ईडी ने पीएफआई के खिलाफ धनशोधन मामले में 67 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की
वैभव दिलीप
- 08 Nov 2025, 06:42 PM
- Updated: 06:42 PM
नयी दिल्ली, आठ नवंबर (भाषा) प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शनिवार को कहा कि उसने प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के खिलाफ धन शोधन जांच के तहत 67 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क करने के लिए एक नया आदेश जारी किया है।
संघीय जांच एजेंसी ने एक बयान में कहा कि ये संपत्तियां पीएफआई के ‘लाभकारी स्वामित्व और नियंत्रण’ में थीं और इसके राजनीतिक मोर्चे - सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) के अलावा, विभिन्न ट्रस्टों के नाम पर थीं।
केंद्र ने सितंबर 2022 में ईडी, राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) और विभिन्न राज्य पुलिस बलों द्वारा समन्वित छापेमारी के बाद पीएफआई पर प्रतिबंध लगा दिया था और इसे एक गैरकानूनी संगठन बताया, जो आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त था।
एसडीपीआई की स्थापना 2009 में हुई थी। यह निर्वाचन आयोग (ईसी) के साथ एक राजनीतिक दल के रूप में भी पंजीकृत है।
ईडी ने कहा कि 67.03 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क करने के लिए 6 नवंबर को एक अनंतिम आदेश जारी किया गया था।
कुर्की के नए मामले के साथ जब्त की गई कुल संपत्ति अब 129 करोड़ रुपये हो गई है।
ये संपत्तियां विभिन्न संस्थाओं के नाम पर पंजीकृत हैं, जैसे ग्रीन वैली फाउंडेशन, अलप्पुझा सोशल कल्चरल एंड एजुकेशन ट्रस्ट, पथनमथिट्टा में पंडालम एजुकेशनल एंड कल्चरल ट्रस्ट, वायनाड में इस्लामिक सेंटर ट्रस्ट, मलप्पुरम में हरिथम फाउंडेशन (पूवनचिना), अलुवा में पेरियार वैली चैरिटेबल ट्रस्ट, पलक्कड़ में वल्लवुनाड ट्रस्ट और तिरुवनंतपुरम में एसडीपीआई के कुछ भूखंड।
ईडी ने कहा कि उसकी जांच में पाया गया है कि पीएफआई ने वल्लुवनड हाउस पट्टाम्बि और मालाबार हाउस (हरिथम फाउंडेशन) सहित कई ऐसी संपत्तियों पर शारीरिक शिक्षा प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित किए और शेड बनाए।
संघीय एजेंसी ने कहा, ‘‘पीएफआई विभिन्न हथियारों का उपयोग करके आक्रामक और रक्षात्मक युद्धाभ्यास सिखाने के लिए नकली मालिकों के नाम पर पंजीकृत संपत्तियों पर व्यापक शारीरिक शिक्षा कक्षाएं चला रहा था... इन शारीरिक शिक्षा कक्षाओं का उद्देश्य अपने जिहादी एजेंडे को पूरा करने के लिए कैडर और सदस्यों को तैयार करना और उनका उपयोग विभिन्न गैरकानूनी गतिविधियों के लिए करना था।’’
ईडी के अनुसार, पीएफआई के विचारक ‘स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया’ (सिमी) के पूर्व सदस्य थे, जो जमात-ए-इस्लामी की छात्र शाखा थी।
इसमें कहा गया, ‘‘पीएफआई की उत्पत्ति का इतिहास बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद जमात-ए-इस्लामी पर प्रतिबंध से जुड़ा है। उस समय, यूएपीए के तहत जमात-ए-इस्लामी की संपत्तियों को कुर्क और सील कर दिया गया था।’’
ईडी ने पीएफआई द्वारा कथित रूप से अपराध से अर्जित आय की मात्रा 131 करोड़ रुपये आंकी है।
ईडी ने कहा, ‘‘इस आय का उपयोग भारत में हिंसक और आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए आपराधिक साजिश को आगे बढ़ाने के लिहाज से किया गया था, ताकि भारत को एक इस्लामी राष्ट्र बनाने का लक्ष्य हासिल किया जा सके, जिससे हमारे धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को खतरा हो और राष्ट्र की एकता और अखंडता को नुकसान पहुंचे।’’
ईडी ने कहा कि पीएफआई पूरे भारत में आतंकवादी कृत्यों को अंजाम देने और उनके वित्तपोषण के लिए बैंकिंग चैनलों, हवाला, दान आदि के माध्यम से भारत और विदेश से धन जुटा रहा था।
एजेंसी ने इस मामले में कई आरोपपत्र दायर किए हैं और एसडीपीआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष एम के फैजी सहित 28 पीएफआई नेताओं और कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया है।
भाषा वैभव