मेरी सुपारी लेने वालों में विद्युत कर्मचारी के वेश में कुछ अराजक तत्व भी शामिल हैं: ऊर्जा मंत्री
आनन्द खारी
- 28 Jul 2025, 02:34 PM
- Updated: 02:34 PM
लखनऊ, 28 जुलाई (भाषा) उत्तर प्रदेश सरकार के ऊर्जा मंत्री ए.के शर्मा ने सोमवार को सनसनीखेज आरोप लगाया कि उनकी सुपारी लेने वालों में विद्युत कर्मचारी के वेश में कुछ अराजक तत्व भी शामिल हैं।
ऊर्जा मंत्री के कार्यालय ने सोमवार को ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में यह दावा किया जिसे मंत्री शर्मा ने दोबारा साझा किया।
पोस्ट में कहा गया, ‘‘ऊर्जा मंत्री ए.के. शर्मा की सुपारी लेने वालों में विद्युत कर्मचारी के वेश में कुछ अराजक तत्व भी शामिल हैं…’’
पोस्ट के निष्कर्ष में यह स्पष्ट किया गया, ‘‘लगता है कि ए.के. शर्मा जी से जलने वाले सभी लोग इकट्ठे हो गए हैं। लेकिन ईश्वर और जनता ए.के. शर्मा जी के साथ हैं। उनकी भावना बिजली की बेहतर व्यवस्था सहित जनता की बेहतर सेवा करने की है। और कुछ नहीं। जाको राखे साइयां…’’
इसमें कहा, ‘‘कुछ विद्युत कर्मचारी नेता काफी दिन से परेशान घूम रहे हैं, क्योंकि उनके सामने ऊर्जा मंत्री जी झुकते नहीं हैं।”
सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, ‘‘ये वही लोग हैं जिनकी वजह से बिजली विभाग बदनाम हो रहा है। ज्यादातर विद्युत अधिकारियों और कर्मियों के दिन-रात की मेहनत-पुरुषार्थ पर ये लोग पानी फेर रहे हैं।”
शर्मा के कार्यालय ने कहा, ‘‘ए.के. शर्मा जी के तीन वर्ष के कार्यकाल में ये लोग चार बार हड़ताल कर चुके हैं। पहली हड़ताल तो उनके मंत्री बनने के तीन दिन बाद ही होने वाली थी।...हड़ताल की इनकी शृंखला पर माननीय उच्च न्यायालय को हस्तक्षेप करना पड़ा।”
इसने सवाल उठाते हुए कहा, ‘‘अन्य विभागों में हड़ताल क्यों नहीं हो रही? वहां यूनियन नहीं हैं क्या? वहां समस्या या मुद्दे नहीं हैं क्या?’’
ऊर्जा मंत्री के कार्यालय ने कहा, ‘‘इन लोगों द्वारा ली गई सुपारी के तहत ही कुछ दिन पहले इन अराजक तत्वों ऊर्जा मंत्री जी के सरकारी निवास पर आकर निजीकरण के विरोध के नाम पर छह घंटे तक कई तरह की अभद्रता की और उनके व परिवार के विरुद्ध असभ्य भाषा का प्रयोग किए। और ए के शर्मा ऐसे हैं कि इन्हें मिठाई खिलाई और पानी पिलाया व मिलने के लिए ढाई घंटे प्रतीक्षा की।’’
इसने कहा, ‘‘जहां तक निजीकरण का प्रश्न है इनसे कोई पूछे कि जब 2010 में ‘टोरेंट कंपनी’ को निजीकरण करके आगरा दिया गया तब भी यूनियन लीडर थे। कैसे हो गया यह निजीकरण? सुना है वो शांति से इसलिए हो गया कि ये बड़े कर्मचारी नेता लोग हवाई जहाज से विदेश पर्यटन पर चले गए थे।’’
सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, ‘‘दूसरा प्रश्न यह है कि जब सारी बातें बारीकी से जानते हो तो यह भी जानते ही होंगे कि निजीकरण का इतना बड़ा निर्णय अकेला ए.के. शर्मा का नहीं हो सकता। जब एक जेई (अवर अभियंता) तक का ट्रांसफर ऊर्जा मंत्री नहीं करता, जब यूपीपीसीएल प्रबंधन की सामान्य कार्यशैली स्वतंत्र है तो इतना बड़ा निर्णय कैसे ऊर्जा मंत्री अकेले कर सकता है?”
इसमें कहा गया, ‘‘यह भी जानते हो कि वर्तमान में यह पूरा निर्णय चीफ सेक्रेटरी (मुख्य सचिव) की अध्यक्षता में बनाई गई टास्क फोर्स ले रही है, उसके तहत ही सारी कार्यवाही हो रही है। पूरी तरह जानते हो कि राज्य सरकार की उच्चस्तरीय अनुमति से ही निजीकरण का औपचारिक शासनादेश हुआ है।’’
भाषा आनन्द