एसआईआर के भय से हुई ‘मौतों’ की निंदा करने के लिए विधानसभा में प्रस्ताव लाने पर विचार : तृणमूल
धीरज नरेश
- 05 Nov 2025, 05:45 PM
- Updated: 05:45 PM
कोलकाता, पांच नवंबर (भाषा) पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की प्रक्रिया की वजह से राज्य भर में हुई कथित मौतों और फैली दहशत की निंदा करने के लिए राज्य विधानसभा के आगामी शीतकालीन सत्र के दौरान एक प्रस्ताव लाने पर विचार कर रही है।
तृणमूल का आरोप है कि केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले मतदाता सूची में हेरफेर करने के लिए इस प्रक्रिया का इस्तेमाल कर रही है।
पार्टी के एक वरिष्ठ विधायक ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘यह कोई सामान्य मतदाता सूची अद्यतन नहीं है, यह राजनीति से प्रेरित अभियान है जिसका उद्देश्य लोगों को डराना और बंगाल के लोकतांत्रिक ताने-बाने से छेड़छाड़ करना है।’’
उन्होंने कहा कि विधानसभा को इस दहशत की मानवीय कीमत के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराना चाहिए और नागरिकों को आश्वस्त करना चाहिए कि उनके अधिकार सुरक्षित हैं।
तृणमूल के एक अन्य विधायक ने कहा, ‘‘इस राजनीति से प्रेरित कवायद के खिलाफ प्रस्ताव लाने पर चर्चा चल रही है। लेकिन अभी तक कुछ भी तय नहीं हुआ है क्योंकि आगामी शीतकालीन सत्र की तारीखें अभी तय नहीं हुई हैं।’’
पार्टी विधायक दल के एक वरिष्ठ सदस्य ने कहा कि प्रस्ताव को प्रतीकात्मक लेकिन मजबूत प्रतिक्रिया के रूप में पेश करने के लिए चर्चा चल रही है, जिसे तृणमूल ‘‘बंगाल के मतदाताओं को अस्थिर करने का एक जानबूझकर किया गया प्रयास’’ कहती है।
उन्होंने कहा, ‘‘एक बार नेतृत्व इसे मंजूरी दे दे तो हम इसे सदन में पेश करेंगे।’’
विधानसभा का शीतकालीन सत्र नवंबर के मध्य में शुरू होने की संभावना है। माना जा रहा है कि 2026 के राज्य चुनावों से पहले वर्तमान विधानसभा की आखिरी पूर्ण बैठक होगी। फरवरी में केवल एक अंतरिम बजट सत्र की उम्मीद है।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और सांसद अभिषेक बनर्जी ने मंगलवार को मध्य कोलकाता में रेड रोड से जोरासांको तक विरोध मार्च का नेतृत्व किया और भाजपा पर एसआईआर को मतदाताओं को डराने का साधन बनाने का आरोप लगाया।
उन्होंने लोगों से न घबराने का आग्रह करते हुए कहा था, ‘‘भय अभियान ने पहले ही कई लोगों की जान ले ली है।’’
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेतृत्व वाली केरल सरकार ने भी इसी तरह का कदम उठाया था। केरल विधानसभा ने 29 सितंबर को एक प्रस्ताव पारित किया था जिसमें एसआईआर प्रक्रिया से उत्पन्न ‘‘सामाजिक संकट और बहिष्कार संबंधी भय’’ पर चिंता व्यक्त की गई थी।
भाषा धीरज