केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आपातकाल के पीड़ितों के बलिदान का सम्मान करने का संकल्प लिया
नोमान मनीषा
- 25 Jun 2025, 04:27 PM
- Updated: 04:27 PM
नयी दिल्ली, 25 जून (भाषा) केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आपातकाल के पीड़ितों को श्रद्धांजलि देने के लिए बुधवार को कुछ क्षणों का मौन रखा तथा उनके बलिदान को याद करने और सम्मान देने का संकल्प लिया।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने उन लोगों को श्रद्धांजलि देते हुए कुछ क्षणों का मौन रखा, जिनके संवैधानिक लोकतांत्रिक अधिकार आपातकाल के दौरान छीन लिए गए और जिन्हें अकल्पनीय भयावहता का सामना करना पड़ा।
सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने उन अनगिनत व्यक्तियों के बलिदान को स्मरण करने और सम्मानित करने का संकल्प लिया, जिन्होंने आपातकाल और भारतीय संविधान की भावना को कमजोर करने के प्रयास का बहादुरी से विरोध किया था। आपातकाल की शुरुआत 1974 में नवनिर्माण आंदोलन और संपूर्ण क्रांति अभियान को कुचलने के एक कठोर प्रयास के साथ हुई थी।
वैष्णव ने कहा, "केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आपातकाल की ज्यादतियों के प्रति उनके अनुकरणीय साहस और वीरतापूर्ण प्रतिरोध को श्रद्धांजलि दी।"
उन्होंने कहा कि वर्ष 2025 में ‘संविधान हत्या दिवस’ के 50 वर्ष पूरे हो रहे हैं - जो भारत के इतिहास का एक अविस्मरणीय अध्याय है और इसके तहत संविधान को कमजोर किया गया, भारत के गणतंत्र और लोकतांत्रिक भावना पर हमला किया गया, संघवाद को कमजोर किया गया और मौलिक अधिकारों, मानव स्वतंत्रता और गरिमा को निलंबित कर दिया गया।
वैष्णव ने कहा, "केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस बात की पुष्टि की कि भारत के लोग भारतीय संविधान और देश के लोकतांत्रिक लोकाचार की दृढ़ता में अटूट विश्वास रखते हैं।"
मंत्री ने कहा, "जैसे यह बुजुर्गों के लिए अहम है, वैसे ही युवाओं के लिए भी यह महत्वपूर्ण है कि वे उन लोगों से प्रेरणा लें जिन्होंने तानाशाही प्रवृत्तियों का विरोध किया और हमारे संविधान व लोकतांत्रिक ढांचे की रक्षा के लिए डटे रहे।”
वैष्णव ने कहा कि लोकतंत्र की जननी के रूप में भारत संवैधानिक मूल्यों के संरक्षण और सुरक्षा का एक उदाहरण है। वैष्णव ने कहा, "आइए, हम एक राष्ट्र के रूप में अपने संविधान और इसकी लोकतांत्रिक और संघीय भावना को बनाए रखने के अपने संकल्प को नवीनीकृत करें।"
भाषा नोमान