शिक्षा मंत्री प्रधान के बयान के खिलाफ एआईएसएफ ने प्रदर्शन किया
वैभव अविनाश
- 18 Feb 2025, 05:50 PM
- Updated: 05:50 PM
नयी दिल्ली, 18 फरवरी (भाषा) वामपंथी छात्र संगठन एआईएसएफ ने मंगलवार को केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के उस हालिया बयान के खिलाफ शास्त्री भवन के बाहर प्रदर्शन किया, जिसमें केंद्रीय शिक्षा कोष को तमिलनाडु में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के कार्यान्वयन से जोड़ा गया है।
इस विरोध प्रदर्शन के संबंध में केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की ओर से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री प्रधान ने कहा है कि समग्र शिक्षा योजना के तहत तमिलनाडु को तब तक धन जारी नहीं किया जाएगा, जब तक राज्य एनईपी 2020 को पूरी तरह से लागू नहीं कर देता। उन्होंने द्रमुक के नेतृत्व वाली तमिलनाडु सरकार पर शिक्षा नीति का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया।
ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन (एआईएसएफ) ने एक बयान में कहा कि एनईपी 2020 क्षेत्रीय स्वायत्तता को कमजोर करती है, निजीकरण को बढ़ावा देती है, असमानता बढ़ाती है और शिक्षा में भाषाई और सांस्कृतिक संरक्षण के लिए तमिलनाडु की प्रतिबद्धता की अवहेलना करती है।
इसमें कहा गया है, ‘‘केंद्र महत्वपूर्ण शिक्षा निधि रोककर राज्यों को एनईपी 2020 को लागू करने के लिए ब्लैकमेल कर रहा है।’’
एआईएसएफ के राष्ट्रीय अध्यक्ष विराज देवांग ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘हमने शिक्षा मंत्रालय के बाहर शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन किया। एनईपी कार्यान्वयन पर मंत्री की टिप्पणी उन राज्यों को मजबूर करने का प्रयास है जिन्होंने इसे नहीं अपनाया है। भारत के कई राज्यों में भाजपा की सरकार नहीं है। हमारे शांतिपूर्ण प्रदर्शन के बावजूद हमें हिरासत में लिया गया।’’
एआईएसएफ के राष्ट्रीय महासचिव दिनेश सीरंगराज ने प्रधान पर तमिलनाडु को ‘धमकाने’ का और एनईपी 2020 को राज्य में लागू करने पर ही केंद्रीय शिक्षा कोष में 2,000 करोड़ रुपये जारी करने की शर्त रखने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, ‘‘यह संविधान और गैर-भाजपा शासित राज्यों के लिए खतरा है।’’
प्रदर्शनकारियों को बाद में दिल्ली पुलिस ने हिरासत में ले लिया।
सीरंगराज के अनुसार, हिरासत में लिए गए प्रदर्शनकारियों को बवाना पुलिस थाने ले जाया गया और कुछ समय बाद रिहा किया गया।
शनिवार को प्रधान ने कहा था कि जब तक राज्य एनईपी 2020 को पूरी तरह से लागू नहीं कर देता, तब तक समग्र शिक्षा योजना के तहत तमिलनाडु को धन जारी नहीं किया जाएगा।
उन्होंने द्रमुक के नेतृत्व वाली तमिलनाडु सरकार पर नीति का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया और सवाल किया कि जब देश के बाकी हिस्सों ने इसे अपना लिया है, तो वे इसका विरोध क्यों कर रहे हैं।
प्रधान ने दावा किया कि राज्य ने शुरू में केंद्र की शर्तों पर सहमति जताई थी, लेकिन बाद में उसने कदम पीछे हटा लिए।
शिक्षा मंत्री ने वाराणसी में काशी तमिल संगमम कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘वे राजनीति से प्रेरित हैं और तमिलनाडु के लोगों के हित में काम नहीं कर रहे हैं। उन्हें संवैधानिक मानदंडों का पालन करना चाहिए और एनईपी को अक्षरशः स्वीकार करना चाहिए।’’
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने रविवार को प्रधान पर ‘ब्लैकमेल’ करने का आरोप लगाया।
भाषा वैभव