ब्रिटिश जासूसों ने निज्जर हत्याकांड की खुफिया जानकारी कनाडा को सौंपी थी: रिपोर्ट
संतोष
- 08 Nov 2025, 08:39 PM
- Updated: 08:39 PM
लंदन, आठ नवंबर (भाषा) ब्रिटिश खुफिया एजेंसी द्वारा ‘इंटरसेप्ट’ की गई फोन कॉल की मदद से ही कनाडाई अधिकारियों ने जून 2023 में हरदीप सिंह निज्जर की हत्या और भारत के बीच कथित संबंध का पता लगाया। यह दावा इस सप्ताह जारी एक नये वृत्तचित्र में किया गया है। कॉल ‘इंटरसेप्ट’ करने से आशय फोन पर बातचीत कर रहे व्यक्तियों के वार्तालाप को उनकी अनुमति के बगैर किसी तीसरे पक्ष द्वारा चुपके से सुनना या रिकॉर्ड करने से होता है।
‘ब्लूमबर्ग ओरिजिनल्स’ के वृत्तचित्र ‘इनसाइड द डेथ्स दैट रॉक्ड इंडियाज रिलेशंस विद द वेस्ट’ में बताया गया है कि ब्रिटेन की एक खुफिया एजेंसी ने कुछ फोन कॉल ‘इंटरसेप्ट’ की थीं, जिनमें कथित तौर पर तीन लक्ष्यों (टारगेट्स) पर चर्चा की जा रही थी। माना जा रहा है कि उक्त एजेंसी ब्रिटेन की ‘गवर्नमेंट कम्युनिकेशंस हेडक्वार्टर्स’ (जीसीएचक्यू) थी।
निज्जर एक कनाडाई सिख था जिसे भारत ने 2020 में खालिस्तानी आतंकवाद के लिए आतंकवादी घोषित किया था। वह कथित तौर पर उन नामों में शामिल था जिनकी जानकारी ब्रिटेन, अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच ‘फाइव आइज’ खुफिया साझेदारी समझौते के तहत कनाडाई अधिकारियों को सौंपी गई थी।
वीडियो वृत्तचित्र में दावा किया गया है, जुलाई 2023 के अंत में निज्जर हत्या मामले की जांच में एक ‘‘महत्वपूर्ण प्रगति’’ तब हुई थी, जब ब्रिटेन को ‘‘संबंधित जानकारी’’ प्राप्त हुई थी।
दावा किया गया है कि ब्रिटिश खुफिया जानकारी केवल कड़े नियमों के तहत ही साझा की गई थी और उसे हाथ से ओटावा (कनाडा की राजधानी) तक पहुंचाया गया था तथा उसे किसी भी इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम पर अपलोड नहीं किया गया और उसे देखने की अनुमति केवल लंदन द्वारा पूर्व-स्वीकृत कुछ चुनिंदा कनाडाई अधिकारियों को ही दी गई थी।
वृत्तचित्र में दावा किया गया है, ‘‘यह फाइल ब्रिटिश खुफिया एजेंसी द्वारा उन व्यक्तियों के बीच की बातचीत का सारांश थी, जिनके बारे में विश्लेषकों का मानना है कि वे भारत सरकार की ओर से काम कर रहे थे।’’
इसमें आरोप लगाया गया है, ‘‘उन्होंने तीन संभावित लक्ष्यों पर चर्चा की थी: निज्जर, (अवतार सिंह) खंडा और (गुरपतवंत सिंह) पन्नू। बाद में, इस बारे में बातचीत हुई कि निज्जर को कैसे सफलतापूर्वक खत्म किया गया।’’
खालिस्तान समर्थक ब्रिटिश सिख कार्यकर्ता खंडा की जून 2023 में ब्रिटेन के वेस्ट मिडलैंड्स क्षेत्र के बर्मिंघम शहर के एक अस्पताल में मौत हो गई थी। वह रक्त कैंसर से गंभीर रूप से पीड़ित था और ब्रिटेन में कुछ समूहों के आरोपों के बावजूद, ब्रिटिश अधिकारियों ने कहा कि उसकी मृत्यु से जुड़ी ‘‘कोई संदिग्ध परिस्थितियां’’ नहीं थीं।
वृत्तचित्र के मद्देनजर, सिख फेडरेशन यूके ने कहा कि उसने सुरक्षा मंत्री डैन जार्विस को पत्र लिखकर सवाल किया है कि ब्रिटिश सरकार के पास जुलाई 2023 की खुफिया जानकारी क्यों है, जिसे उसने "सिख समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले सांसदों द्वारा विशेष रूप से पूछे जाने पर" साझा या संदर्भित नहीं किया।
पत्र में लिखा है, ‘‘हम विशेष रूप से ब्रिटिश खुफिया जानकारी को लेकर चिंतित हैं जो अवतार सिंह खंडा की रहस्यमय मौत से संबंधित है।’’
इस बीच, अमेरिका में रहना वाला पन्नू का ब्लूमबर्ग वृत्तचित्र के लिए साक्षात्कार लिया गया और उसमें वह अपनी जान को लेकर भयभीत होने का दावा करता है। साक्षात्कार में वह सशस्त्र अंगरक्षकों से घिरा दिख रहा है। उसे खालिस्तानी आतंकवाद के लिए भारत ने आतंकवादी घोषित किया है।
भारत ने कनाडा के आरोपों को "बेतुका और प्रेरित" और "राजनीतिक लाभ के लिए भारत को बदनाम करने की जानबूझकर की गई रणनीति" बताते हुए दृढ़ता से खारिज कर दिया है।
इस मुद्दे को लेकर एक बड़ा कूटनीतिक विवाद उत्पन्न हो गया था जब कनाडा के तत्कालीन प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने 2023 में कनाडाई संसद में एक बयान दिया कि उनके सुरक्षा बल ब्रिटिश कोलंबिया में निज्जर की हत्या से भारतीय सरकारी एजेंट को जोड़ने वाले "विश्वसनीय आरोपों की सक्रिय रूप से जांच" कर रहे हैं।
अक्टूबर 2024 में, भारत ने अपने उच्चायुक्त और पांच अन्य राजनयिकों को वापस बुला लिया, जब ओटावा ने निज्जर मामले से उन्हें जोड़ने का प्रयास किया था।
भारत ने इतनी ही संख्या में कनाडाई राजनयिकों को निष्कासित भी कर दिया।
हालांकि, इस वर्ष अप्रैल में संसदीय चुनाव में लिबरल पार्टी के नेता कार्नी की जीत के बाद संबंधों को फिर से सुधारने की प्रक्रिया शुरू करने में मदद मिली।
जून में, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कनाडा के कनानास्किस में जी-7 शिखर सम्मेलन के दौरान अपने कनाडाई समकक्ष मार्क कार्नी के साथ बातचीत की।
अगस्त में, भारत और कनाडा ने एक-दूसरे की राजधानियों में दूत नियुक्त किए, जिससे संबंधों को सुधारने के उनके प्रयासों का संकेत मिला।
भाषा अमित संतोष
संतोष