एसआईआर : तृणमूल सांसद गोखले ने किया बिहार में 1.26 करोड़ मतदाताओं के नाम हटाने का दावा
मनीषा माधव
- 28 Jul 2025, 01:35 PM
- Updated: 01:35 PM
नयी दिल्ली, 28 जुलाई (भाषा) तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के सांसद साकेत गोखले ने सोमवार को दावा किया कि बिहार में मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) अभियान के तहत 1.26 करोड़ मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से हटा दिए गए हैं। उन्होंने सरकार को इस मुद्दे पर संसद में बहस की चुनौती भी दी।
गोखले ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर निर्वाचन आयोग द्वारा जारी एसआईआर आंकड़ों को साझा करते हुए कहा कि आयोग ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि बिहार में जिन विदेशी नागरिकों के पाए जाने की बात की जा रही थी, उनकी संख्या कितनी है।
निर्वाचन आयोग ने रविवार को कहा था कि बिहार में एसआईआर अभियान के पहले चरण के अंतर्गत 7.24 करोड़ यानी 91.69 प्रतिशत मतदाताओं से फॉर्म प्राप्त हुए हैं। इसके अलावा, लगभग 36 लाख लोग या तो अपने पुराने पतों पर नहीं मिले या पाया गया कि ये लोग स्थायी रूप से अन्यत्र चले गए हैं। आयोग के अनुसार, सात लाख मतदाताओं के नाम एक से अधिक स्थानों पर पंजीकृत पाए गए।
गोखले ने आरोप लगाया, “निर्वाचन आयोग ने बिहार की 2024 की लोकसभा मतदाता सूची से रातों-रात 1.26 करोड़ मतदाताओं के नाम हटा दिए।”
उन्होंने आंकड़ों को ‘‘अविश्वसनीय और चौंकाने वाले’’ करार देते हुए कहा कि 7.90 करोड़ मतदाताओं में से केवल 7.24 करोड़ से ही फॉर्म लिए गए — यानी 65 लाख मतदाताओं से फॉर्म नहीं लिए गए, और संभावना है कि इनके नाम हटाए जा चुके हैं।’’
उन्होंने यह भी कहा कि लगभग 22 लाख मतदाताओं (2.83 प्रतिशत) के नामारें को यह दावा कर मतदाता सूची से हटाया गया कि ये लोग अब जीवित नहीं हैं। 36 लाख (4.59 प्रतिशत) मतदाताओं के नाम हटाने के पीछे यह दावा किया गया कि इन लोगों का कोई पता नहीं चल पाया।
साकेत गोखले के अनुसार, सात लाख (0.89 प्रतिशत) मतदाताओं के नाम, एक से अधिक प्रविष्टि का पता चलने के बाद हटा दिए गए। इस तरह करीब 3.5 लाख मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से हटा दिए गए।
गोखले ने यह भी कहा कि निर्वाचन आयोग ने यह स्पष्ट नहीं किया कि विदेशी नागरिकों की संख्या कितनी पाई गई। ‘‘यह महत्वपूर्ण है क्योंकि निर्वाचन आयोग ने दावा किया था कि एसआईआर का उद्देश्य मतदाता सूचियों से ‘‘अवैध प्रवासियों’’ के नाम हटाना है।
निर्वाचन आयोग के सूत्रों ने पूर्व में दावा किया था कि उनके अधिकारियों ने बिहार में मतदाता सूची विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान के तहत घरों-घर जा कर पता लगाने पर नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमा से आए लोगों की बड़ी संख्या पाई थी।
गोखले ने कहा कि जिन मतदाताओं के नाम हटाए गए हैं, वे 2024 के लोकसभा चुनाव की मतदाता सूची में मौजूद थे। उन्होंने कहा, “बिहार में केवल एक साल पहले तक, लोकसभा 2024 की मतदाता सूची में जिन 1.26 करोड़ लोगों के नाम थे, उन्हें नयी मतदाता सूची से हटा दिया गया है।’’
उन्होंने दावा किया कि मतदाता सूची से हटाए गए मतदाताओं की संख्या, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश की संयुक्त आबादी के बराबर हैं — या पूर्वोत्तर के छह राज्यों (असम को छोड़कर) की कुल आबादी के बराबर है।”
तृणमूल सांसद ने कहा कि निर्वाचन आयोग को कुछ सवालों के जवाब ‘‘तत्काल’’ देने की जरूरत है। उन्होंने पूछा ‘‘निर्वाचन आयोग ने 2024 के लोकसभा चुनाव के पहले मतदाता सूची की समीक्षा की थी। फिर एक साल में ही 1.26 करोड़ मतदाता अयोग्य कैसे हो गए? ’’
उन्होंने पूछा कि कितने मतदाताओं से फॉर्म नहीं लिए गए, और एसआईआर के नियमों के अनुसार, जिनके फार्म नहीं लिए गए, क्या उनके नामों को मतदाता सूची से हटा दिया गया?
गोखले ने कहा कि निर्वाचन आयोग ने सभी 7.24 करोड़ मतदाताओं से फार्म के साथ दस्तावेज नहीं लिए हैं। ‘‘क्या इसका मतलब है कि अगर फार्म के साथ दस्तावेज नहीं लिए गए तो और मतदाताओं के नाम सूची से हटाए जाएंगे।’’
उन्होंने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बयान को दोहराया जिसमें ममता ने कहा था कि “यह एसआईआर अभियान दरअसल पिछले दरवाजे से लाया गया एनआरसी है।’’
उन्होंने पूछा, “निर्वाचन आयोग ने दावा किया था कि एसआईआर का एक प्रमुख कारण मतदाता सूची से विदेशियों के नाम हटाना है। फिर निर्वाचन आयोग ने यह क्यों नहीं बताया कि वास्तव में कितने विदेशी पाए गए और उनके नाम एसआईआर के दौरान मतदाता सूची से हटाए गए?’’
गोखले ने कहा, “एक राज्य में ही 1.26 करोड़ लोग एक साल में वोट देने के अधिकार से वंचित हो जाएं, तो यह बेहद गंभीर मामला है।”
उन्होंने कहा कि विपक्षी सांसद इस मुद्दे पर चर्चा के लिए मांग कर रहे हैं। उन्होंने कहा ‘‘मोदी सरकार संसद में इस मुद्दे पर खुली चर्चा कराने से डर क्यों रही है।’’
उधर, निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट किया है कि किसी भी नाम को प्रक्रिया पूरी किए बिना प्रारूप मतदाता सूची से नहीं हटाया जाएगा।
भाषा मनीषा