गहरे समुद्र में खनन से समुद्री खाद्य जाल के बाधित होने का खतरा: अध्ययन
नेत्रपाल माधव
- 06 Nov 2025, 06:21 PM
- Updated: 06:21 PM
वाशिंगटन, 6 नवंबर (एपी) समुद्र की गहराई में खनिजों के लिए खनन से विशाल समुद्री खाद्य जाल के केंद्र में स्थित छोटे जीवों के लिए बुरे परिणाम हो सकते हैं और अंततः मत्स्य पालन तथा हमारी थाली में मिलने वाले भोजन पर भी असर पड़ सकता है।
गहरे समुद्र में खनन का अर्थ है समुद्र तल में ‘पॉलीमेटेलिक नोड्यूल्स’ की खुदाई करना, जिनमें तांबा, लोहा, जस्ता आदि जैसे महत्वपूर्ण खनिज होते हैं। हालाँकि अभी तक इसका व्यावसायीकरण नहीं हुआ है, फिर भी देश इलेक्ट्रिक वाहनों और ऊर्जा परिवर्तन के अन्य पहलुओं के साथ-साथ प्रौद्योगिकी एवं सैन्य उपयोग में इन खनिजों की बढ़ती माँग के बीच गहरे समुद्र में खनन कार्य कर रहे हैं।
अनुसंधानकर्ताओं ने 2022 में गहरे समुद्र में खनन परीक्षण से एकत्रित पानी और अपशिष्ट की जांच की।
हवाई विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ताओं ने प्रशांत महासागर के एक क्षेत्र का अध्ययन किया, जिसे ‘ट्वाइलाइट ज़ोन’ कहा जाता है, जो समुद्र तल से लगभग 650-5,000 फुट (200-1,500 मीटर) नीचे है।
‘नेचर कम्युनिकेशंस’ नामक वैज्ञानिक पत्रिका में बृहस्पतिवार को प्रकाशित निष्कर्षों में कहा गया है कि खनन अपशिष्ट 0.08 इंच (2 मिलीमीटर) से छोटे झींगों से लेकर 2 इंच (5 सेंटीमीटर) लंबी मछलियों तक, किसी भी चीज़ को प्रभावित कर सकता है।
ऐसा इसलिए है क्योंकि खनन कंपनियाँ खनिज-समृद्ध पिंडों को सतह पर लाने के बाद, अतिरिक्त समुद्री जल, समुद्र तल की मिट्टी और तलछट को वापस समुद्र में छोड़ देती हैं। इससे कणों का एक धुंधला गुबार बनता है, जो लगभग उसी आकार का होता है जितना कि प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले खाद्य कण, जिन्हें आमतौर पर उस गहराई पर तैरने वाले ‘ज़ूप्लैंकटन’ खाते हैं।
यह समुद्र में मौजूद ज़ूप्लैंक्टन के आधे से थोड़ा ज़्यादा है। अगर ये जीव अपशिष्ट कणों को खाते हैं-जिसे वरिष्ठ अध्ययन लेखक ब्रायन पॉप ने ‘‘जंक फ़ूड’’ कहा है, तो इससे ज़ूप्लैंक्टन खाने वाले 60 प्रतिशत माइक्रोनेक्टन प्रभावित होते हैं।
और यह अल्पपोषण एक समस्या है, क्योंकि ये छोटे जीव श्रृंखला में भोजन का स्रोत हैं - जो अंततः माही माही या टूना जैसी व्यावसायिक रूप से महत्वपूर्ण मछलियों को प्रभावित करते हैं।
अध्ययन के प्रमुख लेखक और समुद्र विज्ञान स्नातक छात्र माइकल डाउड ने कहा, ‘‘सतह पर पाई जाने वाली मछलियाँ पानी में बहुत गहराई तक गोता लगा सकती हैं, वे गहराई में रहने वाले जीवों को खाती हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यदि ये जीव गहराई में अधिक समय तक नहीं बचते, क्योंकि उनका खाद्य जाल नष्ट हो गया है, तो इससे उच्च खाद्य जाल और अधिक वाणिज्यिक हितों पर प्रभाव पड़ सकता है।’’
भाषा
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