सरकार ने इलेक्ट्रिक कार योजना के तहत आवेदन करने को वाहन विनिर्माताओं के लिए मंच खोला
निहारिका अजय
- 24 Jun 2025, 04:14 PM
- Updated: 04:14 PM
नयी दिल्ली, 24 जून (भाषा) वैश्विक इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) क्षेत्र की दिग्गज कंपनियां अब भारत में इलेक्ट्रिक यात्री कारों के विनिर्माण को बढ़ावा देने की योजना के लिए आवेदन कर सकती हैं। इस योजना के तहत घरेलू इलेक्ट्रिक वाहन उत्पादन में निवेश करने को इच्छुक वाहन कंपनियों को आयात कर में उल्लेखनीय कमी की पेशकश की गई है।
केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री एच. डी. कुमारस्वामी ने योजना के तहत आवेदन स्वीकार करने के लिए एक मंच पेश किया है, जो 21 अक्टूबर तक खुला रहेगा।
उन्होंने दोहराया कि ईवी दिग्गज टेस्ला केवल अपनी कारों को बेचने के लिए भारत में शोरूम खोलने में रुचि रखती है और देश में विनिर्माण सुविधाएं स्थापित करने की इच्छुक नहीं है।
मंत्री ने कहा, ‘‘ उनकी (टेस्ला की) रुचि केवल शोरूम खोलने में है। वे भारत में अपनी कार बेचना चाहते हैं। इसके अलावा इस बारे में और कोई बात नहीं हुई है।’’
मर्सिडीज-बेंज के अधिकारियों के हवाले से आई खबरों के बारे में पूछे गए एक अन्य सवाल के जवाब में कुमारस्वामी ने कहा कि लक्जरी कार विनिर्माता कंपनी ने मंगलवार को आवेदन खिड़की खुलने से पहले ही ‘‘बड़े पैमाने पर’’ निवेश कर दिया है।
अधिकारियों ने बताया कि इस योजना के तहत पात्र निवेश को ‘‘अनुमोदन की तिथि के बाद’’ आवेदक के बही-खाता में पूंजीकृत किया जाना चाहिए। इसलिए उपकरण और मशीनरी को ‘‘अनुमोदित आवेदक बनने के बाद उपयोग में लाया जाना चाहिए।’’
मंत्री ने बताया कि चार-पांच मोटर वाहन कंपनियों ने इस योजना में प्रारंभिक रुचि दिखाई है। हालांकि, यह देखना बाकी है कि वास्तव में कितनी कंपनियां इसके लिए आवेदन करती हैं या नहीं। मंच मंगलवार से खुल गया है।
इसके अलावा, भारी उद्योग मंत्रालय को 15 मार्च, 2026 तक आवश्यकतानुसार आवेदन खिड़की खोलने का अधिकार होगा।
भारी उद्योग मंत्रालय में सचिव कामरान रिजवी ने कहा कि इस योजना के तहत आवेदन करने वाले और कम आयात कर का लाभ उठाने वाले मूल उपकरण विनिर्माताओं (ओईएम) को तीन वर्ष के भीतर कम से कम 25 प्रतिशत घरेलू मूल्य संवर्धन (डीवीए) वाली कार बनानी होगी और पांच साल के भीतर डीवीए को बढ़ाकर 50 प्रतिशत करना होगा।
भारत में इलेक्ट्रिक यात्री कारों के विनिर्माण को बढ़ावा देने की योजना के तहत अधिसूचित दिशानिर्देशों के अनुसार उन्हें अनुमोदन प्राप्त करने के तीन वर्षों के भीतर भारत में अपनी विनिर्माण सुविधाओं में परिचालन शुरू करना होगा और निर्दिष्ट स्थानीय सामग्री आवश्यकताओं को पूरा करना होगा।
इस योजना को पिछले साल 15 मार्च को भारी उद्योग मंत्रालय द्वारा अधिसूचित किया गया था।
योजना के तहत किए गए निवेश पर प्रति आवेदक अधिकतम छूट शुल्क 6,484 करोड़ रुपये निर्धारित की गई है।
भाषा निहारिका