केरल में जानलेवा हमलों के बाद पेटा इंडिया ने यांत्रिक हाथी दान करने की पेशकश की
मनीषा
- 18 Feb 2025, 02:43 PM
- Updated: 02:43 PM
तिरुवनंतपुरम, 18 फरवरी (भाषा) केरल में बीते 10 दिनों के दौरान हाथियों के हमलों में पांच लोगों की मौत, कईयों के घायल होने तथा मंदिर और मस्जिद के उत्सवों के दौरान संपत्ति को नुकसान पहुंचने के बाद, एक पशु अधिकार संगठन ने अनूठी पेशकश की है।
'पीपुल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (पेटा) इंडिया' नामक संस्था ने प्रभावित मंदिरों और मस्जिदों को पत्र भेजकर यांत्रिक हाथी दान करने की पेशकश की है।
इस पेशकश के साथ ही 'पेटा इंडिया' ने एक शर्त रखी जिसके अनुसार, संस्थाओं को इस्तेमाल किए जा रहे हाथी अभयारण्यों में भेजने के लिए सहमत होना होगा, जहाँ वे बिना जंजीरों के, अपनी ही प्रजाति के पशुओं के बीच स्वतंत्र रूप से रह सकेंगे। साथ ही उन्हें प्रतिज्ञा करनी होगी कि वे असली हाथी का उपयोग नहीं करेंगे।
इन पत्रों में 'पेटा इंडिया' ने कहा कि त्योहारों व जुलूसों में हाथियों का उपयोग किया जाता है तथा ऊंची आवाजों में बजते गाने, यातायात के शोर, पटाखों और अन्य वजहों से होने वाली तेज आवाजों से इन जानवरों को अत्यधिक शारीरिक व मानसिक तनाव होता है।
पेटा इंडिया ने यह भी कहा कि जंजीरों और पिटाई जैसे दर्दनाक और प्रतिबंधात्मक तरीकों से नियंत्रित किए जाने से जानवर परेशान हो जाते हैं।
पेटा इंडिया की वकालत परियोजना निदेशक खुशबू गुप्ता ने कहा, "पेटा इंडिया मंदिरों और देवस्वोम बोर्डों, मस्जिदों और अन्य लोगों से यांत्रिक हाथियों या अन्य गैर-पशु साधनों के साथ दयालु और सुरक्षित तरीके से रीति-रिवाजों का पालन-संचालन करने की अपील करता है।"
पेटा इंडिया के अनुसार, चार फरवरी से केरल में मंदिर और मस्जिद के आयोजनों में कई हाथियों के हिंसक हो जाने से हादसे हुए।
त्रिशूर में एक हाथी ने एक व्यक्ति को मार डाला, जबकि दूसरे ने पलक्कड़ में अपने महावत को कुचला, दुकानों और वाहनों को नष्ट कर दिया। अन्य घटनाओं में भीड़ में हाथियों ने उत्पात मचाया जिससे दहशत फैल गई।
पेटा इंडिया ने 2023 की शुरुआत में एक आंदोलन शुरू किया था, जिसके तहत जीवित हाथियों के स्थान पर यांत्रिक हाथियों का इस्तेमाल किये जाने की पेशकश की गई थी।
बयान के मुताबिक, दक्षिण भारत के मंदिरों में कम से कम 13 यांत्रिक हाथियों का उपयोग किया जा रहा है। पेटा इंडिया ने उनमें से आठ को केरल और कर्नाटक के मंदिरों को दान कर दिया है, क्योंकि उन्होंने जीवित हाथियों का उपयोग बंद करने का निर्णय लिया है।
इसमें कहा गया है कि इन यांत्रिक हाथियों का उपयोग अब मंदिरों में सुरक्षित तरीके से समारोह आयोजित करने के लिए किया जाता है। वहीं दूसरी ओर असली हाथी जंगल में अपने परिवारों के साथ रह सकते हैं।
प्रत्येक यांत्रिक हाथी तीन मीटर लंबा होता है, इसका वजन 800 किलोग्राम होता है। यह रबर, फाइबर, धातु, जाली, फोम और स्टील से बना होता है। पाँच मोटरों की मदद से इनका संचालन किया जाता है।
भाषा