बोम्मई का सिद्धरमैया से गन्ना किसानों को 3,500 रु प्रति टन मूल्य सुनिश्चित करने का आग्रह
अमित नरेश
- 05 Nov 2025, 05:38 PM
- Updated: 05:38 PM
बेंगलुरु, पांच नवंबर (भाषा) कर्नाटक में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता बसवराज बोम्मई ने बुधवार को मुख्यमंत्री सिद्धरमैया से तत्काल हस्तक्षेप करने और यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि गन्ना किसानों को उनकी मांग के अनुसार 3,500 रुपये प्रति टन का खरीद मूल्य मिले।
बोम्मई ने सुझाव दिया कि चीनी मिलों को 3,300 रुपये प्रति टन का भुगतान करना चाहिए, जबकि राज्य सरकार को किसानों की मांग पूरी करने के लिए 200 रुपये प्रति टन का योगदान देना चाहिए। बोम्मई ने आरोप लगाया कि कई मंत्रियों के "चीनी कारोबार में निहित स्वार्थ" हैं और उन्होंने मुख्यमंत्री से स्वयं हस्तक्षेप करके इस मुद्दे को सुलझाने का आग्रह किया।
उत्तरी कर्नाटक के कुछ हिस्सों में गन्ना उत्पादक लगातार सातवें दिन भी खरीद मूल्य में वृद्धि की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
उत्तरी कर्नाटक के बेलगावी, बागलकोट, हावेरी आदि जिलों में फैले किसानों के इस विरोध प्रदर्शन को विभिन्न किसान संघों, संगठनों, विपक्षी भाजपा, छात्रों आदि का समर्थन प्राप्त है। आंदोलनकारी किसानों ने मंगलवार को बेलगावी क्षेत्र में कुछ प्रमुख मार्गों को कथित तौर पर अवरुद्ध कर दिया था।
बोम्मई ने एक बयान में कहा, ‘‘मैंने मुख्यमंत्री से गन्ने का मूल्य 3,500 रुपये प्रति टन तय करने का पहले ही आग्रह किया है। हालांकि, मुख्यमंत्री किसानों के प्रति उदासीन प्रतीत होते हैं और अपने पद को बनाए रखने के राजनीतिक गुणा-भाग में व्यस्त हैं, जिससे उनके पास किसानों की समस्याओं का समाधान करने का समय नहीं है।’’
उन्होंने कहा कि गन्ना किसानों को हर साल समस्याओं का सामना करना पड़ता है। कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बोम्मई ने कहा, ‘‘केंद्र सरकार द्वारा एफआरपी (उचित और लाभकारी मूल्य) तय करने के बाद, चीनी मिल इथेनॉल और बिजली जैसे उप-उत्पाद बनाती हैं, जिससे अतिरिक्त आय होती है। इसलिए, उनके लिए किसानों द्वारा मांगी गई कीमत का भुगतान करना संभव है।"
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के पास कानूनी तौर पर गन्ने का मूल्य तय करने का अधिकार है और उसे किसानों की मांग के अनुसार दर निर्धारित करने का आदेश जारी करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि सरकार इस मुद्दे को दो तरीकों से हल कर सकती है। हावेरी से सांसद ने कहा कि राज्य चीनी और अन्य उप-उत्पादों से लगभग 27,000 करोड़ रुपये कमाता है। उन्होंने कहा कि इसमें से सरकार को 200 रुपये प्रति टन और कारखाना मालिकों को 3,300 रुपये प्रति टन देना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘इस तरह, किसानों को कुल 3,500 रुपये प्रति टन मिल सकते हैं।"
उन्होंने कहा कि चीनी मिल भी बिजली पैदा करती हैं। बोम्मई ने कहा, "महाराष्ट्र में, कारखाना मालिकों ने पीपीए (बिजली खरीद समझौते) किए हैं जिसके तहत उन्हें 5.5 रुपये प्रति यूनिट की दर मिलती है। अगर कर्नाटक में भी इसी तरह के समझौते किए जाते हैं, तो कारखानों को मौजूदा 3 रुपये प्रति यूनिट की बजाय 5.5 रुपये प्रति यूनिट की कमाई होगी। यह अतिरिक्त आय उन्हें किसानों को बेहतर दर देने में मदद कर सकती है।"
उन्होंने कहा कि इसलिए, राज्य सरकार को अपनी शक्तियों का प्रयोग करना चाहिए, कारखाना मालिकों के साथ बातचीत करनी चाहिए और किसानों की "उचित मांग" के अनुसार 3,500 रुपये प्रति टन की दर तय करनी चाहिए। अगर इसमें देरी हुई, तो इसका राज्य के किसानों पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा, जो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण होगा।
उन्होंने कहा, "सरकार को जल्द से जल्द कार्रवाई करनी चाहिए।" बोम्मई ने कहा कि भाजपा हमेशा किसानों के साथ खड़ी रही है और उनके हितों के लिए लड़ती रही है, और यह तथ्य कि प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बी वाई विजयेंद्र पहले ही विरोध प्रदर्शन में शामिल हो चुके हैं, इस प्रतिबद्धता का प्रमाण है।
उन्होंने कहा, "इसके साथ ही, अन्य संबंधित मुद्दों पर भी चर्चा होनी चाहिए। गन्ने की पेराई तुरंत शुरू होनी चाहिए।"
भाषा अमित