भारत, मॉरीशस ने आठ समझौतों पर हस्ताक्षर किए, मोदी ने ‘महासागर’ दृष्टिकोण की घोषणा की
अमित नरेश पवनेश
- 12 Mar 2025, 09:10 PM
- Updated: 09:10 PM
(फोटो के साथ)
पोर्ट लुइस, 12 मार्च (भाषा) भारत और मॉरीशस ने बुधवार को अपने संबंधों का विस्तार करते हुए इन्हें ‘विस्तारित रणनीतिक साझेदारी’ के स्तर तक पहुंचाया और समुद्री सुरक्षा एवं स्थानीय मुद्राओं में व्यापार को बढ़ावा देने सहित कई क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के लिए आठ समझौतों पर हस्ताक्षर किए। वहीं, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘ग्लोबल साउथ’ के विकास के लिए एक महत्वाकांक्षी दृष्टिकोण की घोषणा की।
मॉरीशस की अपनी दो दिवसीय यात्रा के दूसरे और अंतिम दिन मोदी ने द्वीपीय राष्ट्र के राष्ट्रीय दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण स्थान पर स्थित इस देश के लिए कई विकास परियोजनाओं की घोषणा की।
मॉरीशस के अपने समकक्ष नवीनचंद्र रामगुलाम के साथ वार्ता के बाद मोदी ने ‘ग्लोबल साउथ’ के लिए भारत के नये दृष्टिकोण की घोषणा की और इसे ‘‘महासागर’’ या ‘‘क्षेत्रों में सुरक्षा एवं विकास के लिए पारस्परिक और समग्र उन्नति (म्यूचुअल एंड होलिस्टिक एडवांस्मेंट फॉर सिक्योरिटी एंड ग्रोथ एक्रॉस रीजन्स) नाम दिया। यह नीतिगत दृष्टिकोण हिंद महासागर में चीन के अपने प्रभाव का विस्तार करने के अथक प्रयासों की पृष्ठभूमि में आया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘‘हम मॉरीशस के विशेष आर्थिक क्षेत्र की सुरक्षा में पूर्ण सहयोग देने के लिए प्रतिबद्ध हैं।’’
बैठक में मोदी ने क्षेत्र में दोनों देशों के साझा उद्देश्यों को देखते हुए मॉरीशस को उसकी रक्षा और सुरक्षा आवश्यकताओं को बढ़ाने में भारत के निरंतर समर्थन और सहायता को दोहराया।
मोदी ने कहा कि एक स्वतंत्र, मुक्त, सुरक्षित और संरक्षित हिंद महासागर भारत और मॉरीशस की साझा प्राथमिकता है। मोदी ने कहा कि उन्होंने और रामगुलाम ने इस बात पर सहमति जताई कि रक्षा सहयोग एवं समुद्री सुरक्षा दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
दोनों पक्षों ने 'संवर्धित रणनीतिक साझेदारी के लिए संयुक्त दृष्टिकोण' भी पेश किया, जिसमें रक्षा और समुद्री सुरक्षा, व्यापार, स्वास्थ्य और शिक्षा, तथा अंतरिक्ष और जलवायु परिवर्तन सहित विभिन्न क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग का विस्तार करने के लिए भविष्योन्मुखी दृष्टिकोण को रेखांकित किया गया।
दस्तावेज में कहा गया है कि दोनों पक्ष संयुक्त समुद्री निगरानी और जल सर्वेक्षण के लिए जहाजों और विमानों की तैनाती बढ़ाकर समुद्री सहयोग बढ़ाएंगे।
इसमें कहा गया कि दोनों नेताओं ने मॉरीशस के विशेष आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) को सुरक्षित करने की दिशा में सहयोग बढ़ाने का भी संकल्प लिया, जिसमें अगलेगा में नवनिर्मित रनवे और जेटी का बेहतर उपयोग शामिल है।
