राजनाथ सोमवार को जापान के रक्षा मंत्री के साथ वार्ता करेंगे
आशीष पारुल
- 04 May 2025, 07:51 PM
- Updated: 07:51 PM
(फाइल फोटो सहित)
नयी दिल्ली, चार मई (भाषा) रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सोमवार को जापान के अपने समकक्ष जनरल नकातानी के साथ व्यापक वार्ता करेंगे। यह वार्ता पहलगाम आतंकवादी हमले को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव तथा दक्षिण चीन सागर में चीन की बढ़ती सैन्य गतिविधियों की पृष्ठभूमि में होगी।
रक्षा मंत्रालय ने कहा कि भारतीय और जापानी पक्ष मौजूदा क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा हालात पर ‘‘विचारों’’ का आदान-प्रदान करेंगे तथा द्विपक्षीय रक्षा सहयोग को और गहरा करने के तरीकों पर चर्चा करेंगे।
वार्ता में पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के बाद पैदा हालात पर भी चर्चा हो सकती है। इस हमले में 26 लोग मारे गए थे।
दोनों पक्षों के बीच भारत-जापान रक्षा औद्योगिक सहयोग को बढ़ावा देने के तरीकों पर भी विचार-विमर्श होने की संभावना है।
भारत और जापान के रक्षा मंत्रियों के बीच छह महीने के भीतर यह दूसरी बैठक होगी। इससे पहले नवंबर में लाओस में आसियान (दक्षिण पूर्वी एशियाई राष्ट्रों का संगठन) रक्षा मंत्रियों की बैठक के दौरान उनकी मुलाकात हुई थी।
उस बैठक में, राजनाथ और जनरल नकातानी ने दोनों सेनाओं के बीच अधिक सामंजस्य के लिए आपूर्ति और सेवा समझौते के पारस्परिक प्रावधान पर विचार-विमर्श किया।
पारस्परिक आपूर्ति एवं सेवा समझौता हो जाने पर दोनों देशों की सेनाओं को सैन्य साजो-सामान, उपकरणों की मरम्मत और आपूर्ति के संबंध में एक-दूसरे के अड्डों का इस्तेमाल करने की सुविधा मिलेगी, साथ ही समग्र रक्षा सहयोग को बढ़ाने में भी मदद मिलेगी।
मंत्रालय ने राजनाथ-नकातानी की मुलाकात से पहले कहा, ‘‘भारत और जापान के बीच दीर्घकालिक मित्रता है, इसमें 2014 में इस सहयोग को विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी तक बढ़ाए जाने के बाद गुणात्मक प्रगति हुई है।’’
बयान में कहा गया, ‘‘रक्षा और सुरक्षा दोनों देशों के बीच संबंधों के महत्वपूर्ण स्तंभ हैं।’’
पता चला है कि दोनों पक्ष पूर्वी और दक्षिण चीन सागर के रणनीतिक जलक्षेत्र में स्थिति की भी समीक्षा करेंगे, जहां बीजिंग अपनी सैन्य गतिविधियां बढ़ा रहा है।
बयान में कहा गया, ‘‘सामरिक मामलों के विस्तार के कारण हाल के वर्षों में भारत और जापान के बीच रक्षा आदान-प्रदान में वृद्धि हुई है। हिंद-प्रशांत क्षेत्र की शांति, सुरक्षा और स्थिरता के मुद्दों पर साझा दृष्टिकोण से इसका महत्व बढ़ रहा है।’’
भाषा आशीष