तनाव से ग्रस्त बेघर जानवरों को शांत कराने में स्वयंसेवक कर रहा संगीत की सार्वभौमिक भाषा का उपयोग
एपी नेत्रपाल रंजन
- 25 Jun 2025, 04:53 PM
- Updated: 04:53 PM
डेनवर, 25 जून (एपी) आम तौर पर यह कहा जाता है कि संगीत मानवता की सार्वभौमिक भाषा है। अब ह्यूस्टन का 12 वर्षीय एक लड़का तनाव से ग्रस्त जानवरों को शांत कराने में इसकी शक्ति को परख रहा है।
युवी अग्रवाल ने चार साल की उम्र से कीबोर्ड बजाना शुरू किया था और कई साल पहले उसने देखा कि उसके संगीत से परिवार के बेचैन ‘गोल्डन डूडल’ कुत्ते बोजो को शांति मिलती है। इसके बाद उसे जिज्ञासा हुई कि क्या इससे तनाव से ग्रस्त बेघर जानवरों की भी मदद हो सकती है।
अपने माता-पिता की मदद से उसने 2023 में गैर-लाभकारी ‘वाइल्ड ट्यून्स’ की स्थापना की ताकि पशु आश्रयों में संगीत बजाने के लिए संगीतकारों की भर्ती की जा सके। अब तक उसने ह्यूस्टन, न्यू जर्सी और डेनवर में नौ आश्रय गृहों में संगीत प्रस्तुति के लिए विभिन्न उम्र एवं पृष्ठभूमियों के लगभग 100 स्वयंसेवी संगीतकारों और गायकों को भर्ती किया है।
अग्रवाल ने हाल ही में डेनवर पशु आश्रय गृह में अपने पोर्टेबल कीबोर्ड पर बीटल्स के ‘हे जूड’ और एड शीरन के ‘परफेक्ट’ जैसे हिट गाने बजाने के बाद कहा, ‘‘संगीत का आनंद लेने के लिए आपको बोल समझने की ज़रूरत नहीं है। बस धुन, सामंजस्य और लय का आनंद लें। इसलिए यह भाषायी बाधाओं को पार करता है, और यहां तक कि यह प्रजातियों से भी परे जा सकता है।’’
उसने कहा कि चार पैरों वाले श्रोताओं (जानवरों) में से कई, जिनमें बिल्लियाँ भी शामिल हैं, उनके बाड़े में उसके प्रवेश से उत्साहित हो जाते हैं, लेकिन कुछ मिनट संगीत बजाने के बाद वे शांत हो जाते हैं और कुछ तो सो भी जाते हैं।
अग्रवाल ने पेनेलोप नामक एक बचाए गए मादा कुत्ते के बारे में बताया जिसने ह्यूस्टन में भोजन के लिए अपने बाड़े से बाहर आने से इनकार कर दिया था।
उसने कहा, ‘‘मेरे संगीत बजाने के कुछ ही समय बाद, वह न सिर्फ अपने बाड़े से बाहर निकली बल्कि मेरे चेहरे को भी चाटने लगी।’’
ह्यूस्टन में अग्रवाल से मिलने वाली पेशेवर संगीतकार साराह मैक्डोनर ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि जानवरों का सकारात्मक तरीके से मानवीय संपर्क उन्हें कुछ नया पाने के लिए उत्साहित करता है, कुछ ऐसा जो उनके पूरे दिन को अलग बनाता है।’’
यद्यपि मनुष्यों पर संगीत के प्रभाव का व्यापक अध्ययन किया गया है, परन्तु पशुओं के व्यवहार में इसकी भूमिका अब भी अस्पष्ट बनी हुई है।
‘अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन’ के मानव-पशु संपर्क अनुभाग की अध्यक्ष लोरी कोगन ने कहा , ‘‘हम हमेशा से यह बहुत ही सरल उत्तर चाहते हैं। इसलिए हम कहना चाहते हैं कि संगीत जानवरों को शांति देता है।’’
अग्रवाल के अनुसार, आश्रय गृहों में उसका प्रत्यक्ष अनुभव इस बात का निर्विवाद प्रमाण है कि संगीत तनावग्रस्त जानवरों को आराम पहुँचाने में मदद करता है और उसकी योजना ‘वाइल्ड ट्यून्स’ को एक राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम के रूप में विकसित करने की है। उसने कहा कि स्वयंसेवकों को भी इससे कुछ लाभ मिलता है।
एपी नेत्रपाल