तेंदुलकर के टेस्ट रिकॉर्ड तोड़ने के बारे में उनके प्रशंसक रूट ने कहा, यह अपने आप ही हो जाना चाहिए
नमिता आनन्द
- 26 Jul 2025, 10:18 PM
- Updated: 10:18 PM
मैनचेस्टर, 26 जुलाई (भाषा) महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर के कराची में टेस्ट पदार्पण के एक साल से भी ज्यादा समय बाद दिसंबर 1990 में जन्में इंग्लैंड के जो रूट बड़े होकर वही कर रहे थे जो उनकी पीढ़ी के ज्यादातर क्रिकेट प्रेमी बच्चे करते थे ‘लिटिल मास्टर की तरह खेलने की कोशिश’।
तीन दशक से भी ज्यादा समय बाद रूट अब खुद सबसे ज्यादा टेस्ट रन बनाने वालों की सूची में तेंदुलकर के बाद दूसरे स्थान पर हैं।
रूट ने युवा खिलाड़ी के तौर पर तेंदुलकर की विरासत से प्रेरित होने के सफर पर बात करते हुए ‘सोनी लिव’ पर हर्षा भोगले से कहा, ‘‘वह खेल के महानतम खिलाड़ियों में से एक हैं। उन्होंने जो भी दबाव झेला और जो कुछ भी हासिल किया, वह अविश्वसनीय था। ’’
यॉर्कशर के इस खिलाड़ी ने भारत के खिलाफ चौथे टेस्ट मैच के तीसरे दिन शुक्रवार को रिकी पोंटिंग के 13,378 रन के रिकॉर्ड को पीछे छोड़ दिया और अब उनके नाम 157 टेस्ट मैचों में 13,409 रन हैं जिससे वह अब तेंदुलकर के 15,921 रन से पीछे हैं।
रूट ने 2012 के नागपुर टेस्ट में टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण किया था और यह वह श्रृंखला थी जिसने तेंदुलकर के करियर का अंतिम पड़ाव तय किया था।
उस पल को याद करते हुए रूट ने कहा, ‘‘आपके सामने कोई ऐसा खिलाड़ी था जिसे आपने बचपन में खेलते देखा था और आप उनकी तरह खेलना चाहते थे और फिर आपको उसके खिलाफ खेलने का मौका भी मिल गया। ’’
उन्होंने कहा, ‘‘मेरा मतलब है कि उन्होंने मेरे जन्म से पहले ही टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण कर लिया था और फिर आप खुद को उनके खिलाफ टेस्ट मैच में खेलते हुए पाते हैं। तो यह अद्भुत था। ’’
रूट ने कहा, ‘‘भारत जाना एक अविश्वसनीय अनुभव था। सचिन के बल्लेबाजी करने के लिए आते ही पूरी भीड़ तालियां बजाने लगती। यह देखना अजीब था, लेकिन यह उस खिलाड़ी की महानता को दर्शाता है। ’’
तेंदुलकर के रिकॉर्ड को तोड़ने के बारे में पूछे जाने पर रूट ने ‘बीबीसी टेस्ट मैच स्पेशल’ को बताया, ‘‘यह ऐसा कुछ नहीं है जिस पर मैं ध्यान लगाऊंगा। इस तरह की चीजें खेलते हुए अपने आप हो जानी चाहिए। ’’
भाषा नमिता आनन्द