एफएटीएफ ने धनशोधन मामलों में ईडी की कोशिशों को सराहा
अजय रमण
- 05 Nov 2025, 04:50 PM
- Updated: 04:50 PM
नयी दिल्ली, पांच नवंबर (भाषा) वैश्विक स्तर पर आतंकवाद के वित्तपोषण पर नजर रखने वाले संस्थान वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (एफएटीएफ) ने मनी लांड्रिंग यानी धन शोधन मामलों में भारत के प्रवर्तन निदेशालय के कार्यों की सराहना की है।
संस्थान ने वैश्विक सर्वोत्तम गतिविधियों पर अपनी रिपोर्ट में भारत के प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के मामलों के निपटाने के तरीकों का उल्लेख करते हुए उन मामलों का विस्तार से जिक्र किया गया है जहां ईडी ने मनी लॉड्रिंग के मामलों को कुशलतापूर्वक निपटाया और आर्थिक अपराधियों से संपत्तियां बरामद की।
‘संपत्ति बरामदगी के लिए बेहतर गतिविधियों का मार्गदर्शन’ शीर्षक से जारी एफएटीएफ की रिपोर्ट वित्तीय अपराधों के विरुद्ध संपत्ति बरामदगी की वैश्विक प्रणालियों को सुदृढ़ करने के लिए एक अद्यतन रूपरेखा प्रदान करती है। इसमें ऐसे मामलों के अध्ययन का हवाला दिया गया है कि कैसे प्रवर्तन एजेंसियों ने निवेश, संपत्ति, बैंकिंग और अपतटीय मनी लांड्रिंग से संबंधित धोखाधड़ी गतिविधियों पर नकेल कसी।
एफएटीएफ मार्गदर्शन में भारत के कई उदाहरण दिए गए हैं। इसमें संपत्तियों का पता लगाने और उनकी बरामदगी से जुड़ी अच्छी गतिविधियों का उल्लेख किया गया है।
इसमें एक उदाहरण एग्री गोल्ड का मामला है, जहां ईडी और आंध्र प्रदेश राज्य अपराध जांच विभाग के बीच समन्वित कार्रवाई के परिणामस्वरूप एक निवेश धोखाधड़ी मामले में 6,000 करोड़ रुपये (69 करोड़ डॉलर) की संपत्ति कुर्क की गई और उन्हें पीड़ितों को वापस लौटाई गई।
आईआरईओ समूह से संबंधित एक अन्य मामले में मनी लॉड्रिंग निरोधक अधिनियम, 2002 (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत 1,777 करोड़ रुपये (20.4 करोड़ डॉलर) मूल्य की अचल संपत्तियों की कुर्की की गई। यह भारत के बाहर स्थानांतरित अपराध की आय के बराबर है। यह भारत में मूल्य-आधारित जब्ती के उपयोग की व्यवस्था को दर्शाता है।
दिशानिर्देश में भारत के भगोड़े आर्थिक अपराधी अधिनियम, 2018 का भी उल्लेख है। यह भगोड़े अपराधियों की संपत्ति को उससे दूर करने के सिद्धांत का एक उल्लेखनीय उदाहरण है। यह न्यायिक प्रक्रियाओं से बचने वाले अपराधियों की संपत्ति को जब्त करने में सक्षम बनाता है।
अंतरराष्ट्रीय सहयोग के एक उदाहरण के रूप में, दिशानिर्देश में बनमीत सिंह और अन्य के मामले का जिक्र किया गया। इस मामले में भारत को मादक पदार्थों की तस्करी और धन शोधन के लिए जांच के दायरे में दो भारतीय व्यक्तियों के संबंध में अमेरिका से पारस्परिक कानूनी सहायता का अनुरोध प्राप्त हुआ था।
इस अनुरोध पर कार्रवाई करते हुए, ईडी ने तलाशी अभियान चलाया, जिसमें लगभग 130 करोड़ रुपये (2.9 करोड़ डॉलर) मूल्य के 268.22 बिटकॉइन जब्त किए गए और 11 लाख डॉलर मूल्य की अचल संपत्तियां कुर्क की गईं। इसके बाद, जब्त और कुर्क की गई संपत्तियों की जब्ती के लिए अभियोजन पक्ष की ओर से एक शिकायत दर्ज की गई।
मार्गदर्शन में पीड़ित क्षतिपूर्ति के उदाहरण भी शामिल हैं। एक उदाहरण में, रोज वैली योजना मामले का उल्लेख किया गया है। इस मामले में सुरक्षित डिबेंचर के माध्यम से राशि जुटायी गयी और उस पैसे की मुखौटा कंपनियों के जरिये हेराफेरी की गयी।
ईडी ने अस्थायी रूप से संपत्तियां कुर्क कीं और क्षतिपूर्ति के प्रबंधन के लिए उच्च न्यायालय द्वारा गठित संपत्ति निपटान समिति के साथ समन्वय किया। न्यायालय ने 75,000 से अधिक निवेशकों को पैसे वापस देने के लिए 538 करोड़ रुपये (6.28 करोड़ डॉलर) मूल्य की कुर्क संपत्तियों को जारी करने का आदेश दिया। पीड़ित कानूनी खर्चों से बचते हुए, समिति द्वारा स्थापित एक आधिकारिक वेबसाइट के माध्यम से सीधे दावे प्रस्तुत करने में सक्षम हुए।
मार्गदर्शन में कानून लागू करने वाली एजेंसियों, वित्तीय खुफिया और कर अधिकारियों के बीच समन्वय एवं अंतरिम प्रबंधन में प्रौद्योगिकी एवं वित्तीय आंकड़ा विश्लेषण के उपयोग से संबंधित भारत में अपनायी जाने वाली गतिविधियों का भी उल्लेख किया गया है।
पेरिस स्थित एफएटीएफ एक 40-सदस्यीय निकाय है। संस्थान यह सुनिश्चित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय मानक निर्धारित करता है कि देश मादक पदार्थों की तस्करी, अवैध हथियारों के व्यापार, साइबर धोखाधड़ी और अन्य गंभीर अपराधों से जुड़े अवैध धन पर प्रभावी ढंग से कार्रवाई कर सकें।
भाषा अजय रमण