आलू की कीमतों में गिरावट से किसानों, भंडारण इकाइयों का संकट बढ़ा: बंगाल शीत शृंखला संघ
राजेश राजेश पाण्डेय
- 25 Jul 2025, 07:12 PM
- Updated: 07:12 PM
कोलकाता, 25 जुलाई (भाषा) पश्चिम बंगाल शीत शृंखला संघ (डब्ल्यूबीसीएसए) ने शुक्रवार को थोक आलू की कीमतों में भारी गिरावट पर चिंता जताई और किसानों एवं ‘कोल्ड स्टोरेज’ संचालकों को भारी वित्तीय नुकसान होने के बारे में आगाह किया। साथ ही, ग्रामीण क्षेत्रों में गहराते आर्थिक संकट को रोकने के लिए तत्काल सरकारी हस्तक्षेप की मांग की।
डब्ल्यूबीसीएसए के अध्यक्ष सुनील कुमार राणा ने कहा कि थोक और खुदरा कीमतों के बीच बढ़ता अंतर किसानों पर भारी दबाव डाल रहा है, जिनके पास इस साल लगभग 80 प्रतिशत आलू का भंडार है।
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘आलू की खेती और भंडारण का पूरा पारिस्थितिकी तंत्र खतरे में है।’’
इस साल, पश्चिम बंगाल के कोल्ड स्टोरेज में रिकॉर्ड 70.85 लाख मीट्रिक टन आलू रखा हुआ है, जिसमें पिछले मौसम में अंतर-राज्यीय आवाजाही पर प्रतिबंध के कारण 10 लाख टन अतिरिक्त अगेती किस्म का आलू भी शामिल है। अधिकांश भंडारण इकाइयां अब पूरी क्षमता से काम कर रही हैं।
संघ के उपाध्यक्ष सुभाजीत साहा ने कहा कि ज्योति किस्म का थोक मूल्य, जो मई में उतराई की शुरुआत के दौरान राज्य द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 15 रुपये प्रति किलोग्राम पर कारोबार कर रहा था, अब गिरकर नौ रुपये प्रति किलोग्राम रह गया है।
साहा ने चेतावनी दी, ‘‘जब तक सरकार 15 रुपये प्रति किलोग्राम का थोक मूल्य सुनिश्चित करने के लिए हस्तक्षेप नहीं करती, ग्रामीण अर्थव्यवस्था चरमरा जाएगी और किसान अगले साल बुवाई से हतोत्साहित होंगे।’’
उन्होंने आगे आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने किसानों से 11 लाख टन (या 2.2 करोड़ पैकेट) आलू खरीदने का अपना मार्च का वादा अभी तक पूरा नहीं किया है।
डब्ल्यूबीसीएसए ने राज्य से कुछ सुधारात्मक उपाय करने का आग्रह किया, जिनमें एमएसपी पर तत्काल खरीद, अंतर-राज्यीय और अंतर्राष्ट्रीय आलू व्यापार को बढ़ावा देना और मध्याह्न भोजन जैसी जन कल्याणकारी योजनाओं में आलू को शामिल करना शामिल है।
इसने राज्य के बाहर स्टॉक की आवाजाही को सुगम बनाने के लिए परिवहन सब्सिडी शुरू करने की भी सिफारिश की।
राणा ने कहा, ‘‘अगर ये कदम तुरंत नहीं उठाए गए, तो मांग-आपूर्ति में असंतुलन पैदा होगा, बुवाई कम होगी, शीतगृहों का कम उपयोग होगा और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को दीर्घकालिक नुकसान हो सकता है।’’
संघ ने चेतावनी दी कि ठोस नीतिगत समर्थन के बिना, राज्य की 10,000 करोड़ रुपये की आलू अर्थव्यवस्था को व्यापक संकट का सामना करना पड़ सकता है, जिसका असर किसानों, भंडारण इकाइयों और व्यापक ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा।
भाषा राजेश राजेश