भूमि सौदा रद्द, पार्थ को नहीं पता था कि यह सरकारी संपत्ति है : अजित पवार
अविनाश पवनेश
- 07 Nov 2025, 08:38 PM
- Updated: 08:38 PM
मुंबई, सात नवंबर (भाषा) महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने शुक्रवार को कहा कि उनके बेटे पार्थ और उनके कारोबारी सहयोगी को इस बात की जानकारी नहीं थी कि पुणे में उनकी कंपनी द्वारा खरीदी गई जमीन सरकारी है और अब इस विवादास्पद सौदे को रद्द कर दिया गया है।
पवार ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात के तुरंत बाद यहां संवाददाताओं से कहा कि 300 करोड़ रुपये के इस सौदे की जांच के लिए सरकार द्वारा नियुक्त समिति एक महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट देगी।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) प्रमुख ने कहा कि सौदे से संबंधित दस्तावेज़ों का पंजीकरण रद्द कर दिया गया है और इस आशय का एक हलफनामा अधिकारियों को सौंप दिया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि इस सौदे में एक भी रुपये का लेन-देन नहीं हुआ है।
पवार ने कहा, ‘‘संबंधित जमीन सरकारी है जिसे बेचा नहीं जा सकता। पार्थ और उनके सहयोगी दिग्विजय पाटिल को इस तथ्य की जानकारी नहीं थी। पंजीकरण (बिक्री का) कैसे हुआ और इसके लिए कौन ज़िम्मेदार है, यह अतिरिक्त मुख्य सचिव विकास खरगे की अगुवाई में हो रही जांच में पता चलेगा और वह एक महीने में अपनी रिपोर्ट सौंप देंगे।’’
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी जानकारी के अनुसार, अधिकारियों पर पार्थ पवार की कंपनी (अमाडिया एंटरप्राइजेज एलएलपी) को ज़मीन हस्तांतरित करने का कोई दबाव नहीं था।
अजित पवार ने कहा कि प्राथमिकी में तीन लोगों (दिग्विजय पाटिल सहित) के नाम हैं, लेकिन उनके बेटे का नहीं है, क्योंकि वे तीनों लोग दस्तावेज़ों पर हस्ताक्षर करने के लिए रजिस्ट्रार कार्यालय गए थे।
राकांपा नेता के अनुसार उन्होंने अधिकारियों से कहा है कि अगर उन्हें उनके रिश्तेदारों से जुड़े किसी अन्य ज़मीन सौदे में कोई अनियमितता मिलती है, तो उन्हें उस सौदे को रद्द कर देना चाहिए और कार्रवाई करनी चाहिए।
पवार ने कहा कि उन्होंने फडणवीस से बातचीत की थी, जो बृहस्पतिवार को नागपुर में थे, जब मीडिया ने इस विवाद पर खबर दी। उन्होंने मुख्यमंत्री से कहा था कि वह उचित कार्रवाई कर सकते हैं।
अजित पवार ने कहा कि पार्थ पवार इस लेन-देन में शामिल कंपनी के निदेशक हैं। राकांपा नेता ने कहा कि तथ्यों को पूरी तरह से समझने के लिए उन्होंने संबंधित अधिकारियों और अपने बेटे से बात की।
उपमुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि न तो मैंने और न ही मेरे कार्यालय ने कोई फ़ोन किया, कोई मदद की, और न ही किसी भी स्तर पर इस लेन-देन के बारे में हमारी कोई भूमिका या जानकारी थी।’’
उन्होंने कहा कि उपलब्ध जानकारी से स्पष्ट है कि यह केवल ज़मीन खरीदने का एक समझौता था और पार्थ, उनकी कंपनी अमाडिया या उनके परिवार के किसी भी सदस्य द्वारा विक्रेता को कोई भुगतान नहीं किया गया था और ज़मीन का कब्ज़ा भी नहीं लिया गया है। इसलिए, लेन-देन पूरा नहीं हुआ है।
भाषा अविनाश