नैतिक मूल्य भारतीय शिक्षा का मूल आधार: राज्यपाल बागडे
पृथ्वी राजकुमार
- 15 May 2025, 06:10 PM
- Updated: 06:10 PM
जयपुर, 15 मई (भाषा) राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने बृहस्पतिवार को कहा कि नैतिक मूल्य भारतीय संस्कृति का प्रमुख आधार रहा है और नई शिक्षा नीति इसी की संवाहक है।
वह राजस्थान विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा,‘‘नैतिक मूल्य भारतीय संस्कृति का प्रमुख आधार रहा है। इन मूल्यों से दूर करने के लिए अंग्रेज शासन में लॉर्ड मैकाले ने हमारे यहां अंग्रेजी शिक्षा पद्धति लागू की। इससे देशवासियों में गुलाम मानसिकता विकसित हुई।’’
उन्होंने कहा कि विनोबा भावे ने कहा था कि आजादी मिलने के बाद जिस तरह से देश का झंडा बदला गया वैसे ही यहां की शिक्षा नीति बदलनी चाहिए थी, पर ऐसा नहीं हुआ।
राज्यापाल ने कहा कि इसी आलोक में अब एक हजार शिक्षाविदों ने मिलकर नई शिक्षा नीति तैयार की है जो पूरी तरह से भारतीयता से ओतप्रोत नैतिक मूल्यों की संवाहक है एवं उसमें भारतीय संस्कृति और उदात्त जीवन मूल्यों पर ही जोर है।
उन्होंने कहा कि शिक्षकों को चाहिए कि वे इस नीति के आलोक में विद्यार्थियों को शिक्षित-दीक्षित करें।
राज्यपाल ने समारोह में स्वर्ण पदक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों में 75 प्रतिशत से अधिक संख्या बालिकाओं की रहने पर प्रसन्नता जताते हुए कहा कि अब लड़कियां आधी आबादी के गणित को पार कर उपलब्धियों का इतिहास रच रही है।
उन्होंने महर्षि अरविंद की चर्चा करते हुए कहा कि अंतर्मन को जागृत करने पर जोर देते हुए अरविंद ने बच्चों की बौद्धिक क्षमता बढ़ाए जाने की बात कही थी।
उन्होंने कहा, ‘‘पंडित नेहरू ने डिस्कवरी ऑफ इंडिया में इसका उल्लेख किया है। हमारी नई शिक्षा नीति इसी दृष्टि की पूर्ति करने वाली है।’’
विधानसभा अध्यक्ष प्रो. वासुदेव देवनानी ने कहा कि राजस्थान में विश्वविद्यालय में कुलपति के स्थान पर अब कुलगुरु की परंपरा के आदेश जारी किए गए हैं जो बहुत महत्वपूर्ण है।
उन्होंने कहा कि कुलगुरु शब्द में ही शिक्षा का गौरव निहित है।
देवनानी ने भारतीय ज्ञान प्रणाली को आज भी प्रासंगिक बताते हुए कहा कि प्राचीन काल से चली आ रही इस समृद्ध और व्यापक ज्ञान प्रणाली ने शिक्षा, विज्ञान, प्रौद्योगिकी और दर्शन जैसे विभिन्न क्षेत्रों में व्यापक योगदान किया है।
उन्होंने युवाओं का आव्हान किया कि वे शील संस्कार और शालीनता के साथ स्वावलंबी बने।
उप मुख्यमंत्री एवं उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमचंद बैरवा ने विकसित भारत के लिए उच्च शिक्षा की महती भूमिका बताते हुए इसके लिए सभी को मिलकर कार्य करने का आह्वान किया।
भाषा पृथ्वी