द्विपक्षीय मुक्त व्यापार समझौते की संभावना तलाश रहे हैं भारत, कतर
राजेश राजेश अजय
- 18 Feb 2025, 07:31 PM
- Updated: 07:31 PM
नयी दिल्ली, 18 फरवरी (भाषा) भारत और कतर भविष्य में द्विपक्षीय मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर हस्ताक्षर करने की संभावना तलाश रहे हैं। इस पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और कतर के अमीर शेख तमीम बिन हम्माद अल-सानी के बीच मंगलवार को हुई बातचीत के दौरान चर्चा हुई। अधिकारियों ने यह जानकारी दी है।
भारत में अमीर की दो दिवसीय राजकीय यात्रा पर एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान विदेश मंत्रालय में सचिव (सीपीवी और ओआईए) अरुण कुमार चटर्जी ने यह भी कहा कि भारत और खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) इस समय ‘‘एफटीए के बारे में बातचीत कर रहे हैं।’’
जीसीसी एक प्रभावशाली समूह है जिसमें संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), बहरीन, सऊदी अरब, ओमान, कतर और कुवैत शामिल हैं।
भारत-जीसीसी एफटीए वार्ता की प्रगति के बारे में पूछे जाने पर चटर्जी ने कहा, ‘‘भारत और खाड़ी सहयोग परिषद, हम इस समय एफटीए, एक मुक्त व्यापार समझौते के बारे में बातचीत कर रहे हैं। जहां तक कतर का सवाल है, दोनों पक्ष भविष्य में एक मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर करने की संभावना तलाश रहे हैं। और, यह इस वार्ता के दौर में हुई चर्चाओं में से एक था।’’
इससे पहले दिन में, प्रधानमंत्री मोदी ने हैदराबाद हाउस में अमीर के साथ व्यापक चर्चा की। दोनों नेताओं ने भारत-कतर संबंधों को व्यापार, निवेश, प्रौद्योगिकी, ऊर्जा और लोगों के बीच संबंधों पर ध्यान केंद्रित करते हुए एक ‘रणनीतिक साझेदारी’ में बदलने का फैसला किया, जिससे दोनों देशों के बीच ‘गहरे और पारंपरिक संबंध’ और मजबूत होंगे।
पत्रकारों को जानकारी देते हुए चटर्जी ने यह भी कहा कि मोदी और कतर के अमीर ने अगले पांच साल में द्विपक्षीय व्यापार को मौजूदा के 14 अरब डॉलर से दोगुना करके 28 अरब डॉलर करने का लक्ष्य तय किया है।
छह देशों के समूह जीसीसी का मुख्यालय रियाद में है।
विदेश मंत्री एस जयशंकर सितंबर, 2024 में भारत-खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) के विदेश मंत्रियों की पहली बैठक में भाग लेने के लिए रियाद गए थे।
उनकी यात्रा से पहले विदेश मंत्रालय ने कहा था कि भारत और जीसीसी के बीच गहरे और बहुआयामी संबंध हैं, जिसमें व्यापार और निवेश, ऊर्जा, सांस्कृतिक और लोगों के बीच आपसी संबंध शामिल हैं।
चटर्जी ने प्रधानमंत्री मोदी और कतर के अमीर द्वारा भारत-कतर संबंधों को ‘रणनीतिक साझेदारी’ तक बढ़ाने के निर्णय पर भी जोर दिया।
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