चीन ने अपने तीसरे विमानवाहक पोत को बेड़े में शामिल किया
संतोष रंजन
- 07 Nov 2025, 07:43 PM
- Updated: 07:43 PM
(के जे एम वर्मा)
बीजिंग, सात नवंबर (भाषा) चीन ने अपने तीसरे विमानवाहक पोत ‘फुजियान’ को नौसैनिक बेड़े में शामिल कर लिया है। इसे विद्युतचुंबकीय प्रक्षेपण प्रणाली (इलेक्ट्रोमैग्नेटिक कैटापल्ट) से लैस सबसे आधुनिक युद्धपोत बताया जा रहा है जिससे विमानों को उड़ान भरने में मदद मिलती है।
‘फुजियान’ को चीनी नौसेना में शामिल किये जाने के अवसर पर आयोजित गोपनीय समारोह में चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग भी मौजूद थे।
फुजियान एक ‘इलेक्ट्रोमैग्नेटिक एयरक्राफ्ट लॉन्च सिस्टम’ (ईएमएएलएस) से लैस है, जिसका इस्तेमाल केवल अमेरिकी विमानवाहक पोत यूएसएस गेराल्ड आर फोर्ड द्वारा किया जाता है।
हांगकांग स्थित ‘साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट’ की खबर के अनुसार अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले हफ्ते कहा था कि वह ईएमएएलएस तकनीक को छोड़कर भाप ऊर्जा पर वापस जाना चाहते हैं।
उन्होंने इस उन्नत प्रक्षेपण प्रणाली को महंगा, अविश्वसनीय और मरम्मत के लिहाज से मुश्किल बताया।
हालांकि, तीनों चीनी विमानवाहक पोत पारंपरिक रूप से संचालित हैं, लेकिन हालिया रिपोर्टों में कहा गया है कि चीन कथित तौर पर डालियान में अपना चौथा विमानवाहक पोत बना रहा है, जो परमाणु प्रणोदन से संचालित हो सकता है ताकि इसकी क्षमता और वैश्विक पहुंच बढ़ाने के साथ उन्नत प्रणालियों को चलाने के लिए काफी अधिक शक्ति प्रदान की जा सके।
नौसेना के लिए विमानवाहक पोत रखने वाले प्रमुख देशों की सूची में सबसे आखिरी देश चीन के पास वर्तमान में दो विमानवाहक पोत हैं: लियाओनिंग, जो 2012 में शामिल किये गये सोवियत युग के जहाज का एक रिफिट है, और शेडोंग, जो 2019 में चालू होने वाला एक स्वदेशी विमानवाहक पोत है।
सेना ने जब कहा कि वाहक-आधारित विमान जे-15टी, जे-35 और कोंगजिंग-600 ने इसके सपाट डेक पर ‘कैटापुल्ट की मदद से उड़ान भरने’ और ‘अरेस्टेड लैंडिंग’ करने का प्रशिक्षण सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है, इसके बाद फुजियान को इसमें शामिल कर लिया गया ।
तीनों विमान वाहक पोत पारंपरिक रूप से संचालित हैं। 80,000 टन विस्थापन के साथ फुजियान इनमें से सबसे बड़ा है।
विश्लेषकों का कहना है कि अमेरिका के साथ बढ़ते तनाव के साथ, चीन विभिन्न वैश्विक समुद्री मार्गों में संचालन के लिए और अधिक विमानवाहक पोत बना सकता है।
चीन की सरकारी समाचार एजेंसी ‘शिन्हुआ’ के अनुसार, शी चिनफिंग (चीनी सेना के समग्र उच्च कमान, केंद्रीय सैन्य आयोग (सीएमसी) के प्रमुख) को फुजियान की युद्ध क्षमताओं और उसके उन्नत विद्युत चुम्बकीय कैटापल्ट के उपयोग के बारे में जानकारी दी गई।
शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, चीनी सेना के तेजी से आधुनिकीकरण पर जोर देने वाले व्यक्ति के रूप में शी चिनफिंग ने स्वयं नौसेना को ईएमएएलएस तकनीक का उपयोग करने का निर्देश दिया।
