त्रिपुरा 250 ‘करोड़पति दीदी’ बनाने के लिए आईआईएम कलकत्ता का सहयोग लेगा : टीआरएलएम सीईओ
जितेंद्र रंजन
- 12 Nov 2025, 12:20 PM
- Updated: 12:20 PM
अगरतला, 12 नवंबर (भाषा) त्रिपुरा ग्रामीण आजीविका मिशन (टीआरएलएम) 250 महिलाओं को ‘करोड़पति दीदी’ बनाने के लिए भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम)-कलकत्ता की मदद लेगा। एक अधिकारी ने बुधवार को यह जानकारी दी। अधिकारी ने बताया कि वर्तमान में 54,263 स्वयं सहायता समूहों में 4.68 लाख से अधिक लोग कार्यरत हैं और इनमें से लगभग 1,08,000 महिलाएं पहले ही ‘लखपति दीदी’ बन चुकी हैं।
मिशन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) तरित कांति चकमा ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, “मिशन द्वारा आईआईएम कलकत्ता की मदद से महिलाओं को ‘करोड़पति दीदी’ बनाने के लिए तीन साल की अवधि में 10.60 करोड़ रुपये की योजना लागू की जाएगी। इस परियोजना पर ग्रामीण विकास मंत्रालय (एमओआरडी) के सचिव को एक प्रस्तुति पहले ही दी जा चुकी है।”
उन्होंने बताया कि मिशन की योजना 150 ‘करोड़पति दीदी’ बनाने की थी लेकिन केंद्र ने 250 करोड़पति दीदी बनाने का सुझाव दिया क्योंकि राज्य स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाने में अच्छा प्रदर्शन कर रहा है। चकमा ने बताया कि मिशन स्थानीय समाचार पत्रों में व्यापक प्रचार के लिए विज्ञापन देकर इच्छुक महिला उद्यमियों से इस महत्वाकांक्षी योजना का हिस्सा बनने के लिए आवेदन आमंत्रित करेगा।
उन्होंने बताया, “आवेदन एकत्र करने के बाद हम उन्हें आईआईएम कलकत्ता भेजेंगे ताकि संभावित महिलाओं का चयन कर उन्हें ‘करोड़पति दीदी’ बनाया जा सके। पांच लाख रुपये के वार्षिक कारोबार वाले स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं को चयन प्रक्रिया में प्राथमिकता दी जाएगी। हालांकि, गैर-स्वयं सहायता समूहों की सदस्यों को भी ‘करोड़पति दीदी’ बनने का अवसर मिलेगा।”
अधिकारी ने बताया, “इस क्रांतिकारी पहल के लिए इच्छुक महिलाओं की कोई कमी नहीं होगी क्योंकि राज्य ने पहले ही एक लाख से ज्यादा महिलाओं को लखपति दीदी बना दिया हैं। कुछ स्वयं सहायता समूह सालाना 40 लाख से ज्यादा कमा रहे हैं, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था में क्रांति आ रही है।”
चकमा ने बताया कि मिशन जल्द ही आईआईएम-कलकत्ता के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर करेगा और उसके पास राज्य के ग्रामीण स्वरूप को बदलने के लिए ऐसी रणनीतिक योजना को लागू करने की विशेषज्ञता है।
उन्होंने बताया कि वर्तमान में आईआईएम-कलकत्ता पश्चिम बंगाल, असम और बिहार में ऐसे कार्यक्रमों को लागू कर रहा है, जहां यह सफल रहा है।
भाषा जितेंद्र