जनरेटिव एआई का प्रयोग पत्रकारिता में पहले से किया जा रहा- जानिये क्या सोचते हैं इसके बारे में लोग
नोमान पवनेश
- 17 Feb 2025, 05:17 PM
- Updated: 05:17 PM
(टी.जे. थॉमसन, आरएमआईटी विश्वविद्यालय, मिशेल रीडलिंगर और फोबे मैटिच, क्वींसलैंड प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय और रयान जे. थॉमस, वाशिंगटन स्टेट यूनिवर्सिटी)
वाशिंगटन, 17 फरवरी (द कन्वरसेशन) जनरेटिव एआई (कृत्रिम मेधा) ने पिछले कुछ सालों में बिजली की गति से उड़ान भरी है, जिससे कई उद्योगों में उथल-पुथल मची है। समाचार कक्ष (न्यूज़रूम) भी इसके अपवाद नहीं हैं।
आज प्रकाशित एक नई रिपोर्ट के मुताबिक, समाचारों में दिलचस्पी रखने वाले लोग (न्यूज ऑडियंस) और पत्रकार समान रूप से इस बात को लेकर चिंतित हैं कि समाचार संस्थान किस तरह से जनरेटिव एआई जैसे कि चैटबॉट, तस्वीर, ऑडियो और वीडियो जनरेटर और इसी तरह के उपकरणों का उपयोग कर रहे हैं और कर सकते हैं।
यह रिपोर्ट ऑस्ट्रेलिया और छह अन्य देशों (अमेरिका, ब्रिटेन, नॉर्वे, स्विट्जरलैंड, जर्मनी और फ्रांस) में जनरेटिव एआई और पत्रकारिता पर तीन वर्षों तक लिए गए साक्षात्कार और व्यक्तियों के समूह से सवाल-जवाब (फोकस समूह अनुसंधान) पर आधारित है।
समाचारों में दिलचस्पी रखने वाले लोगों में सिर्फ 25 फीसदी ही यह पक्के तौर पर कह पाए कि उन्होंने पत्रकारिता में जनरेटिव एआई का इस्तेमाल देखा है। लगभग 50 फीसदी इसके प्रयोग किये जाने को लेकर आश्वस्त नहीं थे।
इससे पता चलता है कि जनरेटिव एआई का इस्तेमाल करने वाले समाचार संस्थानों में पारदर्शिता की कमी है। यह समाचार संस्थानों और 'न्यूज ऑडियंस' के बीच विश्वास की कमी को भी प्रदर्शित करता है।
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मिसाल के तौर पर कुछ मीडिया संस्थान ज़्यादा या कम स्रोतों का इस्तेमाल करते हैं। या वे दूसरों की तुलना में कुछ खास तरह के स्रोतों जैसे कि राजनीतिक नेता या विशेषज्ञ का ज़्यादा इस्तेमाल करते हैं।
कुछ समाचार संस्थान समुदाय के कुछ हिस्सों को कम या गलत तरीके से पेश करते हैं। ऐसा कभी-कभी इसलिए होता है क्योंकि समाचार संस्थानों के कर्मचारी खुद अपने पाठकों/दर्शकों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं।
पत्रकारिता कार्य या संपादन में लापरवाही से एआई का उपयोग करने से कुछ असमानताएं पुनः उत्पन्न हो सकती हैं।
हमारी रिपोर्ट में दर्जनों ऐसे तरीके बताए गए हैं जिनसे पत्रकार और समाचार संस्थान जनरेटिव एआई का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसमें यह भी बताया गया है कि 'न्यूज ऑडियंस' इनमें से प्रत्येक तरीके से कितने सहज हैं।
हमने समाचारों में दिलचस्पी रखने वाले लोगों से बात की, वे पत्रकारों द्वारा संपादन और सृजन के बजाय पर्दे के पीछे के कार्यों के लिए एआई का उपयोग करने से सबसे अधिक सहज महसूस करते हैं। इनमें साक्षात्कार लेखन या किसी विषय को कवर करने के तरीके के बारे में सुझाव देने के लिए एआई का उपयोग करना शामिल है।
लेकिन सहजता संदर्भ पर बहुत ज़्यादा निर्भर करती है। जब जोखिम कम था, तो खबरों में रुचि रखने वाले लोग संपादन और सृजन कार्यों को लेकर काफी सहज थे।
समस्या और अवसर
जनरेटिव एआई का उपयोग पत्रकारिता के लगभग हर क्षेत्र में किया जा सकता है।
मसलन एक फोटोग्राफर किसी कार्यक्रम को कवर कर सकता है। फिर, एक जनरेटिव एआई उपकरण उन तस्वीरों को चुन सकता है जो उसे “सबसे अच्छी लगती हैं”, सुधार करने के लिए तस्वीरों को संपादित कर सकता है और हर तस्वीर में कीवर्ड जोड़ सकता है।