कमांडिंग अधिकारियों और पायलटों द्वारा विमान के तकनीकी और सामरिक प्रदर्शन और विद्युत चुम्बकीय कैटापल्ट के लाभों के बारे में चिनफिंग को जानकारी दी गई। इसके अलावा राष्ट्रपति शी ने टॉवर का दौरा किया और उड़ान कमान, टेक-ऑफ और लैंडिंग संचालन के बारे में जानकारी प्राप्त की।
तीसरे विमानवाहक पोत के संचालन के साथ उम्मीद की जा रही है कि चीनी नौसेना द्वारा ताइवान जलडमरूमध्य और विवादित दक्षिण चीन सागर के आसपास के क्षेत्र में इसे तैनात कर सकती है।
चीन ताइवान को अपनी मुख्य भूमि का हिस्सा बताता है। वह दक्षिण चीन सागर के अधिकांश हिस्से पर भी अपना दावा करता है। फिलीपीन, वियतनाम, मलेशिया, ब्रुनेई और ताइवान के भी प्रति-दावे हैं।
फुजियान के संचालन के साथ, चीन भारत के निकटवर्ती क्षेत्र हिंद महासागर और अरब सागर में विमानवाहक पोतों की तैनाती का विस्तार भी कर सकता है, जहां उसका नौसैनिक बेड़ा सक्रिय है। इस क्षेत्र में अफ्रीका के हॉर्न में स्थित जिबूती और पाकिस्तान के ग्वादर में उसका नौसैनिक अड्डा है, इसके अलावा श्रीलंका में स्थित वाणिज्यिक बंदरगाह ‘हंबनटोटा’ पर भी उसका कब्जा है।
बीबीसी की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, चीन के पास अब दुनिया का सबसे बड़ा परिचालन बेड़ा है, जिसमें 234 युद्धपोत हैं, जबकि अमेरिकी नौसेना के पास केवल 219 हैं।
विमानवाहक पोत, आईएनएस विक्रांत और आईएनएस विक्रमादित्य का संचालन करने वाली भारतीय नौसेना भी हिंद महासागर में अपना प्रभुत्व बनाए रखने के लिए और अधिक नौसैनिक जहाजों को शामिल करके इस क्षेत्र में आगे बढ़ रही है।
चीन एक नया लड़ाकू विमान विकसित कर रहा है जो उसके वाहक समूहों से संचालित हो सकता है।
चीनी सैन्य मामलों के विशेषज्ञ झांग जुनशे ने चीन के सरकारी अखबार ‘ग्लोबल टाइम्स’ को बताया कि फुजियान का नौसेना में शामिल होना पीएलए की नौसेना को तटीय रक्षा से सुदूर समुद्र की रक्षा में समर्थ बनाने से जुड़े परिवर्तन की दिशा में उपलब्धियों का प्रतीक है।
झांग ने कहा कि फुजियान के नौसेना में शामिल होने से पीएलए नौसेना में तीन बड़े बदलाव के साथ इसकी क्षमता में उछाल आएगा। पहला, इलेक्ट्रोमैग्नेटिक कैटापुल्ट सिस्टम का इस्तेमाल, जो विमानों को पूरे ईंधन और गोला-बारूद के साथ उड़ान भरने में सक्षम बनाता है, जिससे युद्ध का दायरा बढ़ता है और आक्रमण क्षमता में भी इजाफा होता है।
चीनी सैन्य टिप्पणीकार सोंग झोंगपिंग ने कहा, ‘‘चपटे डेक वाला चीन का पहला विमानवाहक पोत होने के नाते, तथा विद्युत चुम्बकीय कैटापल्ट, विद्युत चुम्बकीय ‘अरेस्ट गियर’ और पूर्ण विद्युत प्रणोदन प्रणाली सहित कई उन्नत प्रौद्योगिकियों का उपयोग करने के कारण, इसकी डिलीवरी की गति उल्लेखनीय रूप से तेज है।’’
सोंग ने कहा कि फुजियान एकमात्र चीनी विमानवाहक पोत है जो ‘फिक्स्ड-विंग’ वाले विमान और हेलीकॉप्टरों को एकीकृत करने में सक्षम है, जिससे विमानवाहक पोत की परिचालन क्षमता में वृद्धि होगी।
भाषा संतोष