‘महासागर’ दृष्टिकोण की घोषणा प्रधानमंत्री द्वारा 2015 में मॉरीशस की यात्रा के दौरान नयी दिल्ली की ‘सागर’ या ‘‘क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास’’ (सिक्योरिटी एंड ग्रोथ फॉर ऑल इन द रीजन्स) की घोषणा के 10 साल बाद हुई, जिसने हिंद महासागर क्षेत्र के साथ भारत की भागीदारी के लिए आधार बनाया।
मोदी ने मीडिया को दिए अपने बयान में कहा, ‘‘हमने इस पूरे क्षेत्र की स्थिरता और समृद्धि के लिए ‘सागर’ दृष्टि को आगे बढ़ाया है। आज इसे आगे बढ़ाते हुए मैं कहना चाहूंगा कि ‘ग्लोबल साउथ’ के लिए हमारा दृष्टिकोण ‘सागर’ से आगे बढ़कर ‘महासागर’ होगा, जिसका अर्थ है "क्षेत्रों में सुरक्षा और विकास के लिए पारस्परिक और समग्र उन्नति"।
‘ग्लोबल साउथ’ शब्द का इस्तेमाल आम तौर पर आर्थिक रूप से कम विकसित देशों को संदर्भित करने के लिए किया जाता है।
1960 के दशक में पनपा ‘ग्लोबल साउथ’ शब्द आम तौर पर लैटिन अमेरिका, एशिया, अफ्रीका और ओशिनिया के क्षेत्रों के लिए इस्तेमाल किया जाता है। खासकर इसका मतलब, यूरोप और उत्तरी अमेरिका के बाहर, दक्षिणी गोलार्द्ध और भूमध्यरेखीय क्षेत्र में स्थित ऐसे देशों से है जो ज्यादातर कम आय वाले हैं और राजनीतिक तौर पर भी पिछड़े हैं।
मोदी ने कहा कि नया दृष्टिकोण विकास के लिए व्यापार की भावना, सतत विकास के लिए क्षमता निर्माण और साझा भविष्य के लिए आपसी सुरक्षा पर केंद्रित होगा। मोदी ने कहा, ‘‘इसके तहत प्रौद्योगिकी साझाकरण, रियायती ऋण और अनुदान के माध्यम से सहयोग सुनिश्चित किया जाएगा।’’
मोदी-रामगुलाम वार्ता के बाद हुए समझौतों में सीमा पार लेनदेन के लिए राष्ट्रीय मुद्राओं के उपयोग को बढ़ावा देना, समुद्री डेटा साझा करना, धन शोधन से निपटने में संयुक्त कार्य और एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) क्षेत्र में सहयोग बढ़ाना शामिल है।
रामगुलाम ने अपने संबोधन में कहा कि मॉरीशस को अपने सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए भारतीय सहायता से लाभ मिलता रहेगा। उन्होंने कहा कि दोनों पक्ष व्यापक आर्थिक सहयोग और साझेदारी समझौते (सीईसीपीए) के माध्यम से व्यापार संबंधों को सुदृढ़ बनाना जारी रखेंगे।
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने एक प्रेसवार्ता में कहा कि मॉरीशस में पानी की पाइपलाइनों को बदलने के लिए 487 करोड़ रुपये की भारतीय रुपया आधारित ऋण सुविधा पर एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए।
उन्होंने कहा कि यह ऋण सुविधा भारतीय स्टेट बैंक द्वारा प्रदान की गई है और यह पहली भारतीय रुपया-आधारित ऋण सुविधा है जो नयी दिल्ली द्वारा किसी देश को प्रदान की जा रही है।
