल 275 रुपये के सुधार के साथ 14,875 रुपये प्रति क्विंटल, सरसों पक्की और कच्ची घानी तेल का भाव क्रमश: 45-45 रुपये के सुधार के साथ क्रमश: 2,485-2,585 रुपये और 2,485-2,620 रुपये टिन (15 किलो) पर बंद हुआ।
समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन दाने और सोयाबीन लूज के थोक भाव क्रमश: 75-75 रुपये के सुधार के साथ क्रमश: 4,550-4,600 रुपये और 4,250-4,350 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए।
इसी प्रकार, सोयाबीन दिल्ली तेल का दाम 100 रुपये के सुधार के साथ 13,300 रुपये प्रति क्विंटल, सोयाबीन इंदौर तेल का दाम 100 रुपये के सुधार के साथ 13,000 रुपये और सोयाबीन डीगम तेल का दाम 75 रुपये के सुधार के साथ 10,150 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
समीक्षाधीन सप्ताह में मूंगफली तेल-तिलहन की कीमतें भी सुधार दर्शाती बंद हुई। मूंगफली तिलहन 50 रुपये के सुधार के साथ 5,900-6,275 रुपये क्विंटल, मूंगफली तेल गुजरात का थोक दाम 50 रुपये के सुधार के साथ 14,050 रुपये क्विंटल और मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल का थोक दाम पांच रुपये के सुधार के साथ 2,290-2,590 रुपये प्रति टिन पर बंद हुआ।
इसे सुधार के उलट समीक्षाधीन सप्ताह में सीपीओ तेल का दाम 325 रुपये की गिरावट के साथ 11,325 रुपये प्रति क्विंटल, पामोलीन दिल्ली का भाव 150 रुपये की गिरावट के साथ 13,150 रुपये प्रति क्विंटल तथा पामोलीन एक्स कांडला तेल का भाव 175 रुपये की गिरावट के साथ 12,100 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
कारोबारी धारणा प्रभावित रहने के बीच समीक्षाधीन सप्ताह में बिनौला तेल के दाम भी 50 रुपये की गिरावट के साथ 12,400 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए।
भाषा राजेश