अब भी मेरा लक्ष्य 90 किग्रा वजन उठाना, स्नैच की तकनीक में बदलाव किया: मीराबाई चानू
सुधीर आनन्द
- 08 Jul 2025, 07:34 PM
- Updated: 07:34 PM
मोदीनगर, आठ जुलाई (भाषा) मीराबाई चानू ने भारोत्तोलन में लगभग हर उपलब्धि हासिल की है लेकिन तोक्यो ओलंपिक की यह रजत पदक विजेता अब भी स्नैच में 90 किग्रा वजन उठाने के अपने लक्ष्य को हासिल नहीं कर पाई है।
चोटों ने उनके पिछले ओलंपिक चक्र को बाधित किया था और इस पूर्व विश्व चैंपियन ने पेरिस ओलंपिक खेलों में चौथे स्थान पर रहने के बाद से प्रतिस्पर्धा नहीं की है। हालांकि तकनीक में हाल ही में किए गए बदलाव ने लक्ष्य को हासिल करने के उनके भरोसे को फिर जगा दिया है।
अस्मिता भारोत्तोलन लीग के उद्घाटन के इतर पीटीआई द्वारा पूछे गए एक सवाल के जवाब में चानू ने कहा, ‘‘मेरा लक्ष्य अब भी 90 किग्रा है। मैं (2026) एशियाई खेलों में पूरी ताकत से प्रतिस्पर्धा करूंगी।’’
मणिपुर की इस खिलाड़ी ने 2019 से 90 किग्रा को लक्ष्य बनाया है लेकिन ट्रेनिंग के दौरान इस बाधा को पार करने के बावजूद वह प्रतियोगिता में उस सफलता को दोहराने में नाकाम रहीं हैं।
चानू ने कहा, ‘‘2026 एशियाई खेलों से पहले मैं इस साल विश्व चैंपियनशिप में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने की कोशिश करूंगी, जहां हम यह भी आकलन करेंगे कि 48 किग्रा वर्ग में बेहतर होने के लिए मुझे क्या करना है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह सब हमें विश्व चैंपियनशिप में पता चलेगा लेकिन स्नैच में 90 किग्रा को पार करने की योजना है। यहां तक कि जूनियर भी अब 90 किग्रा को पार कर चुके हैं। हाल ही में चीन के एक जूनियर खिलाड़ी ने यह वजन उठाया।’’
क्लीन एवं जर्क चानू का मजबूत पक्ष रहा है लेकिन पेरिस ओलंपिक में उन्हें इसमें निराशा हाथ लगी। वह अपने पहले प्रयास में 111 किग्रा और अपने अंतिम प्रयास में 114 किग्रा उठाने में विफल रहीं जिससे वह ओलंपिक में दूसरे पदक से केवल एक किग्रा से चूक गईं।
क्लीन एवं जर्क में चानू ने 119 किग्रा उठाकर एक बार विश्व रिकॉर्ड बनाया था।
लेकिन चानू को पेरिस में अपने स्नैच प्रदर्शन से प्रेरणा मिलती है जहां उन्होंने 88 किग्रा के अपने व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन की बराबरी की।
चानू ने कहा, ‘‘मेरे स्नैच में प्रदर्शन में सुधार हुआ है। पहले मैं 88-89 किग्रा नहीं उठा पाती थी लेकिन ओलंपिक में मैंने 88 किग्रा उठाया।’’
चानू भारत के मुख्य कोच विजय शर्मा के साथ मिलकर स्नैच में अपने प्रदर्शन में सुधार पर काम कर रही हैं। उनका मानना है कि यह हमेशा से उनकी कमजोरी रहा है।
अगले महीने 31 बरस की होने वाली चानू ने कहा, ‘‘(बैठने) से लेकर (खड़े होने) तक लगने वाले बल में तालमेल में होना चाहिए, यह शुरू से ही मेरी कमजोरी रही है। हमने इसमें छोटे-मोटे बदलाव किए हैं। तकनीक को तुरंत ठीक नहीं किया जा सकता है, हमें इस पर भी काम करना होगा क्योंकि मेरी उम्र बढ़ रही है।’’
अब जब ओलंपिक में नए वजन वर्ग लागू हो गए हैं तो चानू ने 49 किग्रा से 48 किग्रा में जाने का विकल्प चुना है लेकिन वह मानती हैं कि यह चुनौती आसान नहीं होगी।
चानू ने कहा, ‘‘वजन नियंत्रित करना मेरे लिए मुश्किल होगा। जब मैं 49 किग्रा में प्रतिस्पर्धा कर रही थी तब मेरा वजन 48.5 (वजन मापने के दौरान) के आसपास हुआ करता था। मैं अपना वजन 50.5 किग्रा के आसपास रखकर ट्रेनिंग करती थी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘तो 48 किग्रा के लिए मुझे 49.5 किग्रा पर प्रशिक्षण लेना होगा। वजन नियंत्रित करना मेरे लिए बहुत कठिन है’’
चानू का प्राकृतिक शारीरिक वजन 50.5 किग्रा के आसपास रहता है।
कोच शर्मा ने कहा कि पांच साल से अधिक समय तक 49 किग्रा में प्रतिस्पर्धा करने के बाद अतिरिक्त किग्रा वजन कम करने से मांसपेशियों में कमी आएगी।
उन्होंने कहा, ‘‘यह बहुत मुश्किल है। वह पिछले सात साल से एक ही वजन वर्ग में प्रतिस्पर्धा कर रही है और इसके लिए भी उसे दो किग्रा वजन कम करना होता था। अब उसे एक और किग्रा वजन कम करना है... यह बहुत मुश्किल होगा। यह एक किग्रा वजन कम करना मुश्किल होगा क्योंकि इससे मांसपेशियों को नुकसान होगा।’’
चानू अगले महीने अहमदाबाद में होने वाली राष्ट्रमंडल चैंपियनशिप के साथ वापसी करेगी।
भाषा सुधीर आनन्द