केंद्र सरकार वांगचुक को राज्य के दर्जे को लेकर बातचीत में शामिल नहीं करना चाहती थी: गीतांजलि अंगमो
देवेंद्र माधव
- 29 Oct 2025, 08:45 PM
- Updated: 08:45 PM
नयी दिल्ली, 29 अक्टूबर (भाषा) जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की पत्नी गीतांजलि अंगमो ने बुधवार को दावा किया कि उनके पति को लद्दाख में हिंसक विरोध प्रदर्शन के बाद हिरासत में लिया गया था और सरकार नहीं चाहती थी कि वह कारगिल और लेह संगठनों के साथ राज्य के दर्जे की बातचीत में शामिल हों, क्योंकि सरकार का मानना था कि ‘‘उन्हें झुकाना बहुत मुश्किल है।’’
‘लेह एपेक्स बॉडी’ (एलएबी) और ‘कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस’ (केडीए) दो मुख्य संगठन हैं जो केंद्र के साथ राज्य का दर्जा और लद्दाख के लिए छठी अनुसूची के कार्यान्वयन के बारे में चर्चा कर रहे हैं।
उच्चतम न्यायालय में संशोधित याचिका दायर करने के बाद पत्रकारों से बात करते हुए अंगमो ने कहा कि जलवायु कार्यकर्ता ‘‘कभी’’ एलएबी या केडीए का सदस्य नहीं थे।
उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) के तहत वांगचुक की हिरासत को संशोधित याचिका में चुनौती दी है।
उन्होंने कहा कि लेकिन जुलाई में दोनों निकायों द्वारा उन्हें सदस्य के रूप में शामिल करने का ‘‘एकतरफा निर्णय’’ लिया गया।
वांगचुक को 26 सितंबर को कड़े राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत हिरासत में लिया गया था। यह घटना केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची का दर्जा देने की मांग को लेकर हुए हिंसक प्रदर्शनों के दो दिन बाद हुई थी। इस प्रदर्शन में चार लोगों की मौत हो गई थी और 90 लोग घायल हो गए थे। सरकार ने वांगचुक पर हिंसा भड़काने का आरोप लगाया था।
रासुका केंद्र और राज्यों को व्यक्तियों को हिरासत में लेने का अधिकार देता है ताकि उन्हें ‘‘देश की सुरक्षा को नुकसान पहुंचाने वाले’’ कार्य करने से रोका जा सके। हिरासत की अधिकतम अवधि 12 महीने है, हालांकि इसे पहले भी रद्द किया जा सकता है।
अंगमो ने दावा किया कि सरकार को ‘‘डर’’ था कि रेमन मैग्सेसे पुरस्कार विजेता वांगचुक एक मजबूत आवाज होंगे और ‘‘वह लद्दाख के लिए जो सबसे अच्छा होगा, उस पर अड़े रहेंगे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘सरकार जानती है कि यदि वह तस्वीर में होंगे तो बातचीत कठिन हो जाएगी।’’
जलवायु कार्यकर्ता की पत्नी ने आरोप लगाया कि उनकी हिरासत का उद्देश्य सरकार को ‘‘कमजोर समाधान निकालने’’ में सक्षम बनाना था। उन्होंने कहा कि सरकार गहन बातचीत से बचना चाहती है।
अंगमो स्वयं एक शिक्षाविद् हैं। उन्होंने कहा कि सरकार जानती थी कि उनके पति ‘‘लॉलीपॉप लेकर वापस नहीं जाएंगे।’’
उन्होंने यह भी दावा किया कि केंद्र सरकार नहीं चाहती थी कि वे बैठकों में शामिल हों, क्योंकि उसके लिए यह बताना मुश्किल हो जाता कि उन्हें (वांगचुक) बैठकों में शामिल होने की अनुमति क्यों नहीं दी जा रही है, इसलिए उन्होंने यह ‘‘नाटक’’ रचा।
वांगचुक की पत्नी ने कहा कि हिरासत के इस पूरे मामले को बनाने के लिए जिन लगभग 10 वीडियो का सहारा लिया जा रहा है, वे सभी 14 से 15 महीने पुराने हैं, या 10 सितंबर या हिंसा के बाद के हैं।
उन्होंने कहा, "ऐसा कोई वीडियो नहीं है, जैसा कि वे दावा कर रहे हैं, जो उस 'अनशन' मैदान का है, जहां कथित तौर पर हिंसा हुई।’’
जब उनसे हिरासत आदेश में कथित रूप से भड़काऊ बयानों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि नेपाल और बांग्लादेश के जिन मुद्दों का उल्लेख किया गया है, वे तीन-चार महीने पहले हुए थे और वह किसी और का हवाला दे रहे थे।
अंगमो ने कहा, ‘‘तो, दो अलग-अलग घटनाएं हैं: नेपाल, बांग्लादेश; किसी और ने कहा कि वहां क्रांति हो रही है। सोनम उस व्यक्ति को उद्धृत कर रहे थे और कह रहे थे कि हमारे मामले में यह शांतिपूर्ण विरोध के माध्यम से होगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘तो जिन वीडियो का उन्होंने जिक्र किया है, यदि आप उन्हें देखेंगे, तो एक मिनट बाद आप देखेंगे कि वह कह रहे हैं, 'हम ऐसा नहीं करेंगे।' किसी ने कहा है कि नेपाल और बांग्लादेश में ऐसा हुआ है, लेकिन हम ऐसा नहीं करेंगे। और हम शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करेंगे।’’
भाषा
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