प्रादा की 69,000 रुपये की क्रौशे ‘सेफ्टी-पिन’ इंटरनेट पर चर्चा का विषय बनी
नेत्रपाल नरेश
- 06 Nov 2025, 07:06 PM
- Updated: 07:06 PM
नयी दिल्ली, छह नवंबर (भाषा) रोज़मर्रा की ज़रूरत ‘सेफ्टी पिन’ अब बेशकीमती हो गई है। कम से कम इसकी कीमत के मामले में तो यही कहा जा सकता है।
इतालवी लक्जरी फैशन ब्रांड प्रादा ने इस साधारण धातु के ‘फास्टनर’ की कीमत 775 अमेरिकी डॉलर या लगभग 69,000 रुपये आंकी है।
पीतल की पिन, ब्रौच का भी काम करेगी। इसकी डिज़ाइनर विशेषता इसकी सुनहरी चमक और क्रोशिये की बारीक कारीगरी है। यह ऑनलाइन और क्रोशिया समुदाय में तेज़ी से चर्चा का विषय बन गई है। कई लोगों ने इसे लेकर अपनी नाराजगी भी जताई है।
प्रादा की नवीनतम पेशकश ने विशेष रूप से क्रोशिया प्रेमी समुदाय को नाराज कर दिया, जिसने इसे अनुचित बताया तथा इसे खरीदने वालों की पसंद पर सवाल उठाया।
गाजियाबाद की क्रोशिया कारीगर रजनी शर्मा ने कहा कि यह बड़े ब्रांडों द्वारा विलासिता के नाम पर लोगों को लूटने का एक और तरीका है तथा इसे बनाने में दो मिनट से ज्यादा समय नहीं लगेगा।
शर्मा ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘क्रोशिया की शुरुआती स्तर की समझ रखने वाला कोई भी व्यक्ति इसे बना सकता है।’’
उन्होंने कहा कि पिन के लूप से शुरू करके, एक या एक से ज़्यादा रंगों में ‘सिंगल क्रोशिया’ टाँकों की एक पंक्ति बनाकर ‘प्रादा सेफ्टी पिन’ बनाई जा सकती है। उन्होंने कहा कि इसे आकर्षक दिखाने के लिए आप इसमें कुछ और आकर्षक बना सकते हैं।
शर्मा की भावना को सोशल मीडिया पर क्रॉशेटर्स ने दोहराया, जिन्होंने इंस्टाग्राम रील पोस्ट कीं और सेफ्टी पिन के अपने संस्करण अपलोड किए। कुछ ने तो इसे एक मिनट से भी अधिक समय में बना लिया।
इंटरनेट पर भारतीयों ने इसे ‘‘अंधाधुंध लूटमार’’ कहा और इसकी तुलना अपनी माताओं के निजी संग्रह से की, वहीं दुनिया भर के सोशल मीडिया अकाउंट ने एक साथ मिलकर सेफ्टी पिन के बेतुकेपन पर हंसी उड़ाई।
सपना मदान नाम की एक उपयोगकर्ता ने ‘एक्स’ पर लिखा, ‘अंधाधुन लूटमार बाय प्रादा। उनका लेटेस्ट ‘‘लक्ज़री’’ आइटम एक सेफ्टी पिन है जिसकी कीमत 775 डॉलर है।’’
प्रादा ने सेफ्टी पिन ब्रोच को तीन रंगों में पेश किया है: हल्का नीला, गुलाबी और नारंगी, तथा इसमें ब्रांड का ‘लोगो’ भी है।
इंस्टाग्राम पर एक व्यक्ति ने कहा, ‘‘प्रादा शायद अपना दिमाग़ खो बैठा है। इसे कौन खरीदेगा?’’ वहीं, एक अन्य व्यक्ति ने लिखा, ‘‘मुझे लगा था कि मैंने सबकुछ देख लिया है, जब तक कि मैंने इसे नहीं देखा!’’
यह पहली बार नहीं है जब इस फैशन ब्रांड ने पूरी तरह से अनपेक्षित कारणों से धूम मचाई है।
इस ब्रांड की आलोचना इस बात के लिए की गई कि इसने सदियों से काम करने वाले भारतीय कारीगरों का श्रेय और विरासत चुरा ली है।
प्रादा के एक प्रतिनिधि ने कहा था, ‘‘हम मानते हैं कि हाल ही में आयोजित प्रादा मेन्स 2026 फैशन शो में प्रदर्शित सैंडल सदियों पुरानी विरासत वाले पारंपरिक भारतीय दस्तकारी वाले जूतों से प्रेरित हैं। हम इस भारतीय शिल्प कौशल के सांस्कृतिक महत्व को गहराई से समझते हैं।’’
भाषा नेत्रपाल