तमिलनाडु राजभवन का विधेयकों को मंजूरी देने में देरी से इनकार, कहा: 81 फीसदी विधेयकों को दी मंजूरी
सिम्मी संतोष
- 08 Nov 2025, 01:40 PM
- Updated: 01:40 PM
चेन्नई, आठ नवंबर (भाषा) तमिलनाडु राजभवन ने राज्य विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों को मंजूरी देने में राज्यपाल आर एन रवि की ओर से देरी किए जाने के आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि उन्होंने 81 प्रतिशत विधेयकों को मंजूरी दे दी है।
राजभवन ने सार्वजनिक रूप से लगाए गए इन ‘‘निराधार और तथ्यात्मक रूप से गलत आरोपों’’ पर आपत्ति जताई कि राज्यपाल तमिलनाडु विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों को मंजूरी देने में देरी कर रहे हैं और उनके ‘‘कार्य लोगों के हितों के खिलाफ हैं।’’
राजभवन ने कहा कि राजभवन के आधिकारिक रिकॉर्ड से पता चलता है कि 31 अक्टूबर तक प्राप्त कुल विधेयकों में से 81 प्रतिशत को मंजूरी दी गई थी।
उसने कहा कि इनमें से 95 विधेयकों को तीन महीने के भीतर मंजूरी दे दी गई।
बृहस्पतिवार को जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया, ‘‘13 प्रतिशत विधेयक राष्ट्रपति के विचारार्थ सुरक्षित रखे गए हैं (इनमें से 60 प्रतिशत विधेयक राज्य सरकार की सिफारिश पर सुरक्षित रखे गए हैं)।
इसमें कहा गया कि शेष विधेयक अक्टूबर 2025 के अंतिम सप्ताह में प्राप्त हुए हैं और विचाराधीन हैं।
विज्ञप्ति में कहा गया, ‘‘ये विवरण सोशल मीडिया के जरिए और सार्वजनिक रूप से किए गए दावों की असत्यता को प्रदर्शित करेंगे। विधानसभा में वापस भेजे गए और (विधानसभा द्वारा) दोबारा पारित किए गए विधेयकों को मंजूरी दे दी गई है। राज्यपाल ने 10 विधेयकों को रोक लिया और सरकार को इस निर्णय से अवगत करा दिया गया।’’
बयान में कहा गया कि जब ये विधेयक विधानसभा द्वारा पुनः पारित कर प्रस्तुत किए गए तो राज्यपाल ने इन्हें भारत के राष्ट्रपति के विचारार्थ सुरक्षित रख लिया क्योंकि ये संसद के अधिनियम के तहत बनाए गए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के नियमों के प्रावधानों के विपरीत हैं और इसलिए इन्हें राज्य विधानमंडल के अधिकार क्षेत्र से बाहर माना गया।
इसमें कहा गया कि राज्यपाल ने कानून के शासन को बनाए रखने और तमिलनाडु की जनता के हितों की रक्षा के लिए प्रत्येक विधेयक की पूरी तत्परता से समीक्षा की। इसमें कहा गया कि उन्होंने हमेशा भारतीय संविधान के प्रावधानों के अनुसार कार्य किया और राज्य की जनता के प्रति पूरी ईमानदारी, पारदर्शिता और प्रतिबद्धता रखते हुए बिना किसी राजनीतिक पूर्वाग्रह के, पूरी निष्पक्षता, परिश्रम और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के प्रति सम्मान के साथ अपने संवैधानिक कर्तव्यों का पालन किया है।
बयान में कहा गया कि वह संविधान के तहत यह सुनिश्चित करने के लिए अपने कर्तव्य से बंधे हैं कि सभी विधेयक संविधान के अनुरूप हों।
भाषा सिम्मी