'नियद नेल्ला नार' योजना का असर: जिन इलाकों में कभी गरजती थीं बंदूकें, वहां बह रही बदलाव की बयार
संजीव जोहेब
- 25 Jul 2025, 06:16 PM
- Updated: 06:16 PM
रायपुर, 25 जुलाई (भाषा) छत्तीसगढ़ सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना ने हिंसा प्रभावित बस्तर क्षेत्र के दूरदराज के उन गांवों को विकास के पथ पर आगे बढ़ने में सक्षम बनाया है, जो दशकों से विकास की मुख्यधारा से कटे हुए थे।
एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि 'नियाद नेल्लनार (आपका आदर्श गांव) योजना एक जन-केंद्रित पहल है, जो पिछले साल 15 फरवरी को मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में शुरू की गई थी।
बयान में कहा गया है कि यह योजना लंबे समय से बुनियादी सुविधाओं से वंचित क्षेत्रों में संवेदनशील और सक्रिय शासन सुनिश्चित करने के लिए एक क्रांतिकारी कदम साबित हुई है।
बयान के अनुसार बस्तर अब केवल संघर्षरत क्षेत्र के रूप में नहीं जाना जाता, बल्कि आशा व समावेशी विकास का प्रतीक है।
इस योजना के तहत, सरकार ने शुरुआत में सुरक्षा शिविरों के पांच किलोमीटर के दायरे में स्थित गांवों में 17 विभागों की 52 योजनाओं और 31 सामुदायिक सुविधाओं का लाभ प्रदान किया।
अधिकारियों ने कहा कि बाद में क्षेत्र को 10 किलोमीटर तक बढ़ा दिया गया।
विज्ञप्ति में कहा गया है कि मुख्यमंत्री साय का हमेशा से मानना रहा है कि केवल सुरक्षा शिविरों की उपस्थिति पर्याप्त नहीं है और सरकार को करुणामय, समग्र व समावेशी तरीके से इन क्षेत्रों तक पहुंचना चाहिए।
विज्ञप्ति के अनुसार सरकार ने इस दृष्टिकोण से कार्य करते हुए बस्तर क्षेत्र के पांच नक्सल प्रभावित जिलों - सुकमा, बीजापुर, नारायणपुर, दंतेवाड़ा और कांकेर में (पिछले डेढ़ साल में) 54 नए सुरक्षा शिविर स्थापित किए हैं।
सरकार ने कहा कि इन शिविरों के 10 किलोमीटर के दायरे में आने वाले 327 गांवों को चिन्हित करके यह निर्णय लिया गया कि इन सभी को शत-प्रतिशत योजनाओं से जोड़ते हुए एक नया विकास मॉडल प्रस्तुत किया जाएगा।
विज्ञप्ति में कहा गया है, "बदलाव की बयार बह रही है। शिक्षा के क्षेत्र में, 31 नए प्राथमिक विद्यालयों को मंजूरी दी गई है, जिनमें से 13 चालू हो गए हैं। स्वीकृत 185 नए आंगनवाड़ी केंद्रों में से 107 कार्यरत हैं, जो बच्चों के लिए पोषण और प्रारंभिक शिक्षा सुनिश्चित कर रहे हैं। स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में, 20 उप-स्वास्थ्य केंद्रों को मंजूरी दी गई है, जिनमें से 16 चालू हो गए हैं।”
सरकार ने कहा, "ये वे गांव हैं जहां लोगों को कभी बुनियादी दवाइयां हासिल करने के लिए घने जंगलों से होकर मीलों पैदल चलना पड़ता था।"
विज्ञप्ति में कहा गया है कि संपर्क और संचार में सुधार को भी प्राथमिकता दी गई। जिन इलाकों में कभी मोबाइल नेटवर्क नहीं था, वहां 119 मोबाइल टावर लगाने की योजनाएं तैयार की गईं और उनमें से 43 अब चालू हैं।
विज्ञप्ति के अनुसार 144 हाई-मास्ट लाइटों को मंजूरी दी गई और 92 गांव अब रात में भी रोशनी से जगमगाते हैं जबकि सड़क और पुल के बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए 116 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई, जिसमें से 26 अब तक पूरी हो चुकी हैं।
विज्ञप्ति में कहा गया है कि आर्थिक एवं सामाजिक सशक्तिकरण के संदर्भ में, 70,954 से अधिक आधार कार्ड जारी किए गए हैं, 46,172 वरिष्ठ नागरिकों को आयु प्रमाण पत्र मिले हैं और 11,133 नए मतदाता पंजीकरणों ने लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भागीदारी को सक्षम बनाया है।
विज्ञप्ति में कहा गया है कि 46,172 लोगों को आयुष्मान भारत स्वास्थ्य कार्ड दिए गए हैं, जिससे मुफ्त चिकित्सा सेवा सुनिश्चित हुई है।
प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 12,232 परिवारों को शामिल करने का लक्ष्य रखा गया था, जिनमें से 5,984 को मंजूरी मिल चुकी है। इसके अलावा किसान सम्मान निधि योजना के तहत 4,677 किसानों को वित्तीय सहायता मिली है। स्वच्छ भारत मिशन के तहत 6,460 व्यक्तिगत घरेलू शौचालयों का निर्माण किया गया है।
रसोई को धुआं मुक्त बनाने के लिए, उज्ज्वला और गौ-गैस योजनाओं के तहत 18,983 महिलाओं को गैस कनेक्शन दिए गए हैं। इसके अतिरिक्त, 30 गाँवों को डीटीएच कनेक्शन प्रदान किए गए हैं, जिससे वे मुख्यधारा में आ गए हैं।
विज्ञप्ति में कहा गया है कि बस्तर अब केवल संघर्ष से घिरा क्षेत्र नहीं रह गया है, यह सहनशीलता, आशा और समावेशी विकास का प्रतीक बन रहा है।
भाषा संजीव