ये अपेक्षाकृत हानिरहित प्रयोग प्रतीत हो सकते हैं। लेकिन क्या होगा अगर एआई किसी चीज़ या किसी व्यक्ति की गलत तरीके से पहचान करता है, और ये कीवर्ड फोटो के शीर्षक में गलत पहचान का कारण बनते हैं ? क्या होगा अगर मानव किसी तस्वीर को 'अच्छा' बनाने के लिए कोई मानदंड सोचें जो कंप्यूटर के विचार से अलग हो? ये मानदंड समय के साथ या अलग-अलग संदर्भों में बदल भी सकते हैं।
किसी तस्वीर को ‘लाइटिंग’ या ‘डार्किंग’ करने जैसी साधारण बात भी राजनीति के शामिल होने पर हंगामा खड़ा कर सकती है।
एआई चीजों को पूरी तरह से बना भी सकता है। तस्वीरें ‘फोटोरियलिस्टिक’ लग सकती हैं लेकिन ऐसी चीजें दिखाती हैं जो कभी नहीं हुईं। वीडियो पूरी तरह से एआई से बनाए जा सकते हैं या उनके संदर्भ को बदलने के लिए एआई से संपादित किया जा सकता है।
जनरेटिव एआई का इस्तेमाल अक्सर शीर्षक लिखने या लेखों को कांट-छांट कर छोटा करने लिए भी किया जाता है। ये समय की कमी वाले व्यक्तियों के लिए मददगार की तरह लगते हैं, लेकिन कुछ समाचार संगठन दूसरों की सामग्री की चोरी के लिए एआई का इस्तेमाल कर रहे हैं।
जनरेटिव एआई के ‘न्यूज़ अलर्ट’ में भी गलत तथ्य देखने को मिले हैं। उदाहरण के लिए, हाल ही में एप्पल ने अपने स्वचालित ‘न्यूज़ नोटिफिकेशन’ फीचर को बंद कर दिया। ऐसा तब किया गया जब इस 'फीचर' ने झूठा दावा किया कि अमेरिका में हत्या के संदिग्ध लुइगी मंगियोन ने खुदकुशी कर ली है, (समाचार का) का स्रोत बीबीसी को बताया गया।
लोग पत्रकारों द्वारा एआई का उपयोग करने के बारे में क्या सोचते हैं?
हमारे शोध में पाया गया कि समाचारों में दिलचस्पी रखने वाले लोग पत्रकारों द्वारा कुछ कार्यों के लिए एआई का उपयोग करने से अधिक सहज महसूस करते हैं, जब वे स्वयं समान उद्देश्यों के लिए इसका उपयोग करते हैं।
उदाहरण के लिए, साक्षात्कार में शामिल लोग पत्रकारों द्वारा तस्वीर के कुछ हिस्सों को धुंधला करने के लिए एआई का उपयोग करने से काफी हद तक सहज थे। हमारे प्रतिभागियों ने कहा कि उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग ऐप पर या स्मार्टफ़ोन पर "पोर्ट्रेट" मोड का उपयोग करते समय इसी तरह के 'टूल' का इस्तेमाल किया।
इसी तरह, जब आप किसी लोकप्रिय 'वर्ड प्रोसेसिंग' या प्रेजेंटेशन सॉफ्टवेयर में कोई तस्वीर डालते हैं, तो यह दृष्टिबाधित लोगों के लिए उस तस्वीर का लिखित विवरण स्वतः ही तैयार कर सकता है। जिन लोगों ने पहले तस्वीरों के ऐसे एआई विवरणों को देखा था, वे पत्रकारों द्वारा मीडिया में कीवर्ड जोड़ने के लिए एआई का उपयोग करने से अधिक सहज महसूस करते थे।
पत्रकारिता में जनरेटिव एआई से हमारे प्रतिभागियों को सबसे अधिक बार सामना तब हुआ जब पत्रकारों ने वायरल हो चुकी एआई विषय-वस्तु पर रिपोर्टिंग की।
उदाहरण के लिए, जब एक एआई जनरेटेड तस्वीर में महाराजा चार्ल्स के राज्याभिषेक के अवसर पर राजकुमार विलियम और हैरी को गले मिलते हुए दिखाया गया, तो समाचार संस्थानों ने इस झूठी तस्वीर पर खबरें की।
एक दर्शक/पाठक के तौर पर आपकी भूमिका
अगर आप इसे लेकर आश्वस्त नहीं हैं कि पत्रकार एआई का इस्तेमाल कर रहे हैं या नहीं या कैसे कर रहे हैं, तो उस विषय पर समाचार संस्थान से इस संबंध में नीति या स्पष्टीकरण की मांग करें। अगर आपको कोई नीति नहीं मिलती है, तो संस्थान से नीति विकसित करने और प्रकाशित करने के लिए कहने पर विचार करें।
उन समाचार संस्थानों को प्रोत्साहित करने पर विचार करें जो एआई के जरिये मानव श्रम को प्रतिस्थापित करने के बजाय इससे उन्हें लाभान्वित करने व मदद लेने में उनका समर्थन करते हैं।
(द कन्वरसेशन)
नोमान