सरपंच हत्या मामला: अदालत ने कहा, वाल्मीक कराड संगठित अपराध गिरोह का सदस्य प्रतीत होता है
संतोष दिलीप
- 28 Jul 2025, 03:17 PM
- Updated: 03:17 PM
मुंबई, 28 जुलाई (भाषा) महाराष्ट्र के बीड जिले की एक विशेष अदालत ने कहा कि सरपंच संतोष देशमुख की हत्या का मुख्य आरोपी वाल्मीक कराड गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल एक संगठित अपराध से जुड़े गिरोह का सदस्य प्रतीत होता है।
मकोका न्यायाधीश वी.एच. पटवाडकर ने पिछले हफ्ते इस मामले में कराड की आरोप मुक्त करने की अर्जी खारिज करते हुए कहा कि उसने और सह-आरोपियों ने अपने गिरोह का खौफ पैदा करने के लिए पीड़ित पर हमले का वीडियो रिकॉर्ड किया था।
रिकॉर्ड पर मौजूद सामग्री पर विचार करते हुए अदालत ने कहा कि प्रथम दृष्टया कराड एक संगठित अपराध गिरोह का सदस्य प्रतीत होता है और ‘निरंतर गैरकानूनी गतिविधियों’ में संलिप्त है।
अदालत ने कहा कि आरोपी व्यक्तियों ने कथित तौर पर एक वीडियो रिकॉर्ड किया और अपने गिरोह/सिंडिकेट का आतंक पैदा करने के लिए देशमुख की बेरहमी से पिटाई करने के दौरान दूसरों को वीडियो कॉल किए।
बीड जिले के मासाजोग गांव के सरपंच देशमुख का पिछले साल नौ दिसंबर को अपहरण कर लिया गया था और कथित तौर पर एक ऊर्जा कंपनी को निशाना बनाकर की जा रही जबरन वसूली की कोशिश को रोकने का प्रयास करने पर उन्हें प्रताड़ित करके मार डाला गया था।
कराड सहित आठ लोगों को अब तक गिरफ्तार किया जा चुका है और उन पर महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका), अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम और भारतीय न्याय संहिता के तहत मामला दर्ज किया गया है।
अपराध जांच विभाग (सीआईडी) ने हत्या के मामले और दो संबंधित अपराधों को लेकर अदालत में 1,200 से अधिक पन्नों का आरोपपत्र दाखिल किया है।
कराड ने अपनी आरोप मुक्त करने से संबंधित याचिका में दावा किया कि उसे राजनीतिक मकसद से इस मामले में फंसाया गया है।
मकोका के आरोपों पर आरोपी ने तर्क दिया कि ऐसा कोई आपराधिक गिरोह मौजूद नहीं है और वह उसका सदस्य नहीं है।
अभियोजन पक्ष ने उसकी याचिका का विरोध करते हुए कथित साजिश और उसके क्रियान्वयन का विस्तृत विवरण दिया।
उसने यह भी आरोप लगाया कि कराड ने सह-आरोपियों के साथ मिलकर ‘अवाडा एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड’ को कैज तालुका में व्यवसाय करने की अनुमति देने के बदले दो करोड़ रुपये की फिरौती मांगने की साजिश रची। कथित तौर पर उन्होंने फिरौती न देने पर कंपनी का काम ठप करने की धमकी दी थी।
अभियोजन पक्ष ने दावा किया कि जब देशमुख ने हस्तक्षेप किया, तो कराड और सह-आरोपियों ने कथित तौर पर साजिश रची, उनका अपहरण किया और उन पर जानलेवा हमला किया, जिससे उनकी मौत हो गई।
पुलिस ने बताया कि इसके बाद उन्होंने देशमुख के शव को दैथाना फाटा पर फेंक दिया और भाग गए।
भाषा संतोष