तहव्वुर राणा 2005 में मुंबई आतंकी हमले की साजिश का हिस्सा बना था: अधिकारी
आशीष माधव
- 17 Feb 2025, 05:12 PM
- Updated: 05:12 PM
मुंबई, 17 फरवरी (भाषा) तहव्वुर हुसैन राणा 2005 में लश्कर-ए-तैयबा और एचयूजेआई के सदस्य के रूप में 26/11 मुंबई आतंकवादी हमलों की साजिश का हिस्सा बन गया था और वह पाकिस्तान स्थित साजिशकर्ताओं के साथ निकटता से जुड़ा हुआ था। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बृहस्पतिवार को घोषणा की कि उनके प्रशासन ने राणा के भारत प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी है।
पाकिस्तानी मूल का कनाडाई नागरिक 64 वर्षीय राणा 2023 में 14 साल की सजा पूरी करने के बाद लॉस एंजिल्स के एक महानगरीय हिरासत केंद्र में हिरासत में है। वह पाकिस्तानी-अमेरिकी आतंकवादी और मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक डेविड कोलमैन हेडली का करीबी सहयोगी रहा है।
प्रत्यर्पित होने के बाद, राणा इस मामले में भारत में मुकदमे का सामना करने वाला वाला तीसरा आतंकी होगा। इससे पहले अजमल कसाब और जबीउद्दीन अंसारी उर्फ अबू जंदल को इस मामले में दोषी ठहराया जा चुका है। नवंबर 2012 में, उस हमले के एकमात्र जीवित बचे पाकिस्तानी आतंकवादी कसाब को पुणे की यरवदा जेल में फांसी पर लटका दिया गया था।
राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) के आरोपपत्र के अनुसार, लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) और हरकत-उल-जिहाद-अल-इस्लामी (एचयूजेआई) के सदस्य राणा ने पाकिस्तान स्थित अन्य सह-साजिशकर्ताओं के साथ मिलकर 2005 की शुरुआत में मुंबई हमलों को अंजाम देने के लिए साजिश रची थी। एनआईए की जांच के दौरान मुंबई आतंकवादी हमलों के सह-साजिशकर्ता के रूप में राणा की भूमिका सामने आई।
अमेरिकी संघीय एजेंसी ‘एफबीआई’ ने 27 अक्टूबर 2009 को राणा को गिरफ्तार किया था। उसके खिलाफ 2011 में एनआईए द्वारा भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं और आतंकवाद की रोकथाम संबंधी ‘सार्क कन्वेंशन’ की धारा 6(2) के तहत आरोपपत्र दाखिल किया गया था।
एक अधिकारी ने बताया कि राणा ने हेडली को भारत के लिए वीजा दिलाने में मदद की थी और मुंबई में ‘इमिग्रेंट लॉ सेंटर’ की स्थापना की थी, जो मुखौटा संगठन के रूप में काम करता था।
राणा ने 13 नवंबर से 21 नवंबर 2008 के बीच अपनी पत्नी समराज राणा अख्तर के साथ हापुड़, दिल्ली, आगरा, कोच्चि, अहमदाबाद और मुंबई की यात्रा की थी। पहले उसने विभिन्न शहरों में स्थित चबाड हाउस पर हमले की साजिश रची थी।
अधिकारियों ने बताया कि हेडली जून 2006 में अमेरिका गया था और राणा से मिला था, जहां उन्होंने भविष्य की कार्ययोजना पर चर्चा की थी।
राणा 26 नवंबर 2008 के आतंकी हमले के एक अन्य सह-साजिशकर्ता मेजर इकबाल के संपर्क में रहा।
हेडली और राणा ने अमेरिका में रहते हुए पाकिस्तान स्थित सह-साजिशकर्ताओं के साथ अपने संपर्कों को छिपाने के लिए हर संभव कदम उठाए थे। अधिकारियों ने बताया कि चूंकि राणा सेना में रह चुका था, इसलिए हेडली ने मेजर इकबाल के माध्यम से उसे मदद का आश्वासन दिया था।
हेडली ने मुंबई में ‘इमिग्रेंट लॉ सेंटर’ का शाखा कार्यालय स्थापित करने को लेकर भारत में बहु-प्रवेश व्यापार वीजा के लिए आवेदन किया था। राणा ने जुलाई 2007 में 10 साल के लिए उसके वीजा विस्तार में भी मदद की थी।
मुंबई हमले के सह-साजिशकर्ताओं ने हेडली को यात्रा के लिए राणा और उसके संपर्कों से सहायता लेने और यात्रा के वास्तविक इरादे को छिपाने का निर्देश दिया था। अधिकारियों ने बताया कि हेडली अमेरिका में पले बढ़े होने के कारण साजिश में फिट बैठता था।
अधिकारियों ने बताया कि भारत की अपनी पहली यात्रा के दौरान हेडली ने राणा से 32 से ज्यादा बार फोन पर बात की थी। इसके बाद, हेडली ने अपनी दूसरी यात्रा के दौरान राणा से 23 बार, तीसरी यात्रा के दौरान 40 बार, पांचवीं यात्रा के दौरान 37 बार, छठी यात्रा के दौरान 33 बार और आठवीं यात्रा के दौरान 66 बार बात की।
हेडली ने सह-साजिशकर्ताओं के निर्देश पर जून 2008 में या उसके आसपास मुजफ्फराबाद में लश्कर-ए-तैयबा सदस्य साजिद माजिद, अबू काहाफा, जकी उर लखवी, अबू अनेस और लाहौर में मेजर इकबाल से मुलाकात की। उन्होंने हेडली को जीपीएस उपकरणों का इस्तेमाल करके मुंबई के विभिन्न स्थानों की टोह लेने का निर्देश दिया।
मेजर इकबाल ने हेडली को मुंबई में आव्रजन फर्म का कार्यालय संचालित करने के लिए करीब 1,500 अमेरिकी डॉलर दिए थे। उसने भविष्य में मुंबई कार्यालय को बंद करने और दिल्ली में एक नया व्यवसाय खोलने के विचार को भी मंजूरी दी थी, जिसका इस्तेमाल हेडली की भविष्य की गतिविधियों के लिए कवर के रूप में किया जा सके।
जुलाई 2008 में हेडली लाहौर से दुबई गया और फिर अपनी आठवीं भारत यात्रा पर विमान से मुंबई पहुंचा। अपने प्रवास के दौरान हेडली ने मकान मालिक से कार्यालय के लिए किराया समझौते को 15 दिन और बढ़ाने का अनुरोध किया, क्योंकि मूल समझौता नवंबर 2008 में समाप्त हो जाना था।
यह अनुरोध नवम्बर 2008 में राणा की भारत यात्रा को सुविधाजनक बनाने के लिए किया गया था, जिसकी योजना लश्कर-ए-तैयबा के सदस्य साजिद माजिद और मेजर इकबाल के परामर्श से पहले ही बना ली गई थी।
मेजर इकबाल ने राणा के माध्यम से हेडली को नवंबर 2008 के मध्य तक किराया समझौता बढ़ाने के लिए कहा था। अधिकारियों ने बताया कि इससे पहले मेजर इकबाल ने जुलाई 2008 के अंत में हेडली से मोबाइल फोन पर संपर्क करने की कोशिश की थी, ताकि उसे भारत में कुछ महत्वपूर्ण स्थानों की टोह लेने का निर्देश दिया जा सके।
हालांकि पहले यह तय किया गया था कि पाकिस्तान में बैठे सह-षड्यंत्रकारियों द्वारा हेडली को कोई कॉल नहीं किया जाएगा। हेडली से संपर्क करने में विफल रहने के बाद मेजर इकबाल ने राणा से टेलीफोन पर संपर्क किया। अधिकारियों ने बताया कि इकबाल ने हेडली के भारत में रहने के दौरान ईमेल के जरिए भी राणा से संपर्क किया।
अक्टूबर 2008 में, मुंबई हमले से पहले, सह-साजिशकर्ता साजिद माजिद और मेजर इकबाल ने मिलकर लाहौर में हेडली के घर का दौरा किया और डेनमार्क में होने वाले हमले पर चर्चा की। हेडली इसे ‘मिकी माउस प्रोजेक्ट’ नाम देना चाहता था, हालांकि, आखिरकार साजिद ने इसे ‘नॉर्दर्न प्रोजेक्ट’ नाम दिया।
साजिश की जांच से पता चला कि हेडली और राणा ने पूरी अवधि के दौरान मुंबई कार्यालय के माध्यम से आव्रजन व्यवसाय के लिए एक भी मामला नहीं लिया।
दस पाकिस्तानी आतंकवादियों के एक समूह ने 26 नवंबर, 2008 को, एक रेलवे स्टेशन, दो लक्जरी होटल और एक यहूदी केंद्र पर समन्वित हमला किया, जिसमें अमेरिकी, ब्रिटिश और इजराइली नागरिकों सहित 166 लोग मारे गए।
भाषा आशीष