सतत विकास वन क्षेत्र के विस्तार से होगा, बुलडोजर के सहारे उनकी कटाई से नहीं : न्यायालय
धीरज नरेश
- 23 Jul 2025, 04:57 PM
- Updated: 04:57 PM
नयी दिल्ली, 23 जुलाई (भाषा)उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को एक मामले की सुनवाई करते हुए सतत विकास की आवश्यकता बतायी, लेकिन साथ ही सलाह दी कि यह बुलडोजर की मदद से वनों की कटाई से नहीं होगा।
प्रधान न्यायाधीश बी आर गवई, न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन तथा न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ तेलंगाना के कांचा गाचीबोवली क्षेत्र में बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई के मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए सुनवाई कर रही थी।
प्रधान न्यायाधीश गवई ने कहा,‘‘मैं स्वयं सतत विकास का समर्थक हूं, लेकिन इसका अभिप्राय यह नहीं है कि आप रातोंरात 30 बुलडोजर की मदद से पूरे जंगल को साफ कर दें।’’
इस मामले में न्यायमित्र वरिष्ठ अधिवक्ता के. परमेश्वर ने पीठ को बताया कि कई निजी पक्ष राज्य के हलफनामे पर जवाब देना चाहते हैं। पीठ ने इस दलील पर संज्ञान लिया और मामले की अगली सुनवाई 13 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दी।
शीर्ष अदालत ने 15 मई को कहा था कि हैदराबाद विश्वविद्यालय के नजदीक पेड़ों की कटाई प्रथम दृष्टया ‘‘पूर्व नियोजित’’ प्रतीत होती है। पीठ ने तेलंगाना सरकार से कहा था कि वह इसे बहाल करे अन्यथा उसके अधिकारियों को जेल हो सकती है।
प्रधान न्यायाधीश ने कहा था कि यह राज्य पर निर्भर है कि वह वनों को बहाल करे या अपने अधिकारियों को जेल भेजे।
पीठ ने राज्य सरकार से सवाल किया कि जब अदालतें बंद थीं तब लंबे सप्ताहांत का फायदा उठाकर पेड़ों की कटाई क्यों की गई?
उच्चतम न्यायालय ने कांचा गाचीबोवली में वनों की कटाई की गतिविधियों पर स्वतः संज्ञान लेते हुए तीन अप्रैल को राज्य या किसी प्राधिकारी द्वारा वहां पहले से मौजूद पेड़ों की सुरक्षा को छोड़कर, अगले आदेश तक यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था।
न्यायालय ने 16 अप्रैल को तेलंगाना सरकार को पेड़ों की कटाई में की गई जल्दबाजी को लेकर फटकार लगाई थी और निर्देश दिया था कि यदि वह चाहती है कि उसके मुख्य सचिव को ‘‘किसी भी कठोर कार्रवाई से बचाया जाए’’ तो उसे 100 एकड़ उक्त वन क्षेत्र को बहाल करने के लिए एक विशिष्ट योजना प्रस्तुत करनी होगी।
भाषा धीरज