राष्ट्रपति मुर्मू का युवाओं से विकसित भारत के लक्ष्य में योगदान देने का आह्वान
दीप्ति अमित
- 04 Nov 2025, 05:48 PM
- Updated: 05:48 PM
नैनीताल, चार नवंबर (भाषा) राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंगलवार को युवाओं से वर्ष 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने के लक्ष्य में योगदान देने के लिए आगे आने का आह्वान किया।
राष्ट्रपति मुर्मू ने यहां कुमाऊं विश्वविद्यालय में 20वें दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्य अतिथि अपने संबोधन में कहा, ‘‘हमने वर्ष 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने का लक्ष्य रखा है। इस लक्ष्य की प्राप्ति में आप जैसे युवाओं की महत्वपूर्ण भूमिका है।’’
मुर्मू ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था विश्व की तेजी से बढ़ती हुई बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है और देश में अर्थव्यवस्था के निरंतर प्रगति करने के लिए सरकार अनेक नीतिगत कदम उठा रही है।
उन्होंने कहा, ‘‘सरकार द्वारा उठाए गए कदमों से युवाओं के लिए अनेक अवसर उपलब्ध हो रहे हैं।’’ उन्होंने उच्च शिक्षण संस्थाओं से भी युवाओं को प्रोत्साहन देने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने को कहा जिससे वे इन अवसरों का समुचित उपयोग कर सकें।
राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि शिक्षा, किसी भी देश के विकास की आधारशिला होती है और इसलिए शिक्षा ऐसी होनी चाहिए, जो विद्यार्थी में बौद्धिकता और कौशल का विकास करने के साथ ही उसके नैतिक बल और चरित्र बल को भी मजबूत बनाए।
उन्होंने कहा, ‘‘शिक्षा हमें आत्मनिर्भर तो बनाती ही है, साथ ही शिक्षा हमें विनम्र बनने तथा समाज और देश के विकास में अपना योगदान देने के लिए प्रेरित भी करती है।’’
उन्होंने छात्रों से अपनी शिक्षा और उससे कमाए धन को समाज के वंचित वर्गों की सेवा और राष्ट्र-निर्माण में लगाने का आग्रह करते हुए कहा, ‘‘यही सच्चा धर्म है, जिसे निभाकर आपको सुख और संतोष मिलेगा।’’
राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि देश में शोध, नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा देना महत्वपूर्ण है। उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता जतायी कि कुमाऊं विश्वविद्यालय इन क्षेत्रों में उत्कृष्टता के लिए प्रतिबद्ध है।
उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में बहु आयामी रुख को बहुत आवश्यक बताया तथा उम्मीद जतायी की कि शिक्षा और शोध के समुचित उपयोग के लिए छात्र इस दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ेंगे।
उन्होंने कहा कि हिमालय को अनेक जीवनदायी संसाधनों के लिए जाना जाता है। उन्होंने कहा कि इन संसाधनों का संरक्षण और संवर्धन सभी का दायित्व है। उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता जतायी कि कुमाऊं विश्वविद्यालय पर्यावरण संरक्षण की दिशा में सजग प्रयास कर रहा है।
मुर्मू ने कहा कि एक शिक्षण संस्थान के रूप में कुमाऊं विश्वविद्यालय के कुछ सामाजिक दायित्व भी हैं। उन्होंने संस्थान के शिक्षकों और विद्यार्थियों से आस-पास के गांवों में जाने और उनकी समस्याओं को जानने एवं उनके समाधान ढूंढने के यथासंभव प्रयास करने का आग्रह किया।
भाषा दीप्ति