ओडिशा सरकार ने पुरी में भगदड़ के लिए सात पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई का आदेश दिया
अमित माधव
- 08 Nov 2025, 06:30 PM
- Updated: 06:30 PM
भुवनेश्वर, आठ नवंबर (भाषा) ओडिशा सरकार ने पुरी में हुई भगदड़ की घटना में हुई लापरवाही के लिए सात पुलिस अधिकारियों और एक निजी तकनीकी कंपनी के खिलाफ कार्रवाई के आदेश दिए हैं। इस हादसे में तीन लोगों की मौत हो गई थी और 20 अन्य घायल हुए थे। यह जानकारी आधिकारिक सूत्रों ने शनिवार को दी।
डीजीपी को हाल ही में लिखे पत्र में गृह विभाग के अतिरिक्त सचिव ने कहा कि इस वर्ष 29 जून को पुरी में रथ यात्रा के दौरान श्री गुंडिचा मंदिर के पास हुई भगदड़ की घटना पर विकास आयुक्त सह अतिरिक्त मुख्य सचिव अनु गर्ग द्वारा की गई जांच की सिफारिश के अनुसार कार्रवाई की जाए।
गर्ग ने 31 जुलाई को अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी को सौंप दी थी, जो गृह विभाग के भी प्रभारी हैं।
उनत्तीस जून को सुबह करीब 4 बजे श्री गुंडिचा मंदिर के पास रथों के सामने मची भगदड़ में दो महिलाओं सहित कम से कम तीन लोगों की मौत हो गई थी और 20 अन्य घायल हो गए थे। यह भगदड़ तब मची थी जब अनुष्ठान के लिए लकड़ियां ले जा रहे दो ट्रक उस क्षेत्र में प्रवेश कर गए थे।
रिपोर्ट में पुलिस अधिकारियों अजय कुमार पाधी, कमांडेंट, ओएसएपी तीसरी बटालियन, कोरापुट; विष्णु प्रसाद पाती, डीसीपी (मुख्यालय), भुवनेश्वर-कटक; तापस रंजन दास, कमांडेंट, एसएसएमएसवी, पुरी; के के नायक, डिप्टी कमांडेंट, एसएसएमएसवी, पुरी; प्रशांत कुमार साहू, डीएसपी सिटी, पुरी; सुशांत कुमार साहू, आईआईसी, कुंभरापाडा पुलिस थाना और सारदा प्रसाद दाश, कमांडेंट, ओएसएपी 8वीं बटालियन, छत्रपुर की ओर से लापरवाही पायी गयी।
जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि जांच में पाया गया कि भीड़ प्रबंधन के प्रभारी दो वरिष्ठतम अधिकारी - पाधी और पाती - भगदड़ के समय मौके पर अनुपस्थित थे। जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि उन्हें रथों के पास भीड़ का प्रबंधन करना था और जांच में उनकी लापरवाही और कर्तव्यहीनता की पुष्टि हुई है।
गृह विभाग द्वारा डीजीपी को लिखे पत्र में कहा गया है कि हालांकि उन्हें पहले ही निलंबित कर दिया गया है, लेकिन उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू करने की सिफारिश की जाती है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि जांच में पुरी स्थित एकीकृत कमान एवं नियंत्रण केंद्र (आईसीसीसी) के अंतर्गत स्थापित एआई-आधारित निगरानी और भीड़ निगरानी प्रणाली में भी गंभीर खामियां पाई गईं। रिपोर्ट में कहा गया है कि स्वीकृत 275 कैमरों में से केवल 123 ही चालू थे, जिससे कई प्रमुख क्षेत्रों पर निगरानी नहीं हो पा रही थी।
जांच रिपोर्ट में आईसीसीसी विक्रेता को काली सूची में डालने और एक अधिकारी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की गई है।
उनत्तीस जून को हुई भगदड़ के तुरंत बाद, मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने तत्कालीन पुरी जिला कलेक्टर सिद्धार्थ शंकर स्वैन और एसपी वी. अग्रवाल का तबादला कर दिया था।
भाषा अमित