दिल्ली उच्च न्यायालय ने अंतरराज्यीय बाल तस्करी मामले में दो महिलाओं की जमानत रद्द की
प्रशांत दिलीप
- 04 Nov 2025, 07:10 PM
- Updated: 07:10 PM
नयी दिल्ली, चार नवंबर (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने अंतरराज्यीय बाल तस्करी गिरोह में कथित रूप से शामिल दो महिलाओं को दी गई जमानत रद्द कर दी है और कहा है कि नवजात शिशुओं से जुड़े अपराध की गंभीरता और प्रकृति उच्चतम स्तर की न्यायिक जांच की मांग करती है।
उच्च न्यायालय ने कहा कि कथित अपराध कोई अलग-थलग मामला नहीं था, बल्कि बाल तस्करी का एक सुनियोजित, लाभ से प्रेरित सिंडिकेट था और जांच से पता चला कि कई राज्यों में आपूर्तिकर्ताओं, कूरियर और प्राप्तकर्ताओं को जोड़ने वाली एक सुगठित शृंखला थी।
न्यायमूर्ति अजय दिगपॉल ने मामले में आरोपी पूजा और बिमला को जमानत देने के निचली अदालत के आदेश को खारिज करते हुए कहा कि सत्र अदालत ने अपराध की प्रकृति और गंभीरता तथा जनहित और न्याय प्रशासन पर इसके व्यापक प्रभाव पर पर्याप्त रूप से विचार नहीं किया।
उच्च न्यायालय ने कहा कि सत्र न्यायालय ने अपराध के तरीके, गवाहों को प्रभावित करने की आशंका और साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ की संभावना पर विचार नहीं किया।
उच्च न्यायालय ने कहा, “यह भी महत्वपूर्ण है कि दोनों प्रतिवादी (पूजा और बिमला) कथित तौर पर आदतन अपराधी हैं और इस अवैध व्यापार में कई बार शामिल रही हैं, तथा उन्होंने सिंडिकेट के अन्य सदस्यों के साथ पहले से ही संपर्क स्थापित कर लिया है।”
इसमें कहा गया है कि समुदाय में इन दोनों आरोपियों की उपस्थिति से उनके द्वारा गवाहों से संपर्क करने या आगे की कार्यवाही में बाधा डालने की वास्तविक आशंका है और अभियोजन पक्ष का यह डर कि वे फरार हो सकती हैं या सह-आरोपियों को प्रभावित कर सकती हैं, निराधार नहीं कहा जा सकता।
निचली अदालत के जमानत आदेश को चुनौती देते हुए अभियोजन पक्ष ने दलील दी कि यह मामला अंतरराज्यीय बाल तस्करी के एक जघन्य और संगठित गिरोह से संबंधित है, जिसमें गैरकानूनी धन के बदले पांच से दस दिन की उम्र के नवजात शिशुओं की खरीद-फरोख्त शामिल है।
अभियोजक ने कहा कि प्राथमिकी में नामजद 13 आरोपियों में से 11 के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया गया है तथा इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि पूजा और बिमला दोनों ही आपराधिक गिरोह के केंद्र में हैं। यह गिरोह दिल्ली से लेकर राजस्थान और गुजरात तक फैला हुआ है।
दिल्ली पुलिस को अप्रैल में एक गुप्त सूचना मिली और उन्होंने जाल बिछाकर तीन लोगों को गिरफ्तार किया। साथ ही, एक पांच दिन के शिशु को भी बचाया गया।
उच्च न्यायालय ने कहा, “नवजात शिशुओं से संबंधित अपराध की व्यापकता और प्रकृति उच्चतम स्तर की न्यायिक जांच की मांग करती है।” अदालत ने आरोपी को सात दिनों के भीतर निचली अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया।
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