रेपो दर में आगे और कटौती की गुंजाइश काफी कम : आरबीआई गवर्नर
पाण्डेय प्रेम
- 06 Jun 2025, 07:11 PM
- Updated: 07:11 PM
मुंबई, छह जून (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने शुक्रवार को कहा कि नीतिगत दर रेपो में 0.50 प्रतिशत कटौती की घोषणा के बाद इसमें आगे और कमी करने की बहुत कम गुंजाइश दिख रही है।
आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति की बैठक में रेपो दर को आधा प्रतिशत घटाकर 5.5 प्रतिशत पर लाने का फैसला किया गया। इसके साथ ही फरवरी से लेकर अब तक रिजर्व बैंक रेपो दर में कुल एक प्रतिशत की कटौती कर चुका है।
मल्होत्रा ने द्विमासिक मौद्रिक नीति की घोषणा के बाद संवाददाताओं से कहा कि भविष्य की मौद्रिक नीति कार्रवाई आने वाले आंकड़ों पर निर्भर करेगी।
उन्होंने कहा, ‘‘मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए मौद्रिक नीति के लिए अब बहुत सीमित गुंजाइश है। वृद्धि का अनुमान लगभग 6.5 प्रतिशत है और हम मुद्रास्फीति के इस साल 3.7 प्रतिशत और अगले वर्ष के लिए चार प्रतिशत से अधिक रहने का अनुमान लगा रहे हैं। यदि ये सब होता है, तो फिर दर में कटौती की बहुत सीमित गुंजाइश है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हम आने वाले आंकड़ों पर नजर रखना जारी रखेंगे और मुख्य रूप से वही कदम उठाएंगे जो आंकड़े हमें सुझाएंगे।’’
ताजा कटौती के बाद रेपो दर पिछले तीन साल के सबसे निचले स्तर पर आ गई है।
आरबीआई गवर्नर ने उम्मीद जताई कि ब्याज दर में कटौती का आर्थिक वृद्धि पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। हालांकि, उन्होंने कहा कि इसका प्रभाव वित्त वर्ष 2025-26 की दूसरी छमाही में ही नजर आएगा।
उन्होंने कहा कि पिछले रुझानों की तुलना में इस बार प्रमुख नीतिगत दर में कटौती का ग्राहकों के स्तर पर रूपांतरण कहीं अधिक तेजी से होगा।
मल्होत्रा ने मुद्रास्फीति के संदर्भ में कहा कि ऐसा माना जा सकता है कि आरबीआई ने मूल्यवृद्धि के खिलाफ़ जारी जंग जीत ली है।
उन्होंने संवाददाताओं को बताया कि भारत के लिए आकांक्षी वृद्धि दर सालाना 7-8 प्रतिशत है।
उन्होंने मौद्रिक नीति के रुख को 'उदार' से 'तटस्थ' में बदलने की भी घोषणा की।
मल्होत्रा ने कहा, ''तटस्थ रुख का मतलब होगा कि यह (रेपो दर) किसी भी दिशा में जा सकती है। यह इस बात पर निर्भर करेगा कि आंकड़े कैसे रहते हैं। अगर वृद्धि कमजोर है, तो हो सकता है कि यह और नीचे जाए। यदि वृद्धि अच्छी है, मुद्रास्फीति बढ़ रही है, तो इसका मतलब यह हो सकता है कि रेपो दर बढ़े। यह इस बात पर निर्भर करेगा कि मुद्रास्फीति और वृद्धि, दोनों के कैसे आंकड़े सामने आते हैं।''
उन्होंने कहा कि रुख को बदलकर अब 'तटस्थ' करने की वजह यह है कि ऐसा महसूस किया गया कि दरों में कटौती के लिए आगे गुंजाइश नहीं है, और यह बात सभी हितधारकों को बतानी होगी।
गवर्नर ने कहा कि मौद्रिक नीति निश्चित रूप से ऋण वृद्धि को गति देने और व्यापक आर्थिक वृद्धि में मदद करेगी।
उन्होंने कहा कि दरों में कटौती को आगे बढ़ाने और इसे सीआरआर में कटौती के साथ जोड़ने का एक मकसद ऋण वृद्धि में तेजी लाना है।
आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए मुद्रास्फीति के पूर्वानुमान को घटाकर 3.7 प्रतिशत कर दिया है जबकि उसने अप्रैल में इसके चार प्रतिशत रहने की संभावना जताई थी। औसत खुदरा मुद्रास्फीति के चार प्रतिशत से कम रहने का यह अनुमान हाल के वर्षों में सबसे कम है।
हालांकि, केंद्रीय बैंक ने कहा कि इन अनुकूल पूर्वानुमानों के बावजूद वह मौसम संबंधी अनिश्चितताओं और वैश्विक जिंस कीमतों पर उनके प्रभाव के साथ शुल्क संबंधी चिंताओं को लेकर सतर्क रुख अपनाएगा।
आरबीआई गवर्नर ने नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में कटौती के संबंध में कहा कि इससे निश्चित रूप से ऋण प्रवाह को बढ़ावा मिलेगा।
केंद्रीय बैंक ने सीआरआर में पूरे एक प्रतिशत की कटौती करने का फैसला किया है जिससे अर्थव्यवस्था के उत्पादक क्षेत्रों को उधार देने के लिए बैंकिंग प्रणाली में दिसंबर तक 2.5 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त नकदी उपलब्ध होगी।
भाषा पाण्डेय