दोनों नेताओं ने अपनी वार्ता में कहा कि रक्षा और समुद्री सुरक्षा सहयोग द्विपक्षीय संबंधों का एक महत्वपूर्ण स्तंभ बना हुआ है तथा इस क्षेत्र में घनिष्ठ सहयोग ने रणनीतिक आयाम हासिल कर लिया है तथा इससे दोनों देशों को काफी लाभ हुआ है, जैसा कि बढ़ी हुई रणनीतिक साझेदारी के लिए संयुक्त दृष्टिकोण पर दस्तावेज में कहा गया है।
दोनों नेताओं ने इस बात पर भी सहमति जतायी की कि मॉरीशस और भारत, एक स्वतंत्र, खुले, सुरक्षित और संरक्षित हिंद महासागर क्षेत्र को सुनिश्चित करने के लिए एक साझा प्रतिबद्धता रखते हुए, इस क्षेत्र में स्वाभाविक साझेदार हैं। दोनों नेताओं ने समुद्री चुनौतियों का मुकाबला करने और क्षेत्र में बड़े रणनीतिक हितों की रक्षा करने के लिए मिलकर काम करने का अपना संकल्प दोहराया।
दस्तावेज में कहा गया है कि रामगुलाम ने रक्षा और समुद्री परिसंपत्तियों की व्यवस्था तथा जहाजों और विमानों की नियमित तैनाती के माध्यम से मॉरीशस के विशाल विशेष आर्थिक क्षेत्र की सुरक्षा में भारत द्वारा दिए गए "अटूट समर्थन" के लिए उसकी सराहना की।
मॉरीशस के प्रधानमंत्री ने तटरक्षक जहाजों विक्ट्री, वैलिएंट और बाराकुडा की मरम्मत के लिए अनुदान के आधार पर निरंतर सहायता के लिए भारत को धन्यवाद दिया।
दस्तावेज में कहा गया है कि मोदी ने कहा कि मॉरीशस भारत के लिए एक विशेष समुद्री साझेदार है और भारत के दृष्टिकोण ‘सागर’ के तहत एक महत्वपूर्ण साझेदार है। प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी कहा कि नयी दिल्ली मॉरीशस में नये संसद भवन के निर्माण में सहयोग करेगी और यह 'लोकतंत्र की जननी' की ओर से द्वीपीय राष्ट्र के लिए एक उपहार होगा।
दोनों देशों के बीच रणनीतिक सहयोग पर चर्चा करते हुए मोदी ने कहा कि मॉरीशस को उसके तटरक्षक बल की जरूरतों को पूरा करने में हरसंभव मदद प्रदान की जाएगी तथा भारत देश में एक पुलिस अकादमी एवं राष्ट्रीय समुद्री सूचना साझाकरण केंद्र की स्थापना में सहायता करेगा।
उन्होंने कहा, ‘‘श्वेत नौवहन, नीली अर्थव्यवस्था और जल विज्ञान पर सहयोग को मजबूत किया जाएगा। हम चागोस द्वीपसमूह विवाद के संदर्भ में मॉरीशस की संप्रभुता का पूरा सम्मान करते हैं।’’
भारत हिंद महासागर में चागोस द्वीप समूह पर ब्रिटेन के साथ पारस्परिक रूप से लाभकारी समझौते तक पहुंचने के द्वीपीय राष्ट्र के प्रयासों का समर्थन करता रहा है। पिछले साल अक्टूबर में, ब्रिटेन ने एक ऐतिहासिक समझौते के तहत आधी सदी से भी अधिक समय के बाद चागोस द्वीप समूह की संप्रभुता मॉरीशस को सौंपने के अपने फैसले की घोषणा की थी।
मॉरीशस के पूर्व प्रधानमंत्री प्रविंद जगन्नाथ के कार्यकाल के दौरान हुए इस समझौते के तहत ब्रिटेन चागोस द्वीपसमूह पर अपनी संप्रभुता का त्याग कर देगा, लेकिन सबसे बड़े द्वीप डिएगो गार्सिया पर ब्रिटेन-अमेरिका सैन्य एयरबेस को लेकर 99 साल का पट्टा बनाए रखेगा।
हालांकि, रामगुलाम के नेतृत्व वाली मॉरीशस की नयी सरकार ने चागोस द्वीपसमूह पर ब्रिटेन के साथ बातचीत फिर से शुरू करने की मांग की और समझौते पर फिर से विचार करने की मांग की।
