संसद में भाग लेने के लिए यात्रा खर्च संबंधी आदेश के खिलाफ रशीद की याचिका पर जनवरी में सुनवाई
गोला नरेश
- 14 Nov 2025, 02:55 PM
- Updated: 02:55 PM
नयी दिल्ली, 14 नवंबर (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि वह जेल में बंद जम्मू कश्मीर के सांसद अब्दुल रशीद शेख की उस याचिका पर जनवरी में प्रारंभिक सुनवाई करेगा, जिसमें उन्होंने हिरासत में रहते हुए संसद में उपस्थित होने के लिए आने जाने का खर्चा स्वयं उठाने के आदेश के खिलाफ याचिका दायर की है।
न्यायमूर्ति विवेक चौधरी और न्यायमूर्ति अनूप जयराम भंभानी की खंडपीठ द्वारा रशीद की याचिका पर विभाजित फैसला सुनाए जाने के बाद मुख्य न्यायाधीश ने न्यायमूर्ति रवींद्र डुडेजा के समक्ष यह मामला रखा। इस याचिका में रशीद से हिरासत में रहने के दौरान संसद में उपस्थित होने के लिए जेल अधिकारियों के पास लगभग चार लाख रुपये जमा करने के आदेश में संशोधन का अनुरोध किया गया है।
न्यायमूर्ति डुडेजा ने मामले की प्रारंभिक सुनवाई के लिए 14 जनवरी की तारीख तय की है। इससे पहले रशीद और राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) के वकील ने दलील दी थी कि न्यायाधीश को यह तय करना है कि उन्हें फैसला सुनाना चाहिए या अपील पर फिर से सुनवाई कर न्यायाधीशों की एक वृहद पीठ द्वारा निर्णय लिया जाना चाहिए।
न्यायाधीश ने कहा, ‘‘इस पीठ को इस पहलू पर प्रारंभिक सुनवाई करनी होगी। 14 जनवरी को विचार के लिए सूचीबद्ध करें।’’
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 433 के अनुसार, यदि किसी अपील पर पीठ के दो या दो से अधिक न्यायाधीशों के विचार विभाजित हों, तो मामला उसी न्यायालय के किसी अन्य न्यायाधीश को भेज दिया जाता है। इस प्रावधान में कहा गया है कि यदि मूल न्यायाधीश या नए न्यायाधीश को लगता है कि यह आवश्यक है तो अपील पर पुनर्विचार किया जा सकता है और न्यायाधीशों की एक बड़ी पीठ द्वारा निर्णय दिया जा सकता है।
न्यायमूर्ति चौधरी और न्यायमूर्ति भंभानी की पीठ ने सात नवंबर को रशीद शेख की याचिका पर खंडित फैसला सुनाया था, जिसमें एक न्यायाधीश ने कहा था कि रशीद को वैध हिरासत में रहते हुए संसद की कार्यवाही में भाग लेने का कोई अधिकार, हक या विशेषाधिकार नहीं है, जबकि दूसरे ने रशीद को केवल परिवहन के लिए उचित लागत का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी ठहराया था, न कि उसके साथ आए पुलिस अधिकारियों का खर्च उठाने के लिए।
दोनों न्यायाधीशों ने फैसला सुनाते हुए कहा था, ‘‘हम एक-दूसरे से सहमत नहीं हो पाए हैं। हमने दो अलग-अलग फैसले दिए हैं। उचित आदेश के लिए इसे मुख्य न्यायाधीश के समक्ष रखा जायेगा।’’
उच्च न्यायालय रशीद की याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें 25 मार्च को एक समन्वय पीठ द्वारा पारित उस आदेश में संशोधन का अनुरोध किया गया था, जिसमें उन्हें हिरासत में रहते हुए संसद सत्र में भाग लेने के लिए जेल अधिकारियों के पास लगभग चार लाख रुपये जमा करने के लिए कहा गया था।
सरकार ने रशीद से हिरासत-पैरोल पाने के लिए यात्रा और अन्य व्यवस्थाओं के लिए प्रतिदिन 1.45 लाख रुपये का खर्च देने को कहा। इस मांग से व्यथित होकर रशीद ने खर्च का हिस्सा माफ करके आदेश में संशोधन का अनुरोध किया।
न्यायमूर्ति भंभानी ने मार्च के आदेश को स्पष्ट करते हुए कहा था कि राज्य द्वारा अपनी रिपोर्ट में दिए गए ब्यौरे के अनुसार रशीद द्वारा देय लागत केवल जेल वैन और सुरक्षा वाहन के खर्च के लिए होगी, जो क्रमशः 1,036 रुपये और 1,020 रुपये प्रतिदिन होगी।
बारामूला के सांसद आतंकी वित्त पोषण के मामले में मुकमदे का सामना कर रहे हैं, जिसमें आरोप है कि उन्होंने जम्मू-कश्मीर में अलगाववादियों और आतंकी समूहों को वित्त पोषण किया। उन्होंने 2024 के लोकसभा चुनाव में उमर अब्दुल्ला को हराया था।
दिल्ली की एक अदालत ने उन्हें 24 जुलाई से चार अगस्त के बीच पुलिस सुरक्षा के साथ संसद के मानसून सत्र में भाग लेने की अनुमति दी थी।
वर्ष 2017 के आतंकी वित्त पोषण मामले में राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद से रशीद 2019 से दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद हैं।
अक्टूबर, 2019 में आरोप-पत्र दाखिल होने के बाद, एक विशेष एनआईए अदालत ने मार्च 2022 में रशीद और अन्य के खिलाफ आईपीसी की धाराओं 120बी (आपराधिक साजिश), 121 (सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ना) और 124ए (राजद्रोह) के तहत और यूएपीए के तहत आतंकवादी कृत्यों और आतंकी वित्तपोषण से संबंधित अपराधों के लिए आरोप तय किये थे।
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