दक्षिण दिल्ली की सतपुला झील को पुनर्जीवित किया गया
नोमान अविनाश
- 25 Jul 2025, 06:50 PM
- Updated: 06:50 PM
(माणिक गुप्ता)
(तस्वीरों के साथ)
नयी दिल्ली, 25 जुलाई (भाषा) दक्षिण दिल्ली की 700 साल पुरानी झील को पुनर्जीवित किया गया है। इसके बारे में माना जाता था कि इस झील के पानी में उपचारात्मक शक्तियां हैं।
दक्षिण दिल्ली के खिड़की गांव में एक पार्क के अंदर स्थित सतपुला झील, भारतीय राष्ट्रीय कला एवं सांस्कृतिक विरासत ट्रस्ट (आईएनटीएसीएच) के विशेषज्ञों और रोटरी क्लब के उत्साही सदस्यों के दृढ़ प्रयासों के कारण, फिर से पानी से लबालब भर गई है।
यह झील उस स्मारक परिसर का हिस्सा है, जो 14वीं सदी में मुहम्मद बिन तुगलक के शासनकाल में बना था। इस झील में मध्यकालीन जल संचयन बांध है जिसके प्लेटफॉर्म और मेहराबें आज भी पेड़-पौधों से घिरे हुए हैं और दिल्ली के समृद्ध अतीत की निशानी बनी हुई हैं।
इतिहासकार स्वप्ना लिडल की पुस्तक "14 हिस्टोरिकल वॉक्स ऑफ दिल्ली’’ के अनुसार, चिश्ती संप्रदाय के अंतिम सूफी संत नसीरुद्दीन चिराग दहलवी ने इबादत से पहले अपने अनुष्ठानिक स्नान के लिए सतपुला के कुंड के पानी का उपयोग किया था और इसने पानी को पवित्र कर दिया था - जिसे तब विभिन्न बीमारियों के लिए उपचारात्मक गुणों से युक्त माना जाता था।
पुस्तक में लिखा है, "ऐसा माना जाता है कि इस जल में स्नान करने से बुरी बलाओं से रक्षा होती है। उन्नीसवीं सदी के अंत तक, दिवाली से ठीक पहले यहां एक बड़ा वार्षिक मेला लगता था, जिसमें लोग पवित्र स्नान के लिए आते थे और अपने साथ कुछ जल भी ले जाते थे।"
साल 2022-23 के दौरान ‘रोटरी डिस्ट्रिक्ट 3011’ के ‘गवर्नर’ रहे अशोक कांतूर ने कहा, "जब हमने 2021 में पहली बार इस जगह पर ध्यान दिया, तो यह पूरी तरह से बंजर थी। यहां पानी की एक बूंद भी नहीं थी। बच्चे वहां क्रिकेट खेला करते थे। हमने पूरी स्थिति की कल्पना की और आईएनटीएसीएच से विस्तृत परियोजना रिपोर्ट देने का अनुरोध किया, और फिर हमने तय किया कि आगे कैसे बढ़ना है।"
एक साल बाद, झील के पुनरुद्धार का काम ज़ोर-शोर से शुरू हुआ। दो सामाजिक संगठनों, ‘रोटरी डिस्ट्रिक्ट 3011 ’और ‘रोटरी क्लब ऑफ़ दिल्ली साउथ सेंट्रल’ ने इसे एक परियोजना के रूप में शुरू करने का फैसला किया और फिर मार्गदर्शन की तलाश शुरू की।
हौज़ खास झील के पुनरुद्धार पर आईएनटीएसीएच के काम से परिचित टीम ने इस संस्था से संपर्क किया। यह 18 महीने की लंबी और चुनौतीपूर्ण यात्रा थी, जिसमें 70 लाख रुपये से ज़्यादा का निवेश शामिल था। इसमें लिबर्टी शूज़ के शम्मी बंसल का बड़ा योगदान था।
बात सिर्फ़ पैसों की नहीं थी। यह प्राचीन संरचना भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के अधिकार क्षेत्र में है और यह जलाशय दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के अधीन है।
कांतूर ने दावा किया कि सबसे चुनौतीपूर्ण हिस्सा डीडीए, एएसआई और दिल्ली जल बोर्ड सहित कई हितधारकों से अनुमोदन प्राप्त करना था।
इसके अलावा भी कई बाधाएं थी, मसलन झील में डालने के लिए पानी कहां से लाया जाए। चूंकि पानी का एकमात्र उपलब्ध स्रोत पास के चिराग दिल्ली नाले का प्रदूषित जल था, इसलिए उन्हें इसे सूखी झील में डालने से पहले कई उपचार विधियों का उपयोग करना पड़ा।
अब झील को पुनर्जीवित कर दिया गया है और आधिकारिक तौर पर डीडीए को वापस सौंप दिया गया है।
भाषा नोमान