दोनों नेताओं ने कैप मालहेरेक्स में क्षेत्रीय स्वास्थ्य केंद्र और 20 से अधिक उच्च प्रभाव वाली सामुदायिक विकास परियोजनाओं का डिजिटल तरीके से उद्घाटन भी किया। अपने संबोधन में मोदी ने कहा कि उन्होंने और रामगुलाम ने भारत-मॉरीशस संबंधों को ‘‘विस्तार देते हुए इसे विस्तारित रणनीतिक साझेदारी’’ का दर्जा देने का फैसला किया है।
उन्होंने कहा, ‘‘हम आर्थिक और सामाजिक प्रगति के पथ पर एक-दूसरे के साझेदार हैं। चाहे प्राकृतिक आपदा हो या कोविड-19 महामारी जैसी आपदा, हमने हमेशा एक-दूसरे का साथ दिया है।’’
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘चाहे रक्षा हो या शिक्षा, स्वास्थ्य हो या अंतरिक्ष, हम हर क्षेत्र में कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे हैं।’’
मोदी ने कहा, ‘‘पिछले 10 वर्षों में हमने अपने संबंधों में कई नए आयाम जोड़े हैं। हमने विकास सहयोग और दक्षता विकास में नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं।’’
प्रधानमंत्री ने भारत की सहायता से मॉरीशस में क्रियान्वित की जाने वाली कई विकास परियोजनाओं की भी घोषणा की। उन्होंने कहा कि 100 किलोमीटर लंबी जल पाइपलाइन के आधुनिकीकरण का काम किया जाएगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सामुदायिक विकास परियोजनाओं के दूसरे चरण में 50 करोड़ मॉरीशस रुपये की नयी परियोजनाएं शुरू की जाएंगी। मोदी ने कहा, ‘‘हम स्थानीय मुद्राओं में आपसी व्यापार करने पर भी सहमत हुए हैं।’’
उन्होंने मॉरीशस में भारत से सहायता प्राप्त विभिन्न परियोजनाओं का भी उल्लेख किया, जिनमें ‘‘मॉरीशस में गति के लिए मेट्रो एक्सप्रेस, न्याय के लिए उच्चतम न्यायालय भवन, बेहतर आवास के लिए सामाजिक आवास, अच्छे स्वास्थ्य के लिए ईएनटी अस्पताल, व्यापार और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए ‘यूपीआई’ (यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस) और रुपे कार्ड शामिल हैं।’’
मोदी और रामगुलाम ने मॉरीशस को ‘‘अटल बिहारी वाजपेयी लोक सेवा एवं नवाचार संस्थान’’ भी समर्पित किया। प्रधानमंत्री ने दोनों देशों के लोगों के बीच आपसी संबंधों पर भी बात की।
मोदी ने कहा, ‘‘हम एआई (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) और डीपीआई के उपयोग के लिए मिलकर काम करेंगे, जो मानव विकास में डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मॉरीशस के लोगों के लिए भारत में चार धाम यात्रा और रामायण यात्रा के लिए सुविधाएं प्रदान की जाएंगी।’’
पश्चिमी हिंद महासागर में स्थित द्वीपीय राष्ट्र मॉरीशस के साथ भारत के घनिष्ठ और दीर्घकालिक संबंध हैं।
भारतीय नौसेना के एक युद्धपोत और भारतीय वायुसेना की आकाशगंगा ‘स्काईडाइविंग’ टीम के साथ भारतीय सशस्त्र बलों की एक टुकड़ी ने भी राष्ट्रीय दिवस समारोह में भाग लिया।
भाषा अमित नरेश