संसदीय समिति ने ग्रामीण विकास मंत्रालय की निधियों का पूर्ण उपयोग नहीं होने पर चिंता जताई
अविनाश नरेश
- 12 Mar 2025, 08:53 PM
- Updated: 08:53 PM
नयी दिल्ली, 12 मार्च (भाषा) ग्रामीण विकास संबंधी स्थायी संसदीय समिति ने बुधवार को अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि मनरेगा और अन्य योजनाओं के तहत पश्चिम बंगाल को मिलने वाली राशि के निलंबन के ‘गंभीर परिणाम’ सामने आए हैं, जिनमें पलायन में तेजी और ग्रामीण विकास पहल में व्यवधान शामिल हैं।
इसके साथ ही समिति ने ग्रामीण विकास मंत्रालय के कोष के कम उपयोग पर चिंता जताई है।
केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय की अनुदान मांगों पर बुधवार को संसद में एक रिपोर्ट पेश की गयी। कांग्रेस सांसद सप्तगिरि शंकर उलाका की अध्यक्षता वाली समिति ने कहा कि मंत्रालय द्वारा उपलब्ध आंकड़ों में उसने पाया कि वित्तीय वर्ष 2022-23, 2023-24 और चालू वित्त वर्ष के लिए मनरेगा और विभिन्न अन्य योजनाओं के तहत पश्चिम बंगाल को कोई केंद्रीय कोष नहीं जारी किया गया है।
समिति ने कहा, ‘‘कोष के निरंतर निलंबन के गंभीर परिणाम सामने आए हैं, जिनमें संकट के चलते पलायन में वृद्धि और ग्रामीण विकास संबंधी पहल में व्यवधान शामिल हैं।’’
निकाय ने कहा, ‘‘इससे ग्रामीण आबादी की आजीविका पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है और राज्य में आर्थिक कठिनाइयां बढ़ गई हैं।’’
समिति ने सिफारिश की कि पश्चिम बंगाल को सभी पात्र वर्षों के लिए उसका उचित बकाया मिलना चाहिए, सिवाय उस वर्ष के, जिसको लेकर विवाद अदालत में है।
समिति ने कहा कि लंबित भुगतान तुरंत जारी किए जाने चाहिए ताकि सुनिश्चित हो सके कि जारी ग्रामीण विकास परियोजनाएं अटकी नहीं रहें और इच्छित लाभार्थियों को वित्तीय बाधाओं के कारण परेशानी न हो।
समिति ने यह भी कहा कि प्रमुख महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) में राशि स्थिर है। समिति इस बात पर चिंतित है कि वित्त वर्ष 2025-26 के लिए मनरेगा के तहत बजट अनुमान 2023-24 के संशोधित अनुमानों के बाद से 86,000 करोड़ रुपये पर अपरिवर्तित है। समिति ने ग्रामीण विकास मंत्रालय से धन आवंटन की आवश्यकताओं पर नए सिरे से विचार करने का अनुरोध किया।
समिति ने कहा कि मनरेगा मांग-आधारित योजना है, इसलिए संशोधित अनुमान स्तर पर तदनुसार धनराशि बढ़ायी जा सकती है।
समिति ने ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा अपने कोष का पूरा उपयोग नहीं करने पर भी चिंता जताई। उसने कहा कि 2024-25 के संशोधित अनुमान में आवंटित 1,73,804.01 करोड़ रुपये के मुकाबले वास्तविक व्यय केवल 1,13,284.55 करोड़ रुपये था, जो आवंटित कोष से 34.82 प्रतिशत कम था।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इससे संकेत मिलता है कि या तो सरकार की बजटीय योजना पर्याप्त विवेकपूर्ण नहीं थी, या योजनाओं के वास्तविक कार्यान्वयन स्तर पर कोई समस्या थी।
समिति ने सिफारिश की है कि ग्रामीण विकास विभाग नवीन रणनीति तैयार करे और राजकोषीय सूझबूझ को बढ़ाने के लिए प्रभावी दृष्टिकोण अपनाए।
भाषा अविनाश