केरल राज्य फिल्म पुरस्कार: बाल कलाकारों को पुरस्कार नहीं देने पर विवाद, मंत्री ने दी प्रतिक्रिया
सिम्मी सुरेश
- 04 Nov 2025, 02:48 PM
- Updated: 02:48 PM
तिरुवनंतपुरम, चार नवंबर (भाषा) केरल राज्य फिल्म पुरस्कार निर्णायक मंडल द्वारा बाल कलाकारों और बच्चों की फिल्मों को पुरस्कार नहीं दिए जाने को लेकर उत्पन्न विवाद के बीच प्रसिद्ध बाल कलाकार देवा नंदा एवं फिल्म निर्माता विनेश विश्वनाथ ने इसकी आलोचना की है।
‘मलिकाप्पुरम’ की अभिनेत्री देवा नंदा ने फेसबुक पर एक ‘पोस्ट’ साझा कर निर्णायक मंडल पर भावी पीढ़ी की अनदेखी करने का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा कि कई प्रतिभाशाली बाल कलाकारों ने ‘स्थानार्थी श्रीकुट्टन’, ‘गु’, ‘आर्म’ और ‘फीनिक्स’ जैसी फिल्मों में शानदार अभिनय किया है।
राज्य के सिनेमा एवं सांस्कृतिक मामलों के मंत्री साजी चेरियन ने, हालांकि इस आलोचना को खारिज करते हुए कहा कि जूरी को 2024 के लिए प्रस्तुत फिल्में पर्याप्त रचनात्मक नहीं लगीं।
देवा नंदा ने कहा कि योग्य बाल कलाकारों को पुरस्कार देने से इनकार करना ‘‘फिल्मों में अभिनय करने के लिए अधिक बच्चों को प्रोत्साहित करने’’ की निर्णायक मंडल के अध्यक्ष अभिनेता प्रकाश राज की इच्छा के विपरीत है।
उन्होंने कहा, ‘‘अगर उन दो बच्चों (लड़का एवं लड़की श्रेणी में बाल कलाकारों) को पुरस्कार मिलते तो यह कई अन्य लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन जाता।’’
देवा नंदा ने कहा कि निर्णायक मंडल के अध्यक्ष ने कहा था कि बच्चों को अधिक अवसर मिलने चाहिए, क्योंकि वे भी समाज का हिस्सा हैं, लेकिन वे बच्चों के अधिकारों को समझने में विफल रहे।
उन्होंने कहा, ‘‘यह बेहद निराशाजनक है।’’
उन्होंने कहा कि बदलाव बच्चों के अधिकारों की रक्षा करके आना चाहिए, न कि उन्हें नकारकर।
फिल्म ‘स्थानार्थी श्रीकुट्टन’ का निर्देशन करने वाले फिल्म निर्माता विनेश विश्वनाथ ने भी निर्णायक मंडल के फैसले पर नाराजगी व्यक्त की।
उन्होंने फेसबुक पर अपनी फिल्म की तस्वीर साझा की और बाल फिल्मों के बारे में की गई निर्णायक मंडल के अध्यक्ष की टिप्पणी का स्पष्ट रूप से जिक्र करते हुए कहा, ‘‘सर्वश्रेष्ठ बाल कलाकार के लिए कोई भी योग्य प्रविष्टि न होने वाली दुनिया में वे (बाल कलाकार) बुलंदियां छू रहे हैं।’’
उन्होंने सोमवार को त्रिशूर में राज्य फिल्म पुरस्कारों की घोषणा के दौरान दिए प्रकाश राज के बयान का एक वीडियो भी टैग किया।
मंत्री चेरियन ने कहा कि ये फिल्में पुरस्कार पाने के लिए जरूरी मानकों पर खरी नहीं उतरीं और निर्णायक मंडल ने इस पर खेद व्यक्त किया है।
उन्होंने कहा, ‘‘निर्णायक मंडल ने इस साल प्रस्तुत कुल 137 फिल्म में से केवल 10 प्रतिशत को ही गुणवत्तापूर्ण पाया।’’
चेरियन ने फिल्म बिरादरी से फिल्मों में बच्चों को अधिक रचनात्मक भूमिका देने का आग्रह करते हुए कहा कि सरकार इस मामले में हस्तक्षेप करेगी और यदि किसी सहायता की आवश्यकता होगी तो वह उपलब्ध कराई जाएगी।
मंत्री ने बाल फिल्मों से जुड़े मुद्दों पर चर्चा के लिए उद्योग के हितधारकों के साथ जल्द ही एक बैठक बुलाने की भी प्रतिबद्धता जताई।
चेरियन ने आश्वासन दिया कि अगले साल निश्चय ही बच्चों को पुरस्कार मिलेंगे।
भाषा सिम्मी