पहलगाम हमले का असर म्यांमा के शरणार्थियों पर पड़ने का दावा भारत ने खारिज किया
प्रशांत माधव
- 29 Oct 2025, 09:09 PM
- Updated: 09:09 PM
संयुक्त राष्ट्र, 29 अक्टूबर (भाषा) भारत ने म्यांमा की मानवाधिकार स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में उसके (भारत के) खिलाफ किये गए “पक्षपातपूर्ण विश्लेषण” की कड़ी निंदा की है। साथ ही कहा कि यह दावा “बिल्कुल भी तथ्यात्मक नहीं” नहीं है कि पहलगाम आतंकवादी हमले से म्यांमा से विस्थापित लोग प्रभावित हुए हैं।
भारत ने म्यांमा में हिंसा को तत्काल समाप्त करने का अपना आह्वान भी दोहराया और इस बात पर बल दिया कि स्थायी शांति केवल समावेशी राजनीतिक वार्ता और विश्वसनीय एवं सहभागी चुनावों के माध्यम से लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं की शीघ्र बहाली से ही सुनिश्चित की जा सकती है।
संयुक्त राष्ट्र महासभा की तीसरी समिति में मंगलवार को म्यांमा में मानवाधिकार की स्थिति पर संवाद के दौरान भारत की ओर से बयान देते हुए, लोकसभा सदस्य दिलीप सैकिया ने म्यांमा की मानवाधिकार स्थिति पर अपनी रिपोर्ट में भारत के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र के विशेष प्रतिवेदक द्वारा की गई “निराधार और पक्षपातपूर्ण” टिप्पणियों पर गंभीर आपत्ति व्यक्त की।
उन्होंने कहा, “मैं अपने देश के संबंध में रिपोर्ट में की गई आधारहीन और पक्षपातपूर्ण टिप्पणियों पर गंभीर आपत्ति व्यक्त करता हूं।”
सैकिया ने पहलगाम में अप्रैल 2025 में हुए आतंकवादी हमले के नागरिक पीड़ितों के संबंध में विशेष प्रतिवेदक (एसआर) द्वारा अपनाए गए “पक्षपातपूर्ण दृष्टिकोण” की कड़ी निंदा की, जिसे उन्होंने “सांप्रदायिक दृष्टिकोण” से देखा।
उन्होंने जोर देकर कहा कि पहलगाम में अप्रैल 2025 में हुए आतंकवादी हमले को म्यांमा से विस्थापित लोगों से जोड़ने का दावा बिल्कुल भी “तथ्यात्मक नहीं है”।
सैकिया ने कहा, “मेरा देश विशेष प्रतिवेदक द्वारा किए गए इस तरह के पूर्वाग्रह और संकीर्ण विश्लेषण को अस्वीकार करता है।”
म्यांमा में मानवाधिकारों की स्थिति पर अपनी हालिया रिपोर्ट में विशेष प्रतिवेदक थॉमस एच एंड्रयूज ने कहा, “अप्रैल 2025 में जम्मू-कश्मीर में हिंदू पर्यटकों पर हुए आतंकवादी हमले के बाद, म्यांमा के शरणार्थी भारत में गंभीर दबाव में हैं, भले ही उस हमले में म्यांमा का कोई भी व्यक्ति शामिल नहीं था।”
एंड्रयूज ने आरोप लगाया कि भारत में म्यांमा के शरणार्थियों को “हाल के महीनों में भारतीय अधिकारियों द्वारा बुलाया गया, हिरासत में लिया गया, पूछताछ की गई और निर्वासित करने की धमकी दी गई।”
संयुक्त राष्ट्र विशेषज्ञ से आग्रह करते हुए कि वे “असत्यापित और पूर्वाग्रह से ग्रस्त मीडिया खबरों पर भरोसा न करें, जिनका एकमात्र उद्देश्य भारत को बदनाम करना प्रतीत होता है”, सैकिया ने रेखांकित किया कि देश में 20 करोड़ से अधिक मुसलमान रहते हैं, जो विश्व की मुस्लिम आबादी का लगभग 10 प्रतिशत है, तथा सभी धर्मों के लोगों के साथ सद्भाव से रह रहे हैं।
सांसद ने इस बात पर जोर दिया कि म्यांमा में बिगड़ती सुरक्षा और मानवीय स्थिति भारत के लिए “गहरी चिंता का विषय” बनी हुई है, विशेष रूप से इसके “सीमा पार प्रभाव” के कारण, जिसमें “मादक पदार्थ, हथियार और मानव तस्करी जैसे अंतरराष्ट्रीय अपराधों” से उत्पन्न चुनौतियां शामिल हैं।
उन्होंने आगाह किया कि भारत ने कुछ विस्थापित व्यक्तियों में “कट्टरवाद का खतरनाक स्तर” देखा है, जिससे “कानून व्यवस्था की स्थिति पर दबाव और प्रभाव” पड़ रहा है।
संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त (यूएनएचसीआर) के अनुसार, बांग्लादेश, मलेशिया, भारत, थाईलैंड और इंडोनेशिया में म्यांमार से 15 लाख से अधिक शरणार्थी और शरण चाहने वाले लोग मौजूद हैं।
सैकिया ने कहा कि नयी दिल्ली विश्वास को बढ़ावा देने तथा शांति, स्थिरता और लोकतंत्र की ओर “म्यांमा के स्वामित्व वाले और म्यांमा के नेतृत्व वाले मार्ग” को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से सभी पहलों का समर्थन करना जारी रखे हुए है।
उन्होंने कहा, “हम हिंसा को तत्काल समाप्त करने, राजनीतिक कैदियों की रिहाई, मानवीय सहायता की निर्बाध आपूर्ति और समावेशी राजनीतिक वार्ता का आह्वान करते हुए अपने रुख को दोहराते हैं।”
मानवाधिकार और मानवीय मुद्दों से संबंधित संयुक्त राष्ट्र की तीसरी समिति, 2021 के सैन्य तख्तापलट और सैन्य शासन तथा विरोधी बलों के बीच जारी हिंसा के बीच म्यांमा में बिगड़ती स्थिति पर चर्चा कर रही थी।
संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए भाजपा सांसद डी. पुरंदेश्वरी नीत बहुदलीय प्रतिनिधिमंडल में शामिल सैकिया ने कहा कि भारत ने म्यांमा के साथ अपने संबंधों में “लगातार लोक-केंद्रित दृष्टिकोण पर जोर दिया है”।
भाषा प्रशांत