अजीमगंज सराय के जीर्णोद्धार में देरी, अनुमति न मिलने से अटका काम
राखी दिलीप
- 16 Mar 2025, 08:23 PM
- Updated: 08:23 PM
नयी दिल्ली, 16 मार्च (भाषा) दिल्ली के राष्ट्रीय प्राणी उद्यान (चिड़ियाघर) में स्थित मुगलकालीन स्मारक अजीमगंज सराय के जीर्णोद्धार के प्रयासों में चिड़ियाघर प्राधिकारियों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के कारण देरी हो गई है। कला, संस्कृति और भाषा विभाग (एसीएल) के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी।
एक अधिकारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि स्मारक की मरम्मत के लिए कई बार अनुमति मांगी गई, लेकिन संरक्षण कार्य शुरू नहीं हो सका, जिसके कारण इसकी स्थिति बदतर होती जा रही है।
हालांकि, चिड़ियाघर प्रशासन ने इन दावों को खारिज करते हुए कहा कि उन्हें इस संबंध में कोई प्रस्ताव नहीं मिला है।
चिड़ियाघर के एक अधिकारी ने कहा, "हमें कोई नया अनुरोध या प्रस्ताव नहीं मिला है।"
अजीमगंज सराय को दिल्ली सरकार के पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित स्मारक घोषित किया गया है। यह मुगलकाल के दौरान पत्थर की दीवारों, मेहराबदार कक्षों और अष्टकोणीय बुर्जों के साथ एक बड़े घेरे के रूप में निर्मित किया गया था।
एसीएल अधिकारी ने बताया कि वर्षों की उपेक्षा और देखभाल के अभाव में स्मारक की संरचनात्मक स्थिति गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो गई है। उन्होंने बताया कि स्मारक के कुछ हिस्से गिर चुके हैं और अनियंत्रित रूप से बढ़ी वनस्पति ने इसके अवशेषों को कमजोर कर दिया है।
उन्होंने बताया कि वर्ष 2013 में सरकार ने आगा खां ट्रस्ट फॉर कल्चर (एकेटीसी) को स्मारक के संरक्षण की जिम्मेदारी सौंपी थी। पहले चरण में दक्षिण-पश्चिम और उत्तर-पूर्वी हिस्से का जीर्णोद्धार किया गया था, लेकिन चिड़ियाघर प्रशासन द्वारा लगाई गई पाबंदियों के कारण शेष हिस्सों का कार्य वर्षों से रुका हुआ है।
अधिकारी ने कहा, "जब दूसरे चरण के लिए प्रस्ताव भेजा गया, तो तत्कालीन उपमुख्यमंत्री ने परियोजना का फिर से आकलन करने का निर्देश दिया।"
अधिकारी ने बताया कि एक स्थल निरीक्षण के दौरान यह पाया गया कि दक्षिण-पूर्व और उत्तर-पश्चिम हिस्सों की स्थिति बेहद खराब है और तुरंत मरम्मत की जरूरत है। बाद में एक तकनीकी समिति ने परियोजना की समीक्षा कर एकेटीसी से संशोधित अनुमान प्रस्तुत करने को कहा।
वर्ष 2023 में किए गए निरीक्षण में यह पाया गया कि चिड़ियाघर प्रशासन द्वारा लगाई गई पाबंदियों के चलते स्मारक के आसपास की झाड़ियों और वनस्पतियों को साफ करना मुश्किल हो गया है, जिससे आवश्यक मरम्मत कार्य का आकलन नहीं हो पा रहा है।
एसीएल अधिकारी ने बताया कि स्मारक के चारों ओर लगभग 80 पेड़ उग आए हैं, जिससे इसके जीर्णोद्धार की प्रक्रिया और भी जटिल हो गई है।
उन्होंने कहा, "इन पेड़ों को हटाए बिना, दीवारों को मजबूत करने और संरचना को स्थिर करने का आकलन संभव नहीं है।"
पहले चरण में संरक्षित किए गए हिस्सों की भी देखरेख नहीं हो पा रही है।
अजीमगंज सराय के अलावा, चिड़ियाघर परिसर में स्थित दो अन्य संरक्षित स्मारक - हिरण पिंजरे और चिंपांज़ी पिंजरे के पास स्थित मकबरे भी रखरखाव के अभाव में जर्जर स्थिति में पहुंच रहे हैं।
एसीएल अधिकारी ने कहा कि कई बैठकों, निरीक्षणों और प्रस्तुतियों के बावजूद आवश्यक अनुमति अब तक लंबित है।
भाषा राखी