असम: 1,500 हेक्टेयर वन भूमि पर अतिक्रमण हटाने का अभियान दूसरे दिन भी जारी
प्रीति सुरेश
- 30 Jul 2025, 03:18 PM
- Updated: 03:18 PM
गोलाघाट (असम), 30 जुलाई (भाषा) असम के गोलाघाट जिले में लगभग 1,500 हेक्टेयर वन भूमि पर कथित अतिक्रमण को हटाने के लिए बड़े पैमाने पर बेदखली अभियान बुधवार को दूसरे दिन भी जारी रहा। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
अधिकारियों ने बताया कि इस कार्रवाई के कारण लगभग 1500 परिवार प्रभावित होंगे और इनमें से अधिकतर मुस्लिम समुदाय से हैं।
सरुपथार उप-मंडल में असम-नगालैंड सीमा पर उरियमघाट में रेंगमा वन अभयारण्य की लगभग 11,000 बीघा (3,600 एकड़ से अधिक) भूमि पर कथित अतिक्रमण को हटाने के लिए मंगलवार सुबह बेदखली अभियान शुरू किया गया था।
जिला प्रशासन के एक अधिकारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, “आज सुबह करीब नौ बजे सोनारी बील और पीठाघाट इलाके में बेदखली अभियान शुरू हुआ। अब तक सब कुछ योजना के अनुसार और शांतिपूर्ण ढंग से जारी है।”
यद्यपि सरकार ने दावा किया कि इस क्षेत्र पर अतिक्रमण किया गया था। वहीं वरिष्ठ अधिकारियों ने स्वीकार किया कि वहां प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण (पीएमएवाई-जी) के तहत मकान थे और जल जीवन मिशन (जेजेएम) के तहत पानी का कनेक्शन था।
वरिष्ठ अधिकारियों ने यह भी स्वीकार किया कि इन क्षेत्रों में सर्व शिक्षा अभियान (एसएसए) के तहत सरकारी स्कूल, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के तहत उप-स्वास्थ्य केंद्र और लगभग हर घर में बिजली कनेक्शन के अलावा बाजार, मस्जिद, मदरसे और चर्च भी हैं।
बिद्यापुर क्षेत्र के मुख्य बाजार से मंगलवार को अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई शुरू की गई थी, जिसके बाद आवासीय स्थानों पर भी अतिक्रमण हटाया गया।
अधिकारी ने बताया कि अभियान के दौरान लगभग 4.2 हेक्टेयर वन भूमि पर फैले लगभग 120 “अवैध’’ व्यावसायिक ढांचों को ध्वस्त कर दिया गया है।
वन विभाग गोलाघाट जिला प्रशासन और असम पुलिस के सक्रिय सहयोग से इस अभियान का नेतृत्व कर रहा है तथा इसमें नगालैंड सरकार और नगालैंड पुलिस का भी निकट समन्वय रहा।
इस अभियान के सुचारू और शांतिपूर्ण संचालन के लिए सीआरपीएफ कर्मियों की तैनाती सहित व्यापक सुरक्षा व्यवस्था की गई थी।
जिला अधिकारी ने दावा किया कि लगभग 10,500 बीघा से 11,000 बीघा भूमि पर लोगों ने अतिक्रमण कर रखा है।
उन्होंने दावा किया कि लगभग 10,500 बीघा से 11,000 बीघा भूमि पर लोगों ने अतिक्रमण किया हुआ है।
अधिकारी ने कहा, ‘‘इन क्षेत्रों में लगभग 2,000 परिवार रह रहे हैं। इनमें से लगभग 1,500 परिवारों को नोटिस भेजे गए हैं, जो यहां अवैध रूप से बसे हैं। बाकी परिवार वनवासी हैं और उनके पास वन अधिकार समिति (एफआरसी) के प्रमाणपत्र हैं।’’
स्थानीय लोगों का दावा है कि जिन परिवारों के मकान तोड़े जा रहे हैं वे मुस्लिम समुदाय से हैं और जिनके पास एफआरसी प्रमाणपत्र हैं, वे बोडो, नेपाली और अन्य समुदायों से हैं।
अधिकारी ने बताया, ‘‘जिन 80 प्रतिशत परिवारों को नोटिस मिला था, वे पिछले कुछ दिनों में पहले ही अपने अवैध मकानों को खाली कर चुके हैं। हम केवल उन्हीं के मकानों को गिरा रहे हैं।’’
प्रभावित परिवारों ने ‘पीटीआई-भाषा’ से बात करते हुए इस अभियान पर सवाल उठाए और दावा किया कि उन्हें पिछली सरकार इस जगह पर इसलिए लाई थी, ताकि नगालैंड के कथित घुसपैठ से इलाके की सुरक्षा की जा सके।
उल्लेखनीय है कि असम विधानसभा में मार्च में बताया गया था कि राज्य की लगभग 83,000 हेक्टेयर भूमि पर चार पड़ोसी राज्यों ने कब्जा कर रखा है तथा नगालैंड ने राज्य की सबसे अधिक 59,490.21 हेक्टेयर भूमि पर कब्जा कर रखा है।
भाषा
प्रीति