नवंबर के अंत से भारत में रूसी कच्चे तेल का आयात घटने की संभावनाः विश्लेषक
प्रेम अजय
- 05 Nov 2025, 03:28 PM
- Updated: 03:28 PM
नयी दिल्ली, पांच नवंबर (भाषा) भारत नवंबर के अंत से रूसी कच्चे तेल की सीधी खरीद में कटौती करने जा रहा है। यह कदम रूस की दो प्रमुख तेल कंपनियों पर 21 नवंबर से लागू होने वाले नए अमेरिकी प्रतिबंधों के बाद उठाया जा रहा है। विश्लेषकों ने यह संभावना जताई है।
विश्लेषकों ने कहा कि देश के कुल रूसी तेल आयात में आधे से अधिक हिस्सा रखने वाली भारतीय रिफाइनरी इकाइयां नए अमेरिकी प्रतिबंधों के अनुपालन में रूसी तेल की प्रत्यक्ष खरीद में कटौती कर सकती हैं। इनमें रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल), मंगलौर रिफाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड (एमआरपीएल) और एचपीसीएल-मित्तल एनर्जी लिमिटेड (एचएमईएल) शामिल हैं।
अमेरिका ने रूसी पेट्रोलियम कंपनियों- रोसनेफ्ट और ल्यूकऑयल पर 21 नवंबर से कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है। इसके तहत इन कंपनियों की सभी अमेरिकी संपत्तियों और वित्तीय लेनदेन पर रोक लगा दी गई है। इसके अलावा अन्य देशों की संस्थाएं भी अगर इनके साथ बड़े लेनदेन करती हैं तो उन पर भी द्वितीयक प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं।
रिलायंस का रोसनेफ्ट के साथ दीर्घकालिक आपूर्ति समझौता है, जबकि एमआरपीएल और एचएमईएल ने भी रूसी तेल की भविष्य की खेप स्थगित करने की घोषणा की है। वर्ष 2025 की पहली छमाही में भारत ने रूस से कुल 18 लाख बैरल प्रतिदिन कच्चे तेल का आयात किया जिसमें इन कंपनियों की आधे से अधिक हिस्सेदारी है।
हालांकि, रोसनेफ्ट की आंशिक हिस्सेदारी वाली नायरा एनर्जी की वडिनार रिफाइनरी (गुजरात) अपने मौजूदा रूसी तेल खरीद तरीके को बनाए रखेगी। यह रिफाइनरी पहले से ही यूरोपीय संघ के प्रतिबंधों के दायरे में है और मुख्य रूप से रूसी कच्चे तेल पर निर्भर है।
नौवहन सूचना फर्म ‘केप्लर’ के प्रमुख शोध विश्लेषक सुमित रितोलिया ने कहा, ‘‘21 नवंबर के बाद रूसी कच्चे तेल की खेपों में गिरावट दिखेगी, क्योंकि अधिकांश भारतीय रिफाइनरी अमेरिकी प्रतिबंधों का पालन करते हुए रोसनेफ्ट और ल्यूकऑयल से प्रत्यक्ष खरीद घटाएंगी या रोक देंगी।’’
केप्लर का कहना है कि दिसंबर में रूसी तेल की आपूर्ति में तेज गिरावट आने की संभावना है, जबकि 2026 के शुरुआती दौर में यह स्थिति नए व्यापारिक माध्यमों और वैकल्पिक मार्गों के जरिये धीरे-धीरे सामान्य हो सकती है।
घटते रूसी आयात की भरपाई के लिए भारतीय रिफाइनर पश्चिम एशिया, लातिनी अमेरिका, पश्चिम अफ्रीका, कनाडा और अमेरिका से कच्चे तेल की खरीद बढ़ा रहे हैं। अक्टूबर में भारत का अमेरिकी तेल आयात 5.68 लाख बैरल प्रतिदिन रहा, जो मार्च, 2021 के बाद सर्वाधिक है।
रितोलिया ने कहा, ‘‘हालांकि, उच्च ढुलाई लागत अन्य देशों से आयात के दायरे को सीमित कर सकती है, क्योंकि इससे मूल्य में आने वाला अंतर कम हो जाता है। इसके बावजूद आने वाले महीनों में भारतीय कच्चे तेल का स्रोत और अधिक विविध होने की संभावना है।’’
भाषा प्रेम
प्रेम