राजभवन के निर्देश पर एबीवीपी, युवा मोर्चा ने मेरे खिलाफ प्रदर्शन किया: शिवनकुट्टी
योगेश नरेश
- 22 Jun 2025, 07:34 PM
- Updated: 07:34 PM
तिरुवनंतपुरम, 22 जून (भाषा) केरल के सामान्य शिक्षा मंत्री वी. शिवनकुट्टी ने रविवार को दावा किया कि 'भारत माता' विवाद को लेकर उनके खिलाफ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के युवा मोर्चा और छात्र समूहों द्वारा किए गए विरोध प्रदर्शन का उद्देश्य राज्य में दंगे भड़काना था और कथित तौर पर राजभवन के निर्देश पर ऐसा किया गया।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) पर पलटवार करते हुए भाजपा की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष राजीव चंद्रशेखर ने वामपंथी पार्टी पर प्रदर्शनकारियों के खिलाफ हिंसा का सहारा लेकर विरोध प्रदर्शन को दबाने का प्रयास करने का आरोप लगाया।
उन्होंने चेतावनी दी कि यदि वामपंथी सरकार प्रदर्शनों को दबाने के लिए बल का प्रयोग करेगी तो उसे भी उसी तरह जवाबी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।
इससे पहले दिन में शिवनकुट्टी ने पत्रकारों से कहा कि आरएसएस के कार्यक्रमों में प्रदर्शित की जाने वाली 'भारत माता' की तस्वीर दिखने के बाद उनके राजभवन में आयोजित कार्यक्रम छोड़कर जाने की वजह से पिछले कुछ दिन में उन पर हमला किया गया और यात्राओं में बाधा डाली गई।
उन्होंने कहा कि एक मंत्री, विधायक और एक नागरिक के रूप में, उन्हें राजभवन में राज्यपाल की कार्रवाई के खिलाफ विरोध करने का अधिकार है और उन्होंने वही किया।
शिवनकुट्टी ने कहा, ‘‘राज्यपाल ने कहा है कि वह यह (तस्वीर दिखाना) जारी रखेंगे और हमने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।’’
मंत्री ने दावा किया कि इसके बाद भाजपा की युवा शाखा युवा मोर्चा और छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने पिछले दो दिन में राज्य में विभिन्न स्थानों पर उन पर हमला किया और उनके वाहन को रोका।
मंत्री ने कहा कि इन विरोध प्रदर्शनों का उद्देश्य राज्य में दंगे भड़काना था और ऐसा राजभवन के निर्देश पर किया गया।
इस बीच, राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर ने भाजपा के मुखपत्र ‘जन्मभूमि’ को दिए साक्षात्कार में कहा कि देश में आपातकाल के दौरान जब वे जेल में थे, तब उनके लिए 'भारत माता' की अवधारणा और अधिक स्पष्ट हुई।
अर्लेकर ने कहा कि उस दौरान उन्होंने भारत माता की अवधारणा को विचारधारा और राजनीति से ऊपर देखा।
उन्होंने साक्षात्कार में कहा, ‘‘भारत माता' के लिए और अधिक काम करने की तीव्र प्रेरणा मिली और यहीं से मेरे मन में संघ प्रचारक की भावना भी और प्रबल हो गई।"
शिवनकुट्टी ने सुबह अपने संवाददाता सम्मेलन में यह भी आरोप लगाया कि ऐसे ही एक प्रदर्शन के दौरान एबीवीपी कार्यकर्ताओं ने राष्ट्रीय ध्वज को फाड़ दिया, हालांकि छात्र संगठन ने इस दावे का खंडन किया है।
मंत्री ने यह भी आरोप लगाया कि उनके खिलाफ विरोध प्रदर्शन और हमले राजभवन के निर्देश पर किए जा रहे हैं, लेकिन वे इसके लिए पर्याप्त युवाओं को इकट्ठा नहीं कर पाए।
उन्होंने कहा कि दोनों संगठनों द्वारा उनके खिलाफ किया गए प्रदर्शन में कुछ युवा ही शामिल हुए, जिन्होंने आत्मघाती दस्ते के रूप में काम किया और उनकी चलती गाड़ी के सामने कूद गए।
एबीवीपी और युवा मोर्चा के कार्यकर्ताओं ने शनिवार को कोझिकोड में मंत्री के वाहन पर काले झंडे लहराए थे और राजभवन कार्यक्रम से उनके बीच में ही चले जाने के विरोध में उनका पुतला भी जलाया था।
उन्होंने कहा कि एबीवीपी और युवा मोर्चा को यह समझ लेना चाहिए कि एक ऐसे राज्यपाल का समर्थन करना, जो कथित रूप से संविधान के खिलाफ कार्य कर रहे हैं, जनता को उनके खिलाफ कर देगा।
उन्होंने यह भी दावा किया कि राजभवन में आरएसएस के दो कट्टर कार्यकर्ता राज्यपाल को इस तरह से कार्य करने की सलाह दे रहे थे।
मंत्री ने कहा कि वह उनका नाम नहीं बताएंगे, लेकिन हर कोई उन्हें अच्छी तरह जानता है।
कांग्रेस ने भी राज्यपाल के हालिया कदमों के खिलाफ आवाज उठाई और कहा कि राजभवन को राजनीतिक गतिविधियों का स्थल नहीं बनाया जाना चाहिए।
केरल प्रदेश कांग्रेस समिति (केपीसीसी) प्रमुख सनी जोसेफ ने भी कहा कि राज्यपाल के कार्यों के खिलाफ सड़कों पर प्रदर्शन की जरूरत नहीं है।
बाद में, चंद्रशेखर ने एक बयान में दावा किया कि एबीवीपी और युवा मोर्चा के प्रदर्शनकारियों के खिलाफ हिंसा के पीछे माकपा का हाथ था, क्योंकि भाजपा ने वामपंथी पार्टी की राष्ट्र-विरोधी और तुष्टिकरण की राजनीति को उजागर कर दिया था।
उन्होंने वामपंथी दलों पर उनके खिलाफ विरोध प्रदर्शनों के प्रति असहिष्णु होने का भी आरोप लगाया।
भाजपा नेता ने कहा कि स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया और डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया (माकपा की क्रमश: छात्र और युवा शाखा) द्वारा राज्यपाल के खिलाफ प्रदर्शन स्वीकार्य है, लेकिन जब वामपंथी मंत्री के खिलाफ प्रदर्शन होते हैं, तो उन्हें बर्दाश्त नहीं किया जाता।
इसे उन्होंने वाम दलों की 'तानाशाही' शैली बताया।
उन्होंने चेतावनी दी कि यदि भाजपा और संबंधित संगठनों के कार्यकर्ताओं पर हमले नहीं रोके गए तो वामपंथी दलों और उनके नेताओं को भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।
भाजपा नेता ने कहा, "यदि माकपा कानून को अपने हाथ में लेकर प्रदर्शनकारियों को दबाने की कोशिश कर रही है और पुलिस मूकदर्शक बनकर उनकी मदद करने का फैसला करती है, तो भाजपा सहित राष्ट्रीय आंदोलन सड़कों पर उतर आएगा।"
चंद्रशेखर ने चेतावनी दी कि यदि वामपंथी सरकार का निर्णय बलपूर्वक विरोध को दबाने का है, तो दूसरी तरफ ऐसे लोग हैं जो उसी तरह जवाब देने में सक्षम हैं।
भाषा योगेश