भारत-अमेरिका प्रस्तावित व्यापार समझौते की व्यापक रूपरेखा को अंतिम रूप देंगे: वाणिज्य मंत्रालय
निहारिका अजय
- 17 Feb 2025, 05:07 PM
- Updated: 05:07 PM
नयी दिल्ली, 17 फरवरी (भाषा) वाणिज्य विभाग में अतिरिक्त सचिव राजेश अग्रवाल ने सोमवार को कहा कि भारत और अमेरिका अगले कुछ सप्ताह में प्रस्तावित व्यापार समझौते की प्रकृति पर निर्णय लेने तथा इसकी व्यापक रूपरेखा या तौर-तरीकों को अंतिम रूप देने के लिए बैठक करेंगे।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की हाल की अमेरिका यात्रा के दौरान भारत और अमेरिका ने 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना कर 500 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचाने और 2025 तक पारस्परिक रूप से लाभकारी, बहु-क्षेत्रीय द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) के पहले चरण पर बातचीत पूरी करने की घोषणा की थी।
अग्रवाल यहां पत्रकारों से कहा, ‘‘ हमें यह तय करने के लिए कुछ सप्ताह का समय दें कि हम जिस पहले चरण (समझौते के) पर विचार कर रहे हैं उसमें महत्वाकांक्षा का स्तर क्या है और हम जिस समझौते पर पहुंचेंगे उसकी प्रकृति क्या होगी। दोनों पक्षों को एक साथ बैठकर व्यापक रूपरेखा को अंतिम रूप देने की कोशिश करनी होगी। ’’
दोनों देशों ने भारत को औद्योगिक वस्तुओं के अमेरिकी निर्यात और अमेरिका को श्रम-प्रधान विनिर्मित उत्पादों के भारतीय निर्यात को बढ़ाकर द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाने के लिए सहयोग करने पर भी सहमति व्यक्त की है। दोनों पक्ष कृषि वस्तुओं के व्यापार को बढ़ाने के लिए भी मिलकर काम करेंगे।
उन्होंने कहा कि भारत, अमेरिका को चार अरब डॉलर से अधिक मूल्य की कृषि वस्तुओं का निर्यात करता है। भविष्य में इसमें और वृद्धि होगी। व्यापार समझौते के पहले चरण को पूरा करने के लिए एक ‘‘कड़ी’’ समयसीमा है।
अग्रवाल ने कहा, ‘‘ दोनों पक्ष अगले आठ से नौ महीनों में ऐसा करने पर सहमत हो गए हैं। इसलिए हमें इस पर काम करना शुरू कर देना चाहिए।’’
वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने पत्रकारों से कहा कि इस यात्रा में दोनों देशों के बीच व्यापार संबंधों को बढ़ावा देने के लिए एक खाके पर सहमति बनी।
आमतौर पर एक मुक्त व्यापार समझौते में, दो व्यापारिक साझेदार अपने बीच व्यापार की जाने वाली वस्तुओं की अधिकतम संख्या पर सीमा शुल्क को या तो समाप्त कर देते हैं या काफी कम कर देते हैं। इसके अलावा, वे सेवाओं में व्यापार को बढ़ावा देने और निवेश बढ़ाने के लिए मानदंडों को आसान बनाते हैं।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान दोनों देशों ने एक छोटे व्यापार सौदे पर चर्चा की थी, लेकिन जो बाइडन प्रशासन ने इसे टाल दिया था क्योंकि वे इस तरह के समझौतों के पक्ष में नहीं थे।
आर्थिक शोध संस्थान ‘ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव’ (जीटीआरआई) के अनुसार, भारत को अमेरिका द्वारा किए जाने वाले निर्यात के 75 प्रतिशत मूल्य पर औसत शुल्क पांच प्रतिशत से कम है। इसके विपरीत, भारत को कपड़ा, परिधान तथा जूते जैसे कई श्रम-गहन उत्पादों पर उच्च अमेरिकी शुल्क का सामना करना पड़ता है, जो कई उत्पादों पर 15 प्रतिशत से 35 प्रतिशत के बीच है।
अप्रैल-नवंबर 2024-25 के दौरान, अमेरिका 82.52 अरब अमेरिकी डॉलर के द्विपक्षीय व्यापार (52.89 अरब अमेरिकी डॉलर का निर्यात, 29.63 अरब अमेरिकी डॉलर का आयात और 23.26 अरब अमेरिकी डॉलर का व्यापार अधिशेष) के साथ भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार था।
वस्तुओं व सेवाओं में अमेरिका और भारत का द्विपक्षीय व्यापार 2023 में 190.08 अरब अमेरिकी डॉलर (वस्तुओं में 123.89 अरब डॉलर और सेवाओं में 66.19 अरब अमेरिकी डॉलर) था। उस वर्ष, अमेरिका को भारत का माल निर्यात 83.77 अरब अमेरिकी डॉलर था, जबकि आयात 40.12 अरब अमेरिकी डॉलर था। इसमें अमेरिका का व्यापार घाटा 43.65 अरब डॉलर रहा था।
भाषा निहारिका