अलप्पुझा में 1989 के आम चुनाव के दौरान डाक मतपत्र खोलने के माकपा नेता के दावे की आयोग ने जांच शुरू की
रंजन प्रशांत
- 15 May 2025, 06:24 PM
- Updated: 06:24 PM
अलप्पुझा (केरल), 15 मई (भाषा) मार्क्सवादी कम्यूनिस्ट पार्टी (माकपा) के वरिष्ठ नेता और केरल के पूर्व मंत्री जी सुधाकरन के 1989 में डाक मतपत्रों को खोले जाने संबंधी दावे वाले वीडियो के सोशल मीडिया पर प्रसारित होने के बाद भारत निर्वाचन आयोग ने बृहस्पतिवार को मामले की जांच शुरू की।
सुधाकरन ने कथित तौर पर दावा किया था कि अलप्पुझा लोकसभा सीट पर 1989 में हुये आम चुनाव के दौरान डाक से प्राप्त मतपत्रों को खोला गया था, ताकि यह पता लगाया जा सके कि पार्टी समर्थित एनजीओ यूनियन के किन सदस्यों ने विपक्षी दल के उम्मीदवार के पक्ष में मतदान किया है।
एनजीओ यूनियन के एक कार्यक्रम के दौरान बुधवार को सुधाकरन द्वारा विवादास्पद खुलासा करने का एक कथित वीडियो सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से प्रसारित हो रहा है, जिसके बाद भारत निर्वाचन आयोग ने इसकी जांच शुरू की है ।
मामले की जांच के लिये, आयोग के अधिकारियों का एक दल बृहस्पतिवार को सुधाकरन के आवास पर गया और उनका बयान दर्ज किया। उन्होंने बताया कि आगे की कार्रवाई के लिये मामले को जिला कलेक्टर को भेज दिया जायेगा।
वीडियो में सुधाकरन को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि एनजीओ यूनियन के सदस्यों को विपक्षी उम्मीदवारों के पक्ष में मतदान नहीं करना चाहिये।
सुधाकरन ने कहा कि सभी एनजीओ सदस्यों के लिए पार्टी को वोट देना जरूरी नहीं है, लेकिन जो लोग सीलबंद मतपत्र जमा करते हैं, उन्हें यह नहीं समझना चाहिए कि ‘हमें पता नहीं चलेगा’ कि उन्होंने किसे वोट किया है।
समाचार चैनलों द्वारा प्रसारित वीडियो में सुधाकरन के हवाले से कहा गया है, ‘‘हम उन्हें खोलेंगे, सत्यापित करेंगे और सही करेंगे। अगर ऐसा कहने के लिए मेरे खिलाफ मामला भी दर्ज किया जाता है, तो मुझे कोई आपत्ति नहीं है।’’
उन्होंने कहा कि कुछ एनजीओ यूनियन के सदस्यों ने विपक्षी उम्मीदवारों को वोट दिया था।
माकपा नेता ने कहा, “जब केएसटीए नेता के वी देवदास ने अलप्पुझा से संसद के लिए चुनाव लड़ा था, तो डाक मतपत्रों को खोलकर (पार्टी की) जिला समिति के कार्यालय में जांच की गई थी।’’
उन्होंने कहा कि यह पाया गया कि 15 प्रतिशत ने विरोधी उम्मीदवार को वोट दिया था। उनके अनुसार, जो टूटा हुआ है उसे जोड़ना मुश्किल नहीं है।’’
केएसटीए स्कूल शिक्षकों का संगठन है, जिसे माकपा का समर्थन हासिल है।
वीडियो से यह स्पष्ट नहीं हो पाया कि 1989 के अलप्पुझा लोकसभा चुनाव के दौरान डाक मतपत्रों के साथ छेड़छाड़ उनके द्वारा की गयी या उनके सहयोगियों द्वारा की गयी थी।
सुधाकरन ने कहा कि देवदास ने तब कांग्रेस नेता वक्कम पुरुषोत्तमन के खिलाफ चुनाव लड़ा था और 18,000 मतों से हार गए थे।
निर्वाचन आयोग के दस्तावेज हालांकि कहते हैं कि चुनाव में, पुरूषोत्तमन ने 3,75,763 वोट हासिल किए और माकपा उम्मीदवार देवदास को हराया, जिन्हें 3,50,640 वोट मिले थे।
पुरूषोत्तमन ने 25,123 वोटों के अंतर से जीत हासिल की, जो कुल वैध वोटों का 3.36 प्रतिशत था।
माकपा के अलप्पुझा जिला नेतृत्व ने सुधाकरन के दावे को खारिज करते हुए कहा कि ऐसा कुछ नहीं हुआ था, और पार्टी की इसमें कोई भूमिका नहीं है।
उन्होंने कहा कि वे सुधाकरन से स्पष्टीकरण मांगेंगे, जो कुछ साल पहले सक्रिय राजनीति से सेवानिवृत्त होने के बाद से केवल पार्टी के सदस्य हैं।
सुधाकरन के दावे पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष के. सुरेंद्रन ने कहा कि वरिष्ठ माकपा नेता का बयान गंभीर है और अब जनता के सामने यह स्पष्ट हो गया है कि ‘इंडी’ (इंडिया) गठबंधन ईवीएम का विरोध क्यों करता है।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कांग्रेस भी हमेशा से यही करती रही है।
भाजपा नेता ने यहां एक बयान में आरोप लगाया, ‘‘ईवीएम के आने से चुनावी गड़बड़ियों का अंत हुआ है, जिससे इंडी गठबंधन अस्थिर हो गया है। यहां तक कि राहुल गांधी और अन्य लोग भी विदेशों में ईवीएम के खिलाफ अभियान चला रहे हैं, जो इसी हताशा से उपजा है।’’
कांग्रेस ने सुरेंद्रन के आरोपों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
भाषा